कांगड़ा में इलैक्ट्रो होम्योपैथी पढ़ेंगे डॉक्टर
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सर्वोदय इंस्टीट्यूट ऑफ इलैक्ट्रो होम्योपैथी एंड रिसर्च सेंटर बगली का फ़र्स्ट सेशन
विकास चौहान, बगली(धर्मशाला)
कांगड़ा में इलैक्ट्रो होम्योपैथी की पढ़ाई कर देश भर के युवा इलैक्ट्रो होम्योपैथी डॉक्टर बनेंगे। सर्वोदय इंस्टीट्यूट ऑफ इलैक्ट्रो होम्योपैथी एंड रिसर्च सेंटर का फ़र्स्ट सेशन नवनिर्मित परिसर बगली से एक सितंबर से शूरु हो रहा है। इसी के साथ कांगड़ा में एक बड़े शिक्षण एवं अनुसंधान संस्थान की शुरुआत हो रही है।
संस्थान के निदेशक डॉ सुरेंद्र ठाकुर ने बताया कि उनका संस्थान बगली स्थित सर्वोदय भवन से संचालित किया जा रहा प्रदेश का पहला शिक्षण संस्थान है, जहां तीन वर्षीय डिप्लोमा की नियमित पढ़ाई के बाद एक वर्ष व्यवहारिक ज्ञान भी दिया जाएगा।
प्रवेश परीक्षा की पहली लिस्ट जारी
अखिल भारतीय स्तर पर इलैक्ट्रो होम्योपैथी में चार वर्षीय डिप्लोमा कोर्स में प्रवेश पाने के लिए आईईआरई दिल्ली द्वारा आयोजित परीक्षा के मेधावी स्टूडेंट्स की पहली लिस्ट जारी कर दी। 17 अगस्त को प्रवेश परीक्षा आयोजित की गई थी, जिसमें देश भर के मेडिकल संकाय में बारहवीं उत्तीर्ण छात्रों ने परीक्षा दी थी।
डॉ सुरेंद्र ठाकुर ने बताया कि उनके संस्थान में प्रवेश प्रक्रिया 26 से 31अगस्त तक पूरी होगी। संस्थान की तरफ से बाहरी राज्यों से पढ़ने आने वाले स्टूडेंट्स को हॉस्टल की सुविधा उपलब्ध कराई गई है।
दवाई निर्माण पर होगी रिसर्च
डॉ सुरेंद्र ठाकुर का कहना है कि हिमाचल प्रदेश में अनगिनत वनौषधियों के भंडार मौजूद हैं जिनसे इस पद्धति की दवाएं तैयार होती हैं। बगली में विभिन्न जड़ी- बूटियों से बनाने वाली विभिन्न तरह की दवाइयां बनाने के लिए अनुसंधान किया जाएगा और इलैक्ट्रो होम्योपैथी की तरह की दवाइयों का निर्माण किया जाएगा।
संस्थान पहले से ही दवा निर्माण के क्षेत्र में जुटा है और चंबा में प्रॉडक्शन यूनिट स्थापित किया है। संस्थान की बनाई दवाइयां देश भर में मिलती हैं।
सेंटर में हो रहा रोगियों का उपचार
डॉ सुरेंद्र ठाकुर का कहना है कि सर्वोदय इंस्टीट्यूट ऑफ इलैक्ट्रो होम्योपैथी एंड रिसर्च सेंटर में हर प्रकार के रोगियों का इस पद्धति की दवाओं से उपचार किया जाता है। देश में प्रचलित अन्य चिकित्सा पद्धतियों से यह पद्धति भिन्न है और कमोवेश सस्ती भी है।
इस चिकित्सा पद्धति से कोई साइड इफेक्ट नहीं होता है। इस चिकित्सा पद्धति से आंख में चिन्ह देखकर पूरे शरीर होने वाले रोगों की जानकारी हो जाती है। उसी के हिसाब से रोगी का उपचार किया जाता है।
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