हिमाचल के किस देवता को था मृत्युदंड देने का अधिकार ?

हिमाचल के किस देवता को था मृत्युदंड देने का अधिकार ?
Jamlu, Malana

विनोद भावुक/ कुल्लू 

हिमाचल प्रदेश के किस देवता को मृत्युदंड देने का अधिकार था? अगर आप इस प्रश्न का उत्तर नहीं आता है तो आपको लाल चन्द प्रार्थी की पुस्तक ‘कुलूत देश की कहानी’ पढ़नी चाहिए।

इस पुस्तक में लेखक ने दुनिया के सबसे पुराने लोकतंत्र मलाणा के सभी पक्षों का बारीकी से वर्णन किया है। प्राथी लिखते हैं कि मलाणा जनपद में जमलू देवता का राज चलता है। देवता को मृत्युदंड देने तक का अधिकार है। मृत्युदंड की प्रथा भी अदूभुत है।

दंडित को कम्बल में बांध दिया जाता है। उसके साथ में पत्थर भी बांध दिए जाते हैं। कंबल को ऊंचे शिखर से उसे नीचे बहती नदी में फेंका दिया जाता है। पत्थरों के बोझ से गठरी ठीक नदी के गर्भ में समा जाती है और दंडित व्यक्ति का जीवन समाप्त हो जाता है।

फिल्म में कैद मलाणा का पुराना स्वरूप

मलाणा अब तेज़ी से बदल रहा है, साथ ही दम तोड़ रही हैं पुरानी परम्पराएं। सड़कों के जाल बिछने के चलते अब मलाणा दुर्गम नहीं रहा। साल 2008 में हुए भीषण अग्निकांड में इस अनूठे गांव में स्थित सदियों पुरानी सभ्यता और निर्माण शैली का नाश हो गया। अब का मलाणा अपने सदियों पुराने मौलिक स्वरूप से बहुत भिन्न है।

अढ़ाई दशक पूर्व शिमला से संबंध रखने वाले फिल्मकार विवेक मोहन ने मलाणा के पुराने स्वरूप को फिल्म के जरिये संरक्षित किया है। 73 मिनट की यह फिल्म मालाणा के पुरातन स्वरूप को जानने का अनूठा प्रयास है।

देवता मे दिया था देश निकाला

मलाणा पहुंच क़र लिखित रूप में मलाणा का विवरण लिखने वालों में पहला नाम कैप्टन हारकोर्ट का आता है। कुल्लू के असिस्टेंट कमीशनर के तौर पर साल 1870 में कैप्टन हारकोर्ट ने मलाणा का दौरा किया था।

दौर की वजह यह थी कि मलाणा के स्थानीय प्रशासन ने एक व्यक्ति को देश निकाला देकर मालाणा से निर्वासित कर दिया था। इसी की छानबीन के सिलसिले में कैप्टन हारकोर्ट मालाणा पहुंचा था। लाहौर से साल ।874 में प्रकाशित कैप्टन हारकोर्ट की पुस्तक ‘हिमालयन डिस्ट्रीक्ट आफ कूल्ल- लाहुल और स्पीति‘ में उन्होंने इस बारे में विवरण दिया है।

जमलू के खजाने में अकबर का सिक्का!

जनश्रुति है कि जमलू देवता के भंडार में अकबर की एक प्रतिमा है। कहा जाता है कि अकबर के खजाने में जमलू के खजाने का रुपया जा पहुंचा। जमलू के चमत्कार के वशीभूत होकर अकबर ने देवता को सोने का सिक्‍का भेंट किया। किवदंती है कि देवता की शोभा यात्रा में इसे प्रदर्शित करते हैं, पर यह सिक्का आज तक किसी ने नहीं देखा।

मुस्लिम इतिहास में इसका कोई वर्णन नहीं मिलता। ऐसा उल्लेख है कि अबू फजल बजौरा तक आया था। हो सकता है कि उस समय उसने देवताओं को भेंट स्वरूप मुगल सिक्के दिए हों और मलाणा के देवता ने उसे संभाल कर रखा हो।

मलाणा के यूनानी सिक्के का सच

कहते हैं कि मालाणा में कोई युनानी सिक्‍का संभाल कर रखा गया है। इस सिक्के को आधार मान यह प्रचारित किया गया कि मलाणावासी सिकंदर के साथ आई सेना की एक टुकड़ी के सैनिक हैं।

इस विचार के पक्ष में इसको साबित करने का किसी के पास कोई पुख्ता आधार नहीं है। न ही मालाणा में मौजूद यूनानी सिक्का किसी ने आज तक देखा है। ऐसे में यही कहा जा सकता है कि यूनानी सिक्के की बात सुनी- सुनाई ही है।

मलाणा का देवता जमलू कौन है?

जमलू को स्थानीय भाषा में देऊ कहा जाता है। कुल्लू जनपद में 12 स्थानों पर जमलु देवता की प्रधानता है, लेकिन मूल स्थान मलाणा ही माना जाता है।

एक जनश्रुति के अनुसार जमलू के एक भाई लाहुल में सर्वमान्य देवता घेंपन है। दोनों देवताओं के प्रतीक एक- दूसरे से मिलने को जाते हैं। इनका एक अन्य भ्राता बुशैहर में प्रतिष्ठित बताया जाता है। बेशक कई लोग जमलू को जन्मदाग्नि ऋषि का बिगड़ा रूप कहते हो, लेकिन जमलू एक लोक देवता है।

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