इंदिरा शर्मा : कैंसर को मात, देहदान की सौगात
-
हिमालयन डायमंड एकेडमी की संस्थापक इंदिरा के जीवट की कथा
पौमिला ठाकुर/ मनाली
यह प्रेरककथा है जीवट की धनी इंदिरा शर्मा की, जिसने जीवन के प्रति ललक के बलबूते न केवल कैंसर जैसी बीमारी को मात दी है, बल्कि देहदान देकर मानवता की अनूठी मिसाल पेश की है।
मनाली की इंदिरा शर्मा हिमाचल प्रदेश की प्रथम देहदानी महिला हैं, जिन्होंने जीते जी अपना शरीर पीजीआई चंडीगढ़ को दान कर एक अनूठी मिसाल पेश की है।
कैंसर के उपचार से संबधित बार-बार फॉलोअप के लिए जाने के बावजूद इंदिरा शर्मा का मनोबल नहीं टूटा। बीमारी से लड़ते – लड़ते जीवन के प्रति उनकी उम्मीद और बलबती होती गई।
बीमारी से जुझते हुए इंदिरा ने अपनी उम्मीदों के आसमान पर ऊंची उड़ान भरी है और की जरूरतमंदों के लिए उम्मीद की किरण बनी हैं।
समाजसेवा के प्रति समर्पण
कुल्लू के कालीचरण एवं दुर्गा देवी के घर 25 दिसंबर 1953 को पैदा हुईं इंदिरा शर्मा के व्यक्तित्व के प्रत्येक पहलू से समाजसेवा व देशहित का संबंध है।
बचपन से ही मेधावी छात्रा रही इंदिरा ने स्नातक की डिग्री चंडीगढ़ से ली और मनाली के व्यवसायी इकबाल से वैवाहिक बंधन में बंधीं। दो होनहार पुत्रों की मां इंदिरा शर्मा साल 1982 में कांग्रेस की जिला महासचिव बनीं। सियासत और समाज सेवा में सक्रीय इंदिरा शर्मा ने हर मोर्चे पर अपना बेस्ट देने की कोशिश की है।
परिवार और राजनीति में संतुलन
समाजसेवा एवं राजनीतिक भागम-भाग के बीच इंदिरा ने कभी भी घर- परिवार को नजरंदाज नहीं होने दिया। दोनों बेटों को बड़ा होने तक राजनीति से लंबा अवकाश लेकर पूर्ण रूपेण गृहस्थ जीवन के प्रति समर्पित रहीं।
साल 2005 में इंदिरा मनाली शहर की कॉउंसलर बनीं। वे महिला कांग्रेस की जिला उपाध्यक्ष एवं प्रवक्ता भी रहीं।
रेडक्रॉस कुल्लू की प्रथम महिला पैटर्न
इंदिरा शर्मा रेडक्रॉस कुल्लू जिला की प्रथम महिला पैटर्न रह चुकी हैं। इंदिरा ने ‘हिमालयन डायमंड एकेडमी’ की स्थापना की। उनकी संस्था ‘हिमालयन डायमंड अकेडमी’ महिलाओं व बच्चों की ग्रूमिंग व व्यक्तित्व निर्माण के लिए शिविर लगाती है। महिलाओं और बच्चों के मानसिक और बौद्धिक विकास में उनकी एकेडमी ने शानदार काम किया है।
मनाली में डीएवी स्कूल की संस्थापक
मनाली में कोई बड़ा स्कूल न होने पर इंदिरा शर्मा ने साल 1982 में मनाली में डीएवी स्कूल आरंभ किया, जिसमें कई वर्षों तक वाइस प्रिंसिपल रहीं। शिक्षा के क्षेत्र में मनाली के डीएवी स्कूल की अहम भूमिका रही है। इस स्कूल ने कई हीरे तराशे हैं, जो सार्वजनिक जीवन में शानदार भूमिका अदा कर रहे हैं।
महिलाओं और बुजुर्गों के लिए प्रयास
इंदिरा शर्मा ने सामाजिक दायित्व निभाते हुए ग्रामीण महिलाओं खासकर बुजुर्गों की दुर्दशा देख कर वृद्धों एवं असहायों के कुछ करने की पहल की। उनके इन प्रयासों से ऐसे कई पीड़ितों को मदद मिली और हाशिये पर धकेल दिये गए ऐसे लोगों को जीने का मकसद मिला। वर्ष 2010 में इंदिरा शर्मा ने सेवाग्राम नाम से एक गैर सरकारी संगठन बना कर इस दिशा में पहल की।
कैंसर से किए दो-दो हाथ
भाग्य की विडंबना देखिए कि लोगों की मदद के लिए हमेशा तैयार रहने वाली इंदिरा शर्मा को कैंसर ने जकड़ लिया। इस बात की जानकारी होने पर उन्होंने डरने के बजाए बीमारी से लड़ने का फैसला किया।
उपचार के लिए उन्हें चंडीगढ़ के कई चक्कर लगाने पड़े,लेकिन इससे वे टूटी नहीं और साल 2011 में कैंसर जैसी भयावह बीमारी को हरा कर फिर से सामाजिक जीवन में व्यस्त हो गईं।
कैंसर के प्रति जागरूकता का संदेश
कैंसर को मात देने के पश्चात इंदिरा शर्मा ने अपने एनजीओ के तले कैंसर के प्रति लोगों को जागरूक करना आरंभ किया। तब से वह निरंतर अपने मिशन के प्रति सजग और जागरूक हैं।
इसके अलावा महिला सशक्तिकरण और बुजुर्गों की संभाल को लेकर गंभीर हैं। सच में इंदिरा जैसी जीवन की धनी महिलाएं नारी शक्ति की परिचायक हैं।
इस विषय से संबन्धित अन्य पोस्टें –