गिरी नदी की कहानी : नटनी के श्राप से तबाह हुई रियासत

गिरी नदी की कहानी : नटनी के श्राप से तबाह हुई रियासत
Giri River
  • ‘आर टोका पार पोका डूब मरो सिरमौरो रे लोका’ गिरी नदी से जुडी किंवदंती

विनोद भावुक/ शिमला

गिरी नदी के साथ एक  किंवदंती जुड़ी हुई है। कहा जाता है कि रस्सी पर नाचने के हुनर में माहिर एक नटनी को एक खतरनाक करतब दिखने के दौरन रियासत के दीवान ने रस्सी काट कर मरवा दिया था।

मरते- मरते उस नटनी ने राजघराने को श्राफ दिया था।  नटनी के श्राफ से गिरी नदी में इतनी भयंकर बाढ़ आई थी कि सारी सिरमौर रियासत नष्ट हो गई थी। कहा जाता है उस नटनी के नदी में गिरने के कारण ही इस नदी का नाम गिरि नदी पड़ा था।

हुनर दिखाना चाहती थी नटनी

सिरमौर राज्य के शुरुआती इतिहास के दौरान राजा मदन सिंह शासन करते थे। उनके शासनकाल में रियासत की एक नटनी ने उनकेसामने अपनी कलाबाजी दिखाने का अवसर देने का अनुरोध किया।

नटनी रस्सी पर नाचने के हुनर में माहिर थी और वह इस करतब को राजा के सामने कर के दिखा कर अच्छा पुरस्कार हासिल करने की इच्छा रखती थी। नटनी को उम्मीद थी कि राजा उसे अपनी प्रतिभा दिखाने का अवसर प्रदान करेगा।

राजा की शर्त, जीतने पर आधा राज

राजा ने नटनी को उसकी प्रतिभा दिखाने की अनुमति तो दे दी और यह शर्त रखी कि अगर नटनी रस्सी पर नाचते हुए नदी को पार करते हुए पोका गांव से टोका पहाड़ी पर आ जाए तो उसे अपनी रियासत का आधा हिस्सा दें देंगे।

परीक्षा कड़ी थी, फिर भी नटनी ने राजा की शर्त को मान लिया। फिर वह घड़ी भी आ गई। नर्तकी ने रस्सी पर नाचना शुरू कर नदी को पार करना शुरू कर दिया। अपने फन में माहिर नटनी यह करतब पूरा कर सिरमौर की टोका पहाड़ी पर पहुंचने वाली थी।  इसी के साथ वह राजा की शर्त को जीत कर आधी रियासत की मालकिन होने वाली थी। नटनी के हुनर की हर कोई दाद दे रहा था।

कटवा दी रस्सी, नटनी ने दिया श्राफ

कहा जाता है कि नटनी की संभावित जीत को देखते हुए रियासत का प्रशासनिक अमला सकते में आ गया। आधा राज्य हाथ से जाने के भय से रियासत के दीवान जुझार सिंह ने इसी समय रस्सी काट दी। रस्सी कटते ही नटनी नदी में गिर गई।

नदी में गिरते गिरते वह श्राप दे गई, ‘आर टोका पार पोका डूब मरो सिरमौरो रे लोका।’ बताया जाता है कि नटनी के नदी मे गिरने पर ही इस नदी का नाम गिरी नदी पड़ा। कहा जाता है की नटनी के श्राप के कारण गिरी नदी मे भयंकर बाढ़ आई और रियासत पोरी तरह से नष्ट हो गई।

गिरिगंगा कहलाती है गिरि नदी

गिरि नदी गिरिगंगा कहलाती है। यह नदी शिमला ज़िले में जुब्बल तहसील की कोटखाई पहाड़ियों में स्थित गिरिगंगा मंदिर के समीप उत्पन्न होती है। गिरी नदी का उद्गम जुब्बल क्षेत्र में स्थित कूपड़ पर्वतमाला से होता है, जो कि उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश की सीमा पर स्थित है।

इस नदी का काफी भाग वन क्षेत्रों से प्रवाहित होता है और नदी का प्रवाह हिमाचल प्रदेश तक ही सीमित है। नदी के तट पर अनेक तीर्थस्थल व मंदिर स्थित हैं। सिरमौर ज़िले से होती हुई उत्तराखंड की सीमा के पास रामपुर घाट में इस नदी का यमुना से संगम हो जाता है। यह यमुना नदी की एक उपनदी है।

ऋषि के कमंडल से छलका गंगाजल

गिरी नदी उत्तर भारत की प्राचीन व ऐतिहासिक नदियों में से एक है। इस नदी की उत्पत्ति को लेकर मान्यता है कि प्राचीन काल में कूपड़ पर्वत पर एक ऋषि तप कर रहे थे, तभी उनके कमंडल से गंगाजल छलक गया, जो एक धारा के रूप में प्रवाहित होने लगा।

इसी आधार पर इस नदी को गिरी गंगा के नाम से संबोधित किया जाने लगा। गिरी नदी को लेकर अन्य भी कई किवदंतियां प्रचलित हैं।

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