शोभा सिंह ने मैडल देख बना दी थी कर्नल बैटी की पेंटिग
विनोद भावुक/ धर्मशाला
साल 1986 में आज ही के रोज संत चित्रकार सरदार शोभा सिंह ने अपनी सांसारिक यात्रा पूरी की थी। दार जी के नाम से संबोधित किए जाने वाले इस चित्रकार का जुनून देखिये कि उहल परियोजना के निर्माता अंग्रेज कर्नल बैटी की तस्वीर बनाने के लिए इस परियोजना के लिए बरोट से जोगेंद्रनगर तक बिछाई गई पाईप लाइन के रास्ते पैदल सफर किया था।
सरदार शोभा सिंह ने सार्वजनिक जीवन में कर्नल बैटी को मिले मेडलों व अलंकरणों का चित्रण करने और तस्वीर के पृष्ठभाग में दिखाए गए लैंडस्केप के लिए कर्नल बैटी की जीवनी को गहरे से पढ़ा था।
चित्रकर के दोहते एवं शोभा सिंह आर्ट गैलरी के सचालक डॉ. हृदयपाल सिंह ‘सरदार सोभा सिंह धौलाधार के साये में’ पुस्तक में लिखते हैं कि सरदार सोभा सिंह की बनाई कर्नल बैटी की तस्वीर को देखकर ऐसा प्रतित होता है कि मानो कर्नल बैटी की आत्मा का निवास अभी तक परियोजना स्थल पर ही है। यह तस्वीर आज भी जीवंत लगती है।
उहल रेस्टहाउस में लगी तस्वीर
मंडी के जोगेंद्रनगर स्थित उहल परियोजना के रेस्टहाउस में परियोजना के निर्माता अंग्रेज कर्नल बैटी की आदमकद तस्वीर सुशोभित है। शोभा सिंह की बनाई यह अदभुत तस्वीर देखना इसलिए खास है, क्योंकि कर्नल बैटी की यह तस्वीर बनाने के लिए उनकी कोई फोटो उपलब्ध नहीं थी।
चित्रकार ने कांसे के मैडल पर उकेरी उनकी आकृति को देखकर ही यह तस्वीर बनाई थी। तस्वीर को बनाने के लिए उन्होंने कर्नल बैटी के व्यक्तित्व का गहन अध्ययन किया था।
गैलरी में पचास ऑरिजनल पेंटिंग्स
हिमाचल प्रदेश में वर्तमान में इन महान चित्रकार की बनाईं 100 से ज्यादा मूल तस्वीरें मौजूद हैं, जिनमें लैंडस्केप, पोट्रेट, धार्मिक गुरूओं, पीरों पैगंबरों के चित्र व स्थानीय जनजीवन के चित्रण की उत्कृष्ठ तस्वीरें शामिल हैं।
डॉ. हृदयपाल सिंह बताते हैं कि अंदरेटा स्थित सोभा सिंह आर्ट गैलरी तथा कलाकार के परिजनों के संरक्षण में उनकी 50 मौलिक तस्वीरें हैं।
प्राइवेट कलेक्शन में कई तस्वीरें
प्रदेश के कई व्यक्तियों के निजी संग्रहों में इस चित्रकार की बनाई कई तस्वीरें शामिल हैं। शिमला के कैथू स्थित गुरूद्वारे में उनकी बनाई गुरू नानक की पेंटिंग दर्शनीय है। शिमला के ही चौड़ा मैदान के गंडोत्रा परिवार के पास उनकी बनाई दो तस्वीरें मौजूद हैं, जिनमें रिवालसर का एक बेहतरीन लैंडस्केप शामिल है।
सिरमौर के जिलाधीश कार्यालय में उनका बनाया हिमाचल निर्माता डॉ. वाईएस परमार का शानदार पोट्रेट अब तक शोभामान है। डॉ. हृदयपाल सिंह बताते हैं कि मंडी व बिलासपुर के राज परिवारों के पास भी उनकी बनाई आधा दर्जन पेंटिंग मौजूद हैं।
उकेरीं कई धर्मगुरूओं की पेंटिग्स
चित्रकार ने तिब्बती धर्मगुरू दलाई लामा सहित कई बौद्ध धर्म गुरुओं की पेंटिंग बनाई हैं। बैजनाथ के टॉसीजांग में स्थित उनकी बनाई एक विशाल तस्वीर में चित्रकार की विलक्षण प्रतिभा के दर्शन होते हैं।
अस्सी के दशक में जब सिद्वबाड़ी में आश्रम का निर्माण शुरू हुआ तो स्वामी चिन्मयानंद से उनकी नजदीकियां बढ़ने लगीं।
शोभा सिंह स्वामी चिन्मयानंद की एक आदमकद तस्वीर बनाकर भेंट की। स्वामी चिन्मयानंद ने भी इस महान कलाकार को चलने के लिए तीन छड़ियां भेंट की, जो संग्रहालय में संरक्षित की गई हैं।
चित्रकार को आया राष्ट्रपति का बुलावा
चित्रकार ने सेना को सैंकड़ों तस्वीरें बना कर दीं। चित्रों के सिलसिले में सैन्य अधिकारियों का उनके यहां आना जाना रहा। जब महाराष्ट्र के खड़गवासला में तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. नीलम संजीवा रैड्डी एक रेजिमेंट को धवज व कलर प्रदान करने वाले थे तो इस महान चितेरे को विशेष तौर पर वहां बुलाया गया, ताकि ध्वज प्रदान करने की प्रक्रिया का बाद में चित्रण करने में सुविधा रहे।
खुद सैनिक रहे, सैनिकों की बनाईं तस्वीरें
परमवीर चक्र विजेता मेजर होशियार सिंह की तस्वीर गैलरी की सुशोभित है, तो एक गोरखा जवान की तस्वीर चित्रकार के परिजनों के पास मौजूद है। सोभा सिंह का जनरल गोवर्धन जम्वाल, जनरल केवी कृष्णाराव और जनरल वीएन शर्मा के साथ चित्रों को लेकर पत्राचार रहा।
वे खुद एक सैन्य पृष्ठभूमि वाले परिवार में जन्मे थे और एक सैनिक जैसे अनुशासन वाले कलाकार थे। योट, होल्टा कैंप व अलहिलाल जैसी सैन्य छावनियों के सैन्य अफसर उनकी कला के मुरीद थे।
जम्मू- कश्मीर में कलाकार की पेंटिंग
शोभा सिंह ने जम्मू- कश्मीर के सदरे रियासत, बाद में केंद्रीय मंत्री व राजदूत रहे डॉ. कर्ण सिंह के लिए बीस तस्वीरें बनाई। इन तस्वीरों में उनकी माता की तस्वीर, पर्वतों का सौंदर्य, धर्म-दर्शन व जीवन दर्शन का अनूठा प्रतिबिंब मिलता है। यह तस्वीरें जम्मू में डॉ. कर्ण सिंह के प्राइवेट कलेक्शन का हिस्सा हैं।
खास हो गए तस्वीरों में ढले आम लोग
इस महान चित्रकार ने आम लोगों को भी अपनी चित्रकारी का हिस्सा बनाया है। उनका वर्षफल बनाने वाले पंड़ित चरणदत्त ज्योतिषी, पालमपुर के श्रद्वालु विद्या सागर के माता-पिता की तस्वीर, बैजनाथ के कशमीर सिंह कटोच, वाह टी इस्टेट परिवार पालमपुर, मान टी इस्टेट परिवार धर्मशाला, श्रीमती सीएल गुप्ता शिमला जैसे अनेक परिवार हैं, जिनके पास सोभा सिंह की बनाई उनकी तस्वीरें मौजूद हैं।
शिमला कॉन्फ्रेंस का पोस्टर डिजायन
साल 1945 में उन्होंने एक साल के लिए शिमला में भारतीय रेल विभाग में मुख्य चित्रकार के तौर पर कार्यरत रहे। ऐतिहासिक शिमला कॉन्फ्रेंस के मूल पोस्टर का डिजाइन उन्होंने यहां रहते ही तैयार किया। साल 1947 में भारत विभाजन के दौरान लाहौर के अनारकली बाजार में अपना स्टूडियो छोड़ दिल्ली आ गए।
कलाप्रेमी पुनर्वास आयुक्त डॉ. एमएस रंधावा के सहयोग से उन्होंने विस्थापित लोगों के लिए चंदा जुटाने की खातिर भारत सरकार की ओर से पोस्टर बनाए। अंबाला शहर में चित्रों की एक प्रदर्शनी लगाई और कई तस्वीरों के ऑर्डर लेकर अंद्रेटा लौट आए।
1952 में बनी शोभा सिंह आर्ट गैलरी
साल 1952 में गांव में ही कलाकार ने कलादीर्घा का निर्माण किया। अंद्रेटा में रहते हुए चित्रकार ने रिवालसर, खजियार, धौलाधार व कांगड़ा घाटी की खूबसूरती को कैनवास पर उतारा तो कर्नल बैटी, हिमाचल निर्माता डॉ. वाई एस परमार जैसे कई पोट्रेट भी बनाए। 1986 तक चार दशक में एक छोटे से गांव को अपनी कला साधना से अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई।
‘कांगड़ा कला केंद्र’ की स्थापना
शोभा सिंह ने लुप्त हो चुकी कांगड़ा कलम और कांगड़ा के लोकगीतों की खोजपूर्ण जानकारी जुटाने के लिए कला प्रेमी डॉ. एमएस रंधावा को सहयोग दिया।
कांगड़ा घाटी के कलाकारों को पहचान दिलवाने के लिए उन्होंने डॉ. कर्ण सिंह के संरक्षण में बनाई गई ‘कांगड़ा कला केंद्र’ संस्था के अध्यक्ष के तौर स्थानीय कलाकारों को प्रोत्साहित करने के लिए प्रदर्शनियां लगाईं। उन्होंने कई पेंटरों को संरक्षण दिया।
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