कोटगढ़ में ‘फ्रूट बगीचा’ सजाया, सिंगापुर का मीडिया कैरियर ठुकराया
विनोद भावुक/ शिमला
प्रेरककथा फ्रूट जैम और फ्रूट चटनी के कारोबार में हिमाचल प्रदेश के बड़े ब्रांड ‘फ्रूट बगीचा’ की। शिमला के कार्तिक बुधराज और अनुराधा कंवर बुधराज दंपति सिंगापुर में आकर्षक सेलरी पैकेज पर मीडिया पेशावर थे। कार्तिक जहां अनुभवी मार्केटिंग और ब्रांडिंग पेशेवर के रूप में स्थापित थे, वहीं अनुराधा फायनांशियल संवाददाता के तौर पर स्थापित थीं।
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वर्ष 2001 से लेकर 2012 तक एक दशक से ज्यादा समय तक सिंगापुर में नामी मीडिया हाउस के साथ काम करने वाले उक्त दंपति जब 2005 में बतौर पर्यटक हिमाचल घूमने आए, उसी समय उन्होंने यहां फलों की प्रचुर मात्रा को देखते हुए फलों पर आधारित कारोबार करने का मन बना लिया था।
‘फ्रूट बगीचा’ : फ्रूट जैम और फ्रूट चटनी
अपने ड्रीम प्रोजेक्ट को हकीकत की जमीन पर उतारने के लिए इस दंपति ने सात वर्ष तक इस उद्यम से संबंधित गहन अध्ययन किया। साल 2012 में अपने ड्रीम प्रोजेक्ट के लिए उक्त दंपति सिंगापुर के अपने कैरियर को छोड़कर शिमला के कोटगढ़ में पहुंच गया और ‘फ्रूट बगीचा’ के नाम से फ्रूट प्रोसेसिंग यूनिट की स्थापना की।
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स्थानीय लोगों की सहभागिता, समर्थन और सहयोग वाले इस बिजनेस मॉडल का कमाल है कि आज ‘फ्रूट बगीचा’ फ्रूट जैम और फ्रूट चटनी के कारोबार का बहुत बड़ा ब्रांड है।
कार्पोरेट की गुलामी की जगह अपना कारोबार
कार्तिक ने अग्रणी टेलीविजन स्पोर्ट्स नेटवर्क ईएसपीएन स्टार स्पोर्ट्स के साथ काम किया है। इससे पहले वे सिंगापुर में टेलीविजन चैनल एएक्सएन में मार्केटिंग और ब्रांडिंग टीम को लीड कर रहे थे।
उनकी पत्नी अनुराधा ने सीएनबीसी, ईटी नोव और रायटर न्यूज सहित कई न्यूज नेटवर्क के साथ फायनांशियल जर्नलिस्ट के तौर पर काम किया है।
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आकर्षक पैकेज के बावजूद इस दंपति को यह कबूल नहीं था कि वे ताउम्र कॉर्पोरेट कंपनियों के दास बन कर काम करें। यही कारण था कि दोनों ने खुद का उद्यम ‘फ्रूट बगीचा’ स्थापित करने का निर्णय लिया।
इसलिए किया फ्रूट प्रोसेसिंग का चुनाव
कार्तिक बताते हैं कि सिंगापुर में उनका शानदार कैरियर था, लेकिन वह हमेशा के लिए कॉर्पोरेट का दास नहीं बनना चाहते थे। वे कहते हैं कि भारत में उनके माता-पिता की देखभाल और उनकी जरूरतों ने रोजगार और कारोबार के अवसरों के बारे में सोचने के लिए प्रेरित किया।
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कार्तिक कहते हैं कि वे मां के हाथों के बने फ्रूट जैम और फ्रूट चटनी का आनंद लेते हुए जवान हुए थे। ऐसे में जाहिर था कि फ्रूट प्रोसेसिंग का कारोबार उनकी स्वभाविक पंसद बन गया। 2012 में भारत लौटकर फलों पर आधारित अपने उद्यम ‘फ्रूट बगीचा’ की नींव रखी।
गहन अध्ययन के बाद शुरू किया उद्यम
अनुराधा का कहना है कि वर्ष 2005 में जब वे पर्यटक के रूप में हिमाचल आए तो कोटगढ़ गए। अपने उद्यम को शुरू करने के लिए इस विषय पर गहन अध्ययन और विश्लेषण किया।
फ्रूट प्रोसेसिंग में स्थानीय लोगों की समझ, फलों की उपलब्धता, आपूर्ति और बाजार की संभावनाओं का पता लगाया। इस काम के लिए हिमाचल औार उत्तराखंड का दौरा किया।
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वर्ष 2012 में पहले अनुराधा ने अपनी नौकरी छोड़कर ‘फ्रूट बगीचा’ के सेटअप की आरंभिक जिम्मेदारी को निभाया। कुछ महीने बाद, 2013 में कार्तिक ने भी सिंगापुर को बाय बोल दिया और ‘फ्रूट बगीचा’ को स्थापित करने में जुट गए।
पारंपरिक तरीकों से तैयार उत्पाद
कार्तिक और अनुराधा ने इस क्षेत्र में फलों के प्रचुरता के चलते सुव्यवस्थित जायके को जाम में तबदील करने और संरक्षित करने की परियोजना पर काम शुरू किया।
थानेदार गांव से इस दंपति ने अपने पायलट प्रोजेक्ट को शुरू किया। फ्रूट जैम और चटनी बनाने के लिए उक्त दंपति ने पारंपरिक तरीकों का प्रयोग किया।
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अपनी परियोजना में स्थानीय सहायता समूहों को शामिल किया और इस तरह ‘फ्रूट बगीचा’ के बोतलबंद उत्पाद लॉन्च के लिए तैयार हुए।
कारोबार के विस्तार की योजना
‘फ्रूट बगीचा’ टीम अपने उत्पादों को हिमाचल प्रदेश और उसके आसपास आउटलेट और कियोस्क के माध्यम से बेचती है। सेल के लिए ई-कॉमर्स साइट्स का उपयोग भी कर रही है। कार्तिक कहते हैं कि वे अब अपने उत्पादों का विस्तार देश के दक्षिणी हिस्से जैसे बेंगलुरु और चेन्नई की ओर कर रहे हैं।
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वर्तमान में ‘फ्रूट बगीचा’ ग्रीन एप्पल एंड जिंजर चटनी, क्रिसमस पलम प्रिजरव, चंकी किवी प्रिजरव विद स्टार एनाइस, चंकी किवी प्रिजरव, वाइल्ड एप्रीकोट प्रिजरव और पलम प्रिजरव नाम से छह प्रोडक्ट्स तैयार कर रहा है।
गुणवता के दम पर पहचान
कार्तिक और अनुराधा के इस उद्यम में स्वयं सहायता समूहों की 12 महिलाएं जैम और चटनी के स्वादिष्ट जायके तैयार करने का काम करती हैं। उनकी इस टीम में एक फूड साइंटिस्ट और पैकेजिंग कर्मचारी भी शामिल हैं।
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मार्च 2016 से ‘फ्रूट बगीचा’ फ्रूट जैम और फ्रूट चटनी के कारोबार में जुटा है। बेशक ‘फ्रूट बगीचा’ को बड़े पैमाने पर कुछ बड़े पैमाने पर उत्पादित ब्रांडों से चुनौती है, लेकिन वे उत्पाद की गुणवता के साथ समझौता नहीं करते हैं। उत्पादन लागत को कम करना और ग्राहक तक पहुंच बनाना एक बड़ी चुनौती है।
कई नए फ्लेवरों पर काम
शुरू में ‘फ्रूट बगीचा’ ने टेस्टिंग और फीडबैक के लिए चेरी, चॉकलेट, वेनिला मिक्स सहित 40 अलग-अलग व्यंजनों का एक बैच बनाया। परीक्षण के चरण में उन्हें सबसे अधिक लोकप्रिय जायके के बारे में पता चला।
अब ‘फ्रूट बगीचा’ ग्रीन एप्पल विद जिंजर, चंकी किवी विद स्टार और जंगली खुमानी के फ्लेवर सहित छह प्रकार की चटनी तैयार करता है।
कार्तिक कहते हैं कि उन्होंने पाया कि लोग मीठा तो पसंद करते हैं, लेकिन चटपटा सबसे ज्यादा पसंद करते हैं। इसलिए ‘फ्रूट बगीचा’ नए स्वाद विकसित करने पर काम कर रहा है।
सिस्टम ने नहीं की मदद, खुद किया निवेश
कार्तिक कहते हैं कि जब उन्होंने फ्रूट प्रोसेसिंग के क्षेत्र में काम शुरू किया तो सरकारी मदद के लिए भी हाथ-पांव मारे। वे कहते हैं कि सरकारी सबसिडी हासिल करने के लिए उनके प्रयासों को उस समय धक्का लगा जब सरकारी अफसरों ने न केवल उन्हें कई चक्कर काटने पर मजबूर किया।
उन्हें इस क्षेत्र में निवेश करने के लिए भी निरुत्साहित किया। वे कहते हैं कि सरकारी सिस्टम से तंग आकर आखिर में उन्होंने खुद के फंड से उद्यम स्थापित करने का निर्णय लिया।
फ्रूट बाज़ार से ऐसे कर सकते हैं आप संपर्क
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Himachal Pradesh – 172030, India
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