किचन से शुरू कारोबार, 7,000 करोड़ का व्यापार

किचन से शुरू कारोबार, 7,000 करोड़ का व्यापार
Rajni-Bector-Cremica

विनोद भावुक/ऊना

कारोबारी सफलता हासिल करने के लिए बुलंद हौसले और सही आइडिया की जरूरत होती है। इस आइडिया को मेहनत के दम पर सफल कारोबार में बदल कर बुलंदियों तक पहुंचाया जा सकता है।

आज हम आपके लिए रजनी बेक्टर की कारोबारी सफलता की ऐसी ही कहानी लेकर आए  हैं,  जो शुरू तो घर के किचन से महज तीन सौ रुपए से हुई, लेकिन आज उनका कारोबारी साम्राज्य 7,000 करोड़ का बन चुका है।

उनके कारोबार की सफलता को देखते हुए साल 2021 में उद्योग और उद्यमिता में योगदान के कारण उन्हें देश के सबसे प्रतिष्ठित पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

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रजनी बेक्टर ने साल 2012 में ऊना में क्रिमिका की अपनी फैक्टरी लगाई थी। आइसक्रीम बिस्कुट, सॉस और मसालों के उत्पादन में क्रिमिका एक विश्व स्तरीय ब्रांड है।

कंपनी के ऊना के अलावा पंजाब के फिल्लौर, ग्रेटर नोयडा और मुंबई में भी यूनिट्स हैं। कंपनी ने चार हजार से ज्यादा लोगों को रोजगार प्रदान कर रही है।

कराची में जन्म, दिल्ली में पढ़ाई

उन्होंने 300 रुपये में एक ओवन खरीदा। इसके साथ ही घर में ही आइसक्रीम बनाना भी शुरू कर दिया। क्रिमिका की फांउडर एवं प्रबंध निदेशक रजनी आज देश-विदेश की लाखों महिलाओं के लिए प्रेरणा सत्रोत है।
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रजनी बेक्टर का जन्म कराची में हुआ था, लेकिन अपने जीवन के शुरुआती साल लाहौर में बिताए। पिता एक सरकारी कर्मचारी थे जो बहुत उच्च स्थिति में थे, लेकिन तब देश का विभाजन हुआ तो पलायन कर परिवार को दिल्ली आना पड़ा।

दिल्ली में रजनी ने अपनी पढ़ाई पूरी की। 1957 में जब वह केवल 17 वर्ष की थीं तो लुधियाना में एक कारोबारी परिवार में उनकी शादी हो गई।

300 रूपये से शुरूआत

वर्ष 1995 में मैकडॉनल्ड्स ने भारत में प्रवेश करने का निर्णय लिया। रजनी ने अपने उत्पादों की गुणवता के उच्च मापदंड निर्धारित किए। मैकडॉनल्ड्स ने ब्रीज की आपूर्ति के लिए रजनी की कंपनी क्रिमिका पर चुना।
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क्रिमिका की कामयाबी एक महिला उद्यमी के बिजनेस आइडिया की प्रेरककथा है। शादी के बाद जब बच्चे बोर्डिंग स्कूल गए तब उन्होंने पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी से बेकरी का कोर्स किया। वे जो भी बनाती वह परिवार और दोस्तों को खूब पसंद आता।

उन्होंने 300 रुपये में एक ओवन खरीदा। इसके साथ ही घर में ही आइसक्रीम बनाना भी शुरू कर दिया। क्रिमिका की फांउडर एवं प्रबंध निदेशक रजनी आज देश-विदेश की लाखों महिलाओं के लिए प्रेरणा सत्रोत है।

ऐसे पड़ी कंपनी की नींव

शुरुआत में रजनी को काफी चुनौतियों का सामना करना पड़ा। मांग ज्यादा थी और आर्थिक नुकसान भी हो रहा था। ऐसे में उनके पति धर्मवीर ने 20,000 रुपए का निवेश करके उनका साथ दिया।

इससे उन्हें आइसक्रीम बनाने की एक यूनिट लगाने में मदद मिली। उन्होंने अपने ब्रांड का नाम ‘क्रीम का’ से प्रेरित होकर ‘क्रेमिका’ रखा। शुरुआत आइसक्रीम से हुई और फिर धीरे-धीरे उन्होंने ब्रेड, बिस्कुट और सॉस भी बनाना शुरू कर दिया।

कारोबार का आइडिया हुआ हिट

रजनी ने यह सब मस्ती के लिए किया था। वह विभिन्न प्रकार की आइसक्रीम बनाती और स्थानीय मेलों में स्टॉल लगाने शुरू किए। यह बिजनेस आइडिया हिट हो गया और उसे अच्छी प्रतिक्रिया मिलनी शुरू हो गई।

इसके बाद रजनी को एक शादी समारोह के लिए दो हजार 2000 पुडिंग बनाने का ऑर्डर मिला।  पति ने मदद की और रजनी के कारोबार विस्तार और व्यवसायीकरण के लिए प्रेरित किया।

1978 में लगाई पहली फैक्टरी

रजनी ने साल 1978 में बीस हजार के निवेश के साथ अपनी कोठी के पीछे आइसक्रीम निर्माण इकाई की स्थापना की। साल 1990 में पंजाब में आतंकवाद उभर ही रहा था।  हिंदू व्यापारियों और सिक्ख किसानों के बीच तनाव के चलते रजनी के परिवार का सौ साल से पुराना अनाज, तेल और उर्वरक का कारोबार बुरी तरह से प्रभावित हुआ।

यही समय था जब रजनी के पति और तीनों बेटों से रजनी के बिजनेस आइडिया पर काम करना शुरू किया।  कुछ साल के अंदर कंपनी का  टर्नओवर 20 करोड़ पार कर गया।

मल्टीनेशनल कंपनियों के साथ काम

वर्ष 1995 में मैकडॉनल्ड्स ने भारत में प्रवेश करने का निर्णय लिया। रजनी ने अपने उत्पादों की गुणवता के उच्च मापदंड निर्धारित किए। मैकडॉनल्ड्स ने ब्रीज की आपूर्ति के लिए रजनी की कंपनी क्रिमिका पर चुना। क्रिमिका कंपनी का फिल्लोर स्थित फैक्टरी को कैडबरी और आईटीसी सनफेस्ट के लिए बिस्कुट बनाने के ऑर्डर मिले।

रजनी की कंपनी मिसेज बेक्टर्स के क्रिमिका फूड्स के ब्रांड से कंपनी बिस्कुट, सॉस और मसाले बेचती है। साल 2006 में क्रिमिका का वार्षिक राजस्व 30 प्रतिशत वार्षिक वृद्धि की दर से 100 करोड़ पार कर गया।

गोल्डमैन सनैक्स ने 50 करोड़ के साथ क्रिमिका की 10 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीद ली। 50 करोड़ निधि का इस्तेमाल क्रिमिका ने अपने व्यवसाय को आगे बढ़ाने और विस्तार करने के लिए किया।

आज है हजारों करोड़ का साम्राज्य

रजनी के सामने कई बाधाएं और संदेह खड़े करने वाले लोग थे, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। अपने दृढ़ संकल्प और परिवार के सहयोग से उन्होंने क्रेमिका को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया।

आज क्रीमिका भारत की दूसरी सबसे बड़ी बिस्कुट निर्यातक कंपनी है। क्रेमिका के उत्पाद 60 से ज्‍यादा देशों में बिकते हैं।

प्रेरक है महिला सशक्तिकरण की कहानी

कंपनी उत्तर भारत में शादियों के लिए वेस्टर्न डेसर्ट की सबसे बड़ा सप्लायर भी है। कंपनी का सालाना टर्नओवर अब 7,000 करोड़ रुपये है। यह रजनी बेक्टर की उद्यमशीलता की भावना और दृढ़ता का प्रमाण है।

रजनी बेक्टर एक प्रेरणा हैं। उन्होंने साबित किया है कि कड़ी मेहनत और लगन से कुछ भी संभव है।

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