शिमला के जाखू पर्वत पर क्यों रुके थे हनुमान ?
विकास चौहान/ शिमला
शिमला के ऐतिहासिक जाखू पर्वत के शिखर पर हनुमान जी का प्राचीन मंदिर दुनिया भर के श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है। त्रेता युग में राम- रावण युद्ध के दौरान लक्ष्मण को मेघनाथ के शक्ति बाण की मूर्छा से बचाने के लिए वीर बजरंग बली जी संजीवनी बूटी लेने सुमेरू पर्वत पर गए थे। मान्यता है कि इसी यात्रा के दौरान हनुमान जी जब शिमला की सबसे ऊंची चोटी जाखू पर्वत पर विश्राम करने के लिए रूके थे।
जाखू में तपस्या कर रहे थे ऋषि
रावण के पुत्र मेघनाद ने लक्ष्मण पर शक्ति बाण चला दिया जिसके प्रभाव से वह मूर्छित हो गए। वैद्य के कहने पर लक्ष्मण के इलाज के लिए हनुमान जी हिमालय से संजीवनी बूटी लाने के लिए निकाल पड़े।
आकाश मार्ग से जा रहे अंजनी पुत्र की नजर जाखू पहाड़ पर तपस्या कर रहे एक यक्ष ऋषि पर पड़ी। विश्राम कर इस ऋषि से संजीवनी बूटी का पता पूछने के लिए हनुमान जी इसी स्थान पर उतरे। यक्ष ऋषि से संजीवनी की जानकारी लेने के बाद हनुमान जी ने उनसे दोबारा मिलने का वादा किया।
यक्ष ऋषि ने बनवाया मंदिर
मान्यता के अनुसार कालनेमि नामक राक्षस के मायाजाल के कारण पवनपुत्र को कुछ देर हो गई, इसलिए वह एक छोटे मार्ग से लौट आए और अपने वचन के अनुसार यक्ष ऋषि से मुलाकात नहीं कर पाए। इस पर ऋषि व्याकुल हो उठे। उनकी व्याकुलता दूर करने के लिए अंततः हनुमान जी ने यक्ष ऋषि को दर्शन दिया।
बाद में इस स्थान पर हनुमान जी की स्वयंभू प्रतिमा प्रकट हुई। यक्ष ऋषि ने हनुमान जी का यह मंदिर बनवा दिया। हनुमान जी की यह स्वयंभू प्रतिमा आज भी मंदिर के आंगन में स्थापित है।
दोनों पहर की जाती है आरती
मंदिर में प्रतिदिन दो पहर की आरती होती है। सुबह सात बजे मंदिर के द्वार खुलने के बाद पवन पुत्र का शृंगार होता है और इसके बाद आरती की जाती है। इसके बाद शाम को सुर्यास्त होने के बाद आरती की जाती है।
जाखू मंदिर की आरती की खास बात ये है कि यहां आरती में केवल घंटियां और नगाड़े बजाए जाते हैं। मंदिर में हर रविवार और ज्येष्ठ मंगलवार को भंडारे का आयोजन किया जाता है।
‘प्राइड ऑफ शिमला’
वर्तमान में यहां हनुमान जी की 108 फुट की विशालकाय प्रतिमा का निर्माण कराया गया। यह प्रतिमा इतनी विशाल है कि लगभग शिमला के प्रत्येक कोने से देखी जा सकती है। ‘प्राइड ऑफ शिमला’ कही जाने वाली यह प्रतिमा विश्व की कुछ सबसे ऊंची प्रतिमाओं में से एक है।
इस मंदिर को हनुमान जी के पैरों के निशान के पास बनाया गया है। खास बात यह भी है कि इस मंदिर को रामायण काल के समय का बताया जाता है। यह मंदिर समुद्र तल से 8040 फुट की ऊंचाई पर जाखू पहाड़ पर स्थित है।
रोपवे से आसान हुआ सफर
जाखू मंदिर पहुंचने के लिए सड़क मार्ग के अतिरिक्त जाखू रोपवे से भी पहुँच सकते हैं। रोपवे से मंदिर तक पहुंचने के लिए अब महज 6 मिनट का सफर तय करना पड़ता है।
रोपवे के निर्माण के बाद अब अधिकतर सैलानी जाखू मंदिर जाने के लिए इसका इस्तेमाल करते हैं। जाखू रोपवे के निर्माण में कई बाधाएं आईं, लेकिन अब जाखू रोपवे बनने से ये सैलानियों के आकर्षण का केंद्र बन चुका है।
साल 2010 में लगी 108 फीट ऊंची मूर्ति
जाखू मंदिर में 108 फीट ऊंची हनुमान जी की इस मूर्ति की स्थापना बॉलीवुड स्टार अमिताभ बच्चन की बेटी श्वेता नंदा बच्चन और दामाद निखिल नंदा ने करवाई है ।
साल 2010 में जाखू मंदिर में हनुमान जी की इस विशाल मूर्ति का अनावरण किया गया था। उस कार्यक्रम में अमिताभ बच्चन के बेटेअभिषेक बच्चन भी मौजूद थे। इस मूर्ति को देश की ऊंची मूर्तियां में गिना जाता है। ।
चमत्कारी हनुमान मंदिर
इस मंदिर में विराजे वीर बजरंग बली के चमत्कारों की मान्यता न केवल प्रदेश में बल्कि बाहरी राज्यों तक है। यही वजह है कि इस मंदिर के प्रति लोगों की आस्था और श्रद्धा है।
पर्यटन सीजन के दौरान हर रोज पांच हजार से ज्यादा पर्यटक इस मंदिर में पहुंच कर भगवान हनुमान के आगे शीश नवाना नहीं भूलते।
मेन गेट के पास लगाए गए हैं एस्केलेटर
जाखू मंदिर से करीब 100 मीटर नीचे मेन गेट के पास से ये एस्केलेटर लगाए गए हैं। 7.94 करोड़ की लागत से इन्हें बनाया गया है। हर घंटे इनके जरिये छह हजार व्यक्ति मंदिर तक पहुंच सकते हैं।
इन एस्केलेटर के प्रत्येक स्तर पर रामायण की कहानी को दर्शाने वाली पेंटिंग लगाई गई हैं। एस्केलेटर का उपयोग करने वाले तीर्थयात्रियों के अनुभव को बेहतर बनाने के लिए एलईडी स्पॉट लाइटें लगाई गई हैं।
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