‘कास्ट एंड किनशिप इन कांगड़ा’ : सामाजिक संरचना का आईना

‘कास्ट एंड किनशिप इन कांगड़ा’ : सामाजिक संरचना का आईना

विनोद भावुक/ धर्मशाला

जैसे कुछ जातियां दूसरों से श्रेष्ठ हैं, वैसे ही एक जाति के भीतर भी कुल भी हैं। कुलों के अंदर भी श्रेष्ठता का नियम है। कांगड़ा जनपद में सामाजिक संरचना में सिद्धांतों की निरंतरता पर जोर दिया जाता है, जो जातियों के बीच और जातियों के भीतर संबंधों को नियंत्रित करते हैं।

कांगड़ा क्षेत्र की सामाजिक संरचना का आईना दिखाती जोनाथन पी पेरी की साल 1979 में लंदन से प्रकाशित किताब ‘कास्ट एंड किनशिप इन कांगड़ा’ जाति व्यवस्था, नातेदारी और विवाह के वर्णनात्मक विश्लेषण करती मजाकिया मोड़ में पेश की गई नृवंशविज्ञान (एंथ्रोपोलोजी) स्टडी है।

कांगड़ा क्षेत्र की सामाजिक संरचना का आईना दिखाती जोनाथन पी पेरी की साल 1979 में लंदन से प्रकाशित किताब ‘कास्ट एंड किनशिप इन कांगड़ा’ जाति व्यवस्था, नातेदारी और विवाह के वर्णनात्मक विश्लेषण करती मजाकिया मोड़ में पेश की गई नृवंशविज्ञान (एंथ्रोपोलोजी) स्टडी है।

यह पुस्तक लेखक का तीन साल का गहन शोधकार्य  है जो कांगड़ा जनपद की वर्ण और वर्ग व्यवस्था में अंदर तक तांक- झांक करता है। जनपद के सामाजिक ताने- बाने को जानने- समझने के लिए ‘कास्ट एंड किनशिप इन कांगड़ा’ एक बहुमूल्य पुस्तक है।

बिरादरी और जजमानी व्यवस्था को समझने का अवसर

जोनाथन पी पेरी ने अक्टूबर 1966 से दिसंबर 1968 के बीच तीन साल इस स्टडी के लिए फील्डवर्क किया और फिर साल 1974 में कांगड़ा की यात्रा कर नृवंशविज्ञान (एंथ्रोपोलोजी ) के विभिन्न बिंदुओं की जांच की। फील्डवर्क की अवधि के दौरान जोनाथन पी पेरी चढियार, खैरा और इंदौरा में रहे।

इस पुस्तक में कांगड़ा क्षेत्र की सामाजिक संरचना का पूरा विवरण दिया गया है। यह पुस्तक खासकर इस क्षेत्र राजपूत समाज की बिरादरी व्यवस्था, रिश्तेदारी और विवाह व्यवस्था को पेश करती है। किताब बिरादरी, रिश्तेदारी और वैवाहिक सम्बन्धों के स्थापित नियमों को पेश करते हुये रोचक अध्ययन पेश करती है।

पुस्तक कांगड़ा क्षेत्र विशेष मे स्थापित ‘जजमानी’ व्यवस्था का भी एक दिलचस्प विश्लेषण पेश करती है। पुस्तक सामाजिक असमानता की समस्याओं को भी समझने का अवसर प्रदान करती है। कांगड़ा पर यह सामाजिक अध्ययन कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में 1971 में प्रस्तुत पीएचडी थीसिस है।

किताब के लिए तीन साल की फील्ड स्टडी

‘कास्ट एंड किनशिप इन कांगड़ा’ पुस्तक में लेखक ने कांगड़ा जिले के विभिन्न स्थानों के वास्तविक नामों का उपयोग किया है, लेकिन पात्रों के लिए छद्म नामों का उपयोग किया है।

जोनाथन पी पेरी ने अक्टूबर 1966 से दिसंबर 1968 के बीच तीन साल इस स्टडी के लिए फील्डवर्क किया और फिर साल 1974 में कांगड़ा की यात्रा कर नृवंशविज्ञान (एंथ्रोपोलोजी ) के विभिन्न बिंदुओं की जांच की। फील्डवर्क की अवधि के दौरान जोनाथन पी पेरी चढियार, खैरा और इंदौरा में रहे।

उन्होंने लंबा समय चढ़ियार में पंडित केशो राम वैद के घर में गुजारा और ओम प्रकाश वेदवे ने उनके सहायक के रूप में काम किया। विषय की गहन स्टडी के लिए उन्होंने जिले के हर भाग के कई दौरे किए और बहुत से लोगों से बातचीत की। उन्होंने स्थानीय बोली भी सीखी, ताकि लोगों से संवाद में कोई मुश्किल न हो।

उच्च जातियों की नज़र से देखा सामाजिक दृश्य

जोनाथन पी पेरी ने पुस्तक में कांगड़ा का जो सामाजिक दृश्य प्रस्तुत किया है, वह उच्च जातियों की नज़र से देखा गया है। लेखक चढियार में एक ब्राह्मण परिवार के साथ रहा। लेखक ने ईमानदारी से स्वीकार किया है कि इस तथ्य ने निस्संदेह उनकी सामग्री की प्रकृति पर काफी प्रभाव डाला है।

लेखक का कहना है कि उनका निचली जातियों के लोगों के साथ संपर्क सीमित था, लेकिन उनके सबसे करीबी दोस्तों में कोली समुदाय से संबन्धित एक व्यक्ति था।

लेखक ने गहन फील्ड रिसर्च के बाद तथ्यों के आधार पर अपनी बात कहने की ईमानदार कोशिश की है। खुद के बिताए तीन सालों के बारे में लेखक पुस्तक की प्रस्तावना में स्पष्ट कर देते हैं।

रोचकता के लिए हास्य का पुट

‘कास्ट एंड किनशिप इन कांगड़ा’ पुस्तक में लेखक ने कांगड़ा जिले के विभिन्न स्थानों के वास्तविक नामों का उपयोग किया है, लेकिन पात्रों के लिए छद्म नामों का उपयोग किया है।

इस पुस्तक में रिश्तेदारी और संबंधों के लिए पारंपरिक रूप का उपयोग किया है। पाठकों की रोचकता बनाए रखने के लिए हास्य का पुट डाला गया है। यह अध्ययन पाठक को बोजिल न लगे, इसलिए इसके साथ कुछ कहानियां भी बुनी गई हैं।

2004 में किताब को दोबारा प्रकाशित किया गया है और साल 2009 में इसका डिजिटल वर्जन भी तैयार किया गया है।  पुस्तक  ऑनलाइन उपलब्ध है। यह पैसा वसूल करने वाली किताब है, जो कांगड़ा के सामाजिक ताने- बाने को समझने के लिए जरूर पधनी चाहिए।

इस विषय से संबन्धित अन्य पोस्टें –

  1. ब्रिटिश लेखिका : कुल्लू से किया प्यार, यहीं छोड़ दिया संसार 
  2. Female Hunter हामटा जोत तक शिकार करने वाली महिला अंग्रेज़

himachalbusiness1101

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *