तीर्थन में होम स्टे : महिलाओं के हाथ कमान, पर्यटन चढ़ा परवान

तीर्थन में होम स्टे : महिलाओं के हाथ कमान, पर्यटन चढ़ा परवान
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विनोद भावुक/ तीर्थन 

कुल्लू जिले की तीर्थन घाटी की महिलाएं होम स्टे योजना के तहत पर्यटन विकास की नई इबारत लिख रही हैं। हाल ही में हुई एक स्टडी से पता चला कि परिवार के पुरुषों की तुलना में होमस्टे कार्यक्रम में स्थानीय समुदाय की महिलाएं अधिक कुशल हैं।

स्टडी के परिणाम बताते हैं कि इस घाटी में होमस्टे को मुख्य रूप से महिलाएं चला रहीं हैं, जो खाना पकाने, योजना बनाने, प्रबंधन करने और मेहमानों के साथ बातचीत करने जैसी गतिविधियों में शामिल होती हैं।

शारदा यूनिवर्सिटी नोएडा की रिसर्च स्कॉलर सुमेधा अग्रवाल और एसोसिएट प्रोफेसर शशांक मेहरा ने ‘तीर्थन घाटी में होमस्टे का सामाजिक-आर्थिक योगदान’ विषय पर अध्ययन किया है।

लैंगिक समानता का शानदार अवसर

अध्ययन के परिणाम बताते हैं कि तीर्थन घाटी में होमस्टे महिलाओं के लिए लैंगिक समानता का एक शानदार अवसर है।
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अध्ययन के परिणाम बताते हैं कि तीर्थन घाटी में होमस्टे महिलाओं के लिए लैंगिक समानता का एक शानदार अवसर है। होमस्टे कारोबार का महिला स्वामित्व महिलाओं के लिए नियमित आय सृजन में मदद कर रहा है और वे विकास की मुख्यधारा में शामिल हो रही हैं।

स्थानीय गाइड, पर्यटकों को हाथ से बने स्मृति चिन्ह बेचने वाली और खाने-पीने की दुकानें चलाने वाली महिलाओं का मानना ​​है कि होमस्टे से होने वाली आय ने उनके जीवन में महत्वपूर्ण बदलाव किया है। इससे घाटी की महिलाओं में उपलब्धि और भागीदारी की भावना बढ़ी है।

होम स्टे से बढ़ रहा है रोजगार

होम स्टे से तीर्थन क्षेत्र में पर्यटन गतिविधियों से बहुत सारे रोजगार के अवसर पैदा हुए हैं। घाटी में पर्यटकों की संख्या बढ़ रही है, इसलिए अधिक नौकरियां और रोजगार पैदा हो रहे हैं।
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होम स्टे से तीर्थन क्षेत्र में पर्यटन गतिविधियों से बहुत सारे रोजगार के अवसर पैदा हुए हैं। घाटी में पर्यटकों की संख्या बढ़ रही है, इसलिए अधिक नौकरियां और रोजगार पैदा हो रहे हैं।

टूर गाइड, मत्स्य विशेषज्ञ, साहसिक खेल विशेषज्ञ और प्रकृति विशेषज्ञों जैसे कई क्षेत्रों में रोजगार के अवसर पैदा किए हैं। हाउसकीपर, रसोइया और टैक्सी चालक जैसी नौकरियां भी बढ़ी हैं।

लोगों के जीवन स्तर में हुई बढ़ोतरी

होमस्टे के विकास से तीर्थन घाटी के जीवन स्तर में वृद्धि हुई है। होमस्टे ने स्वच्छता, स्कूल, मनोरंजन के मैदान और पुस्तकालय जैसी सुविधाओं के विकास को बढ़ावा दिया है।

अब तीर्थन घाटी सड़क, पेयजल, सीवरेज और जल निकासी, सार्वजनिक शौचालय, बिजली, सुरक्षा और संचार जैसी बुनियादी सुविधाओं से सुसज्जित है।

घाटी से रुकने लगा पलायन

होमस्टे के चलते स्थानीय आबादी के पास अब आय का एक वैकल्पिक स्रोत है, जो उन्हें उन मौसमों में आर्थिक मदद करता है, जब खेती नहीं होती है।

होमस्टे परिवार को आर्थिक रूप से सहारा देता है और उनके पास पूरे साल आय का एक नियमित स्रोत होता है।अध्ययन के नतीजे बताते हैं कि होम-स्टे की विभिन्न पर्यटन गतिविधियों के माध्यम से उत्पन्न अतिरिक्त आय के कारण गरीबी में कमी आई है।

नौकरी की तलाश में दूसरे शहरों में पलायन करने वाले युवा रोजगार और उद्यमशीलता के भरपूर अवसर होने के कारण घर लौटने लगे हैं।

साक्षरता दर बढ़ी, सोशल मीडिया में एक्टिव

होम स्टे साक्षरता दर में भी वृद्धि का बड़ा कारण बने है और घाटी के लोग उच्च शिक्षा के लिए प्रेरित हो रहे हैं। अधिकतर होमस्टे मालिक कंप्यूटर का उपयोग कर रहे हैं और सोशल मीडिया के जरिये अपने उत्पादों और सेवाओं के बारे में डिजिटल वर्ल्ड को सूचित कर रहे हैं।

स्थानीय लोग पर्यावरण के अनुकूल प्रथाओं और जिम्मेदार पर्यटन के प्रति गंभीर हैं। उन्हें पता है कि भविष्य में घाटी को बनाए रखने के लिए उन्हें जिम्मेदार मेजबान बनना होगा।

वोकल फॉर लोकल को प्रमोट कर रहे होम स्टे

स्थानीय लोगों ने घाटी की संस्कृति के साथ-साथ अपनी प्रकृति को संरक्षित किया है। होम स्टे ने आधुनिक जीवन शैली की खातिर इसे छोड़ने के बजाए पारंपरिक तरीकों से बने रहने, पारंपरिक घर बनाने और स्थानीय त्योहारों को मनाने के लिए अधिक प्रेरित किया है।

स्थानीय स्तर पर पैदा होने वाली वस्तुओं जैसे शहद, ऊनी कपड़े, लकड़ी के उत्पाद और खाद्य पदार्थ बेचने का अवसर भी होम स्टे प्रदान कर रहे हैं।

यूनेस्को विश्व धरोहर में होम स्टे

यह अध्ययन तीर्थन घाटी और गुशैणी और बंजार के क्षेत्रों में उपलब्ध होमस्टे पर केंद्रित है। यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल नेशनल हिमालयन पार्क का गेटवे तीर्थन घाटी कुल्लू जिले में एक इको ज़ोन है। यूनेस्को ने वर्ष 2014 में एक प्राकृतिक विश्व धरोहर स्थल घोषित किया।

तीर्थन घाटी हिम तेंदुआ, सीरो, कस्तूरी मृग सहित कई प्रजातियों का घर है जिन्हें संकटग्रस्त स्तनधारी माना जाता है। वैश्विक रूप से लुप्तप्राय पश्चिमी ट्रैगोपैन, कोकलास और चीयर तीतर जैसे पक्षियों की मौजूदगी के साथ कई प्रकार के औषधीय पौधे।

1600 मीटर की ऊँचाई पर स्थित यह क्षेत्र देवदार के जंगलों सहित विभिन्न प्रकार की वन संपदा सहित हिमालयी गाँवों से भरा हुआ है।

तीर्थन एक ऑफ-बीट डेस्टिनेशन

तीर्थन एक ऑफ-बीट डेस्टिनेशन है। विभिन्न साहसिक गतिविधियों जैसे ट्रैकिंग, एंगलिंग , वन्यजीवों को देखना और पहाड़ियों में स्थित अनदेखे गाँवों की खोज के लिए एक आदर्श स्थान है। प्राकृतिक सौंदर्य अनुभव के अलावा यह घाटी वर्ड वाचिंग के लिए भी मशहूर है।

सरलोसर झील के लिए जालोड़ी दर्रे की ट्रेकिंग का आनंद लिया जा सकता है। तीर्थन नदी मार्च से अक्टूबर तक ट्राउट की एंगलिंग का अवसर प्रदान करती है।

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