चितकारा : कोचिंग सेंटर से शुरु, दो यूनिवर्सिटीज की सौगात

चितकारा : कोचिंग सेंटर से शुरु, दो यूनिवर्सिटीज की सौगात
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वीरेंद्र शर्मा ‘वीर’/ चंडीगढ़

जिस दौर में पंजाब यूनिवर्सिटी का स्टूडेंट होना उत्तरी भारत के स्टूडेंट्स का पहला सपना होता था, उसी दौर में अशोक चितकारा पंजाब विश्वविद्यालय के गणित विभाग के स्टार शिक्षक थे। गणित शिक्षक के तौर पर उनका जादू स्टूडेंट्स के सिर चढ़ कर बोल रहा था।

उनके खाते में एक अनूठा रिकॉर्ड जुड़ चुका था कि एक साल में उनके पढ़ाए चालीस से ज्यादा स्टूडेंट्स आईआईटी में प्रवेश पाने में कामयाब रहे थे। आईआईटी के अलावा उनके स्टूडेंट्स प्रतिष्ठित पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज की अधिकांश सीटों के लिए चुने गए थे।

चंडीगढ़ को बनाया कर्मभूमि

मूल रूप से दिल्ली के अशोक बिहार के रहने वाले अशोक दिल्ली विश्वविद्यालय में शिक्षा में मास्टर डिग्री (एम.एड) के लिए आवेदन करने की अंतिम तिथि से चूक गए थे, इसलिए वह चंडीगढ़ आ गए और फिर यहीं के होकर रह गए।

साल 1977 में शिक्षा में स्नातकोत्तर की और फिर डॉक्टरेट की पढ़ाई की। डॉक्टरेट करने के बाद अशोक ने घर पर ही स्टूडेंट्स को ट्यूशन पढ़ानी शुरू कर दी थी। बाद में विश्वविद्यालय में ही प्रोफेसर हो गए।

अशोक प्रतिदिन 12 घंटे विश्वविद्यालय में पढ़ाते थे और 4 घंटे अपने कोचिंग सेंटर में स्टूडेंट्स को कोचिंग देते थे। साल 2008 तक इस कोचिंग संस्थान की चंडीगढ़ में तूती बोलती थी।

चितकारा एजुकेशनल ट्रस्ट की नींव

चितकारा एजुकेशनल ट्रस्ट की स्थापना वर्ष 1998 में कॉलेजों में इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी पढ़ाए जाने के तरीके में क्रांति लाने के उद्देश्य से की गई थी।

इस शिक्षा ट्रस्ट के माध्यम से यूनिवर्सिटी पंजाब और बद्दी तथा चितकारा इंटरनेशनल स्कूल चंडीगढ़ और पंचकुला की नींव रखी। आज इस एजुकेशन ग्रुप की अपनी खास साख है।

विस्तार की राह पर ग्रुप

चितकारा ग्रुप विस्तार कर रहा है। विश्ववविद्यालय प्रशासन ने अपने परिसर में कई आधुनिक सुविधाएं, कई नए ब्लॉक, हॉस्टल, प्रयोगशालाएं और खेल मैदान जोड़े हैं।

अपनी प्रगति पर संतुष्ट अशोक उस बात को नहीं भूले हैं कि चितकारा इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी राजपुरा और चितकारा विश्वविद्यालय, बद्दी पर फोकस करने के लिए अपने स्थापित कोचिंग सेंटर को बंद कर दिया था।

हर स्टूडेंट पर फोकस

अशोक कहते हैं कि स्टूडेंट्स विश्वविद्यालय के एडमिनिस्ट्रेशन डायरेक्टर को जेल सुपरिटेंडेंट कहते हैं। ऐसा कई कारणों से है। स्टूडेंट्स के माता- पिता के लिए अपने बच्चे की दैनिक उपस्थिति की जांच करने का विकल्प है।

स्टूडेंट्स के लिए शाम 4:20 बजे से पहले निकलने का कोई प्रावधान नहीं। कोई बंक नहीं करना, किसी प्रकार की रैगिंग नहीं, कक्षाओं, प्रयोगशालाओं और छात्रावास गलियारों में सीसीटीवी कैमरे लगे हैं।

राजपुरा और बद्दी में यूनिवर्सिटीज

पंजाब के राजपुरा में चितकारा परिसर साल 2010 तक पंजाब तकनीकी विश्वविद्यालय से संबद्ध था। वर्ष 2011 ने चितकारा यूनिवर्सिटी पंजाब बन गया और फिर इस ग्रुप ने बद्दी में यूनिवर्सिटी की स्थापना की।

वर्तमान में दोनों विश्वविद्यालय परिसर मैकेनिकल इंजीनियरिंग, कंप्यूटर विज्ञान इंजीनियरिंग, इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग, सिविल इंजीनियरिंग, बी.एससी फार्मेसी, जन संचार, वास्तुकला, आतिथ्य, व्यवसाय प्रशासन, ऑप्टोमेट्री जैसे कई क्षेत्रों में स्नातक पाठ्यक्रम प्रदान करते हैं।

पाने के लिए कुछ खोना पड़ता है

अशोक  के मन में हमेशा से एक उद्यमी बनने की तीव्र इच्छा थी। उन्होंने अपने उद्यम पर ध्यान केंद्रित करने के लिए अपने चले चलाए कोचिंग व्यवसाय को छोड़ दिया। वह हमेशा इसी सवाल का जवाब ढूंढते थे कि यदि वह किसी विश्वविद्यालय में पा सकते हैं, तो फिर अपना विश्वविद्यालय क्यों नहीं खोल सकते? अशोक का कहना है कि वह पैसे कमाने के शिक्षा के क्षेत्र में नहीं आए हैं।

वह कहते हैं, ‘अन्य संस्थानों के विपरीत, हम कोई कैपिटेशन फीस नहीं लेते हैं और हमने अपना प्रबंधन कोटा भी छोड़ दिया है। हम ईमानदारी सबसे अच्छी नीति है के आदर्श वाक्य में विश्वास करते हैं और हम यहां पैसा कमाने के लिए नहीं हैं।

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