एक रुपए के जुर्माने के लिए कर्नल बड़ोग ने क्यों की खुदकुशी?
हिमाचल बिजनेस/ सोलन
सोलन जिले में शिमला कालका राष्ट्रीय मार्ग पर शिमला से 65 किलोमीटर व चंडीगढ़ से लगभग 60 किलोमीटर दूर खूबसूरत हिल स्टेशन बड़ोग है। बड़ोग की पहचान बड़ोग सुरंग की वजह से है। कालका-शिमला रेलमार्ग पर इस रेल मार्ग की सबसे लंबी सुरंग बड़ोग सुरंग है।
1143.61 मीटर लंबी यह सुरंग देश में मानव श्रमशक्ति द्वारा बनाई पहली सुरंग है। इस सुरंग के निर्माण को लेकर कई कहानियां सौनाई जाती हैं। सुरंग के निर्माण के साथ ब्रिटिश राज के एक इंजीनियर और उनके पालतू कुत्ते की मौत की कड़वी यादें जुड़ी हैं।
नहीं मिले सुरंग के दोनों सिरे
कालका-शिमला रेलमार्ग रेल मार्ग के निर्माण का जिम्मा अंग्रेज रेलवे इंजीनयिर कर्नल बड़ोग के पास था। उनके मार्गदर्शन में बड़ोग सुरंग का निर्माण कार्य चल रहा था, लेकिन सुरंग निर्माण के समय सुरंग के दोनों छोर आपस में मिल नहीं पाए। स्टेशन से ऊपर की ओर पुरानी सुरंग का मोहना है जिसे लोहे के गेट से बंद किया गया है।
अंग्रेज सरकार ने कर्नल बड़ोग पर एक रुपए का दंड लगाया, जिसकी शर्मिंदगी महसूस करते हुए कर्नल बड़ोग ने खुद को और अपने पालतू कुत्ते को गोली मार कर जीवन समाप्त कर लिया था।
भलकु के मार्गदर्शन में बनी सुरंग
इसके बाद मुख्य अभियंता एच. एस. हैरिंग्टन के नेतृत्व में इस सुरंग का काम शुरू हुआ, जिसमें भलकू जमादार का मार्गदर्शन खास था। अनपढ़ होने के बावजूद भलकू इस सुरंग के निर्माण का मुख्य हीरो बन उभरा था।
उनके मार्गदर्शन में काम फिर से शुरू हुआ और साल 1900 से सितंबर 1903 के बीच इस सुरंग का निर्माण पूर्ण हुआ।
संरक्षित हैं ब्रिटिश राज की निशानियां
बड़ोग रेलवे स्टेशन पर रेलवे का खूबसूरत विश्राम गृह है। रेलवे स्टेशन का निर्माण इस प्रकार किया गया है कि इसके नीचे से कूहल बहती है। ब्रिटिश हुकूमत की कई वस्तुएं आज भी इस रेलवे स्टेशन पर संरक्षित व चालू हालत में हैं।
इस स्टेशन पर साल 1903 में एस.डब्ल्यू बेनसन कंपनी की हाथ से घुमाने वाली घड़ी मौजूद है। स्टेशन के विश्राम गृह में इंग्लैंड की प्लेट तथा डायनिंग टेबल और कुर्सियां हैं। रेलवे ने इन ऐतिहासिक वस्तुओं को संरक्षित करके रखा गया है।
तेज़ी से निर्माण ने छीनी सुंदरता
बड़ोग एक छोटा सा सुंदर हिल स्टेशन है। यहां से चूड़धार पर्वतमाला, डगशाई, कसौली तथा सोलन के बाहरी क्षेत्रों ओच्छघाट और धारों की धार पर्वतमाला के खूबसूरत दृश्य दिखाई देते हैं।
पिछले कुछ सालों में तेज़ी से इस हिल स्टेशन पर निर्माण कार्य हुए। बड़ोग पहाड़ी तथा इसके आस-पास के क्षेत्रों में अनेक होटल, घर तथा फ्लैट बनाने से अब बड़ोग की सुंदरता पहले जैसी नहीं रही है।
ब्रिटिश इंजीनियर के नाम पर बड़ोग
इंजीनियर कर्नल बड़ोग के नाम पर इस स्थान का नाम पड़ा है। वर्ष 1903 में इस कालका- शिमला रेल मार्ग पर रेलों की आवाजाही आरंभ हो गई थी। वर्ष 2003 में कुम्हारहट्टी से सोलन के बीच बाईपास का निर्माण हुआ।
कुम्हारहट्टी से बड़ोग व सोलन से बड़ोग तक मार्ग की दोनों ओर से चढ़ाई है और बड़ोग समुद्रल से 1500 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। चंडीगढ़- शिमला फोरलेन के चलते अब सोलन तथा कुम्हारहट्टी के बीच सुरंग बन गई है।
मेजबानी को तैयार बड़ोग
बड़ोग सैलानियों को यहां ठहरने के लिए अब भी आकर्षित करता है। यहां वर्ष भर सैलानियों का तांता लगा रहता है। सैलानियों की मेजबानी के लिए बड़ोग में हिमाचल पर्यटन निगम का होटल है।
अब बड़ोग में एक से बढ़ कर एक प्राइवेट होटल भी बन गए हैं। बड़ोग के छोटे से बाजार में जरूरत की हर चीज उपलब्ध हो जाती है। वीकएंड पर चंडीगढ़ के कई पर्यटक यहां दौड़े चले आते हैं।
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