अंद्रेटा में सिखाया जाता है मिट्टी में जान डालने का हुनर

अंद्रेटा में सिखाया जाता है मिट्टी में जान डालने का हुनर

🍵दिल्ली ब्लू पॉटरी के संस्थापक गुरुचरण सिंह की विरासत है अंद्रेटा पॉटरी स्टूडियो
हिमाचल बिजनेस/ अंद्रेटा
👉हिमाचल प्रदेश का कलाग्राम कहे जाने वाले कांगड़ा जिला के अंद्रेटा गांव में मिट्टी में जान डालने का हुनर सिखाया जाता है। अंद्रेटा पॉटरी स्टूडियो में दुनिया भर के देशों से मिट्टी के बर्तन बनाने की कला सीखने के लिए युवा पहुंचते हैं। पिछले तीन दशक में यहां से 600 से अधिक विदेशी यहां से मिट्टी से बर्तन बनाने का हुनर सीख चुके हैं।
👉अंद्रेटा पॉटरी स्टूडियो दिल्ली ब्लू पॉटरी के संस्थापक गुरुचरण सिंह की विरासत है। वर्तमान में उनकी इस विरासत को शुभम सांख्यान संभाले हुए हैं। अंद्रेटा पॉटरी स्टूडियो ने जहां मिट्टी से बर्तन बनाने की पहाड़ की कला को सारी दुनिया तक पहुंचाया है, वहीं देश भर के कुम्हारों के जीवन में सामाजिक आर्थिक बदलाव में भी अहम भूमिका अदा की है।
👉आज भी यहां के कलाकरों के बनाए बर्तनों व अन्य सामानों की देश- दुनिया में खासी मांग है। यहां मिट्टी से बर्तन बनाने का तीन माह का प्रशिक्षण भी दिया जाता है।
👍नौरा के चलते नजर में आया अंद्रेटा
आयरिश थियेटर आर्टिस्ट नैरा रिचर्ड्स ने 1930 के दशक में उस वक्त कांगड़ा घाटी में अंद्रेटा गांव को कलाग्राम बनाने का फैसला किया, उस समय यह गांव बाहरी दुनिया के लिए पूरी तरह से अनजान था।
👉 उस दौर में गांव तक पहुंचने के लिए एक कठिन यात्रा की आवश्यकता होती थी, जिसमें 12 घंटे की ट्रेन की सवारी, उसके बाद एक बस की सवारी और पैदल या घोड़े की पीठ पर कई मील की दूरी शामिल होती है।
👍गुरुचरण सिंह ने की पॉटरी की शुरूआत
नौरा रिचर्ड्स ने खुद के लिए मिट्टी और लकड़ी का पारंपरिक कांगड़ा स्टाइल का घर बनाया और रंगमंच के लिए थियेटर का भी निर्माण किया। नौरा ने स्थानीय रंगमंच कर्मियों को नाटक खेलने के लिए बुलाना शुरू किया।
👉1940 -1960 के दो दशक के बीच पंजाब थियेटर आंदोलन के तौर पर अंद्रेटा ने अपनी पहचान बनाई। नौरा के जुनून को देखते हुए कई कलाकारों, चित्रकार, रंगकर्मी व फनकार इस गांव की ओर से आकर्षित हुए।
👉 बी सी सान्याल और सरदार सोभा सिंह जैसी हस्तियां यहां पहुंची। चित्रकार राम कुमार अक्सर यहां आते रहे तो अपनी जवानी के दिनों में पृथ्वीराज कपूर ने भी यहां थिएटर किया। दिल्ली ब्लू पॉटरी के संस्थापक गुरुचरण सिंह ने भी यहां घर बनाया और अंद्रेटा पॉटरी स्टूडियो की नींव रखी।
👍विरासत को संभाल रहे एयरोनॉटिक इंजीनियर
गुरुचरण सिंह के बाद में उनके बेटे मनिसिमरण सिंह ने स्थानीय कुम्हारों के साथ इस कला को नई उडाऩ दी। मनिसिमरण सिंह और उनकी पत्नी मैरी सिंह के साथ सीनियर मेनेजर जुगल किशोर से मिल कर इस काम को आगे बढ़ाया।
👉चूंकि इंगलैंड में रहने वाले मनिसिमरण सिंह के बच्चे पॉटरी के काम को आगे बढ़ाने में रूचि नहीं रखते थे, ऐसे में सीनियर मेनेजर जुगल किशोर की अचानक मृत्यु के बाद दिल्ली से एयरोनॉटिक इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे उनके बेटे शुभम सांख्यान ने अंद्रेटा पॉटरी स्टूडियों की विरासत को जिंदा रखने के लिए अपनी पढ़ाई को बीच में छोड़ कर स्टूडियों को संभालने को प्राथमिकता प्रदान की।

Jyoti maurya

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