चौकीदार : अपनों में अनजान, विदेशियों में पहचान

चौकीदार : अपनों में अनजान, विदेशियों में पहचान
चौकीदार बैसाखी राम

अरविंद शर्मा/ धर्मशाला  

बेशक अपनों में वह अनजान है, लेकिन विदेशियों में उसकी खास पहचान है। अंतरराष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त ट्रैकिंग डेस्टिनेशन त्रियुंड में हर साल हजारों ट्रैकर्स पहुंचते हैं। अधिकतर ट्रैकर्स की मेहमाननबाजी का जिम्मा यहां स्थित फोरेस्ट रेस्टहाउस के चौकीदार बैसाखी राम पर है।

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चौकीदार बैसाखी राम 1984 से इस रेस्टहाउस में लगातार सेवाएं दे रहा है। चार दशक से यहां तैनात बैसाखी राम न केवल ट्रैकरों के लिए पानी और भोजन की व्यवस्था करता है, बल्कि मुसीबत के वक्त हमेशा ट्रैकरों की मदद को तैयार रहता है।

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चार दशक के कालखंड में यहां पहुंचने वाले ट्रैकरों को लेकर चौकीदार बैसाखी राम के पास कई मीठे और कड़वे अनुभव हैं।

हरदम हंसता चेहरा

कुदरत के करीब रहने वाले चौकीदार बैसाखी राम की सदाबहार हंसी थक कर यहां पहुंचने वाले टैकर्स की थकान दूर कर देती है। विपरीत भौगोलिक परिस्थितियों के बावजूद हरदम उसका  हंसता हुआ चेहरा यहां पहुंचने वाले ट्रैकर्स का स्वागत करने को तैयार दिखता है।

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सैलानियों के लिए हमेशा मददरगार की भूमिका में रहने वाले चौकीदार बैसाखी राम का कहना है कि उन्हें इस जगह से मुहब्बत है और यहां आने वाले पर्यटकों को कोई असुविधा न हो, यह उसकी प्राथमिकता है।

दूर पानी, नहीं परेशानी

त्रियुंड की ट्रैकिंग करने वाले जानते हैं कि यहां सबसे बड़ी समस्या पानी की है। यहां पानी करीब दो किलोमीटर की खड़ी उतराई और फिर उतनी की खड़ी चढ़ाई के बाद मिलता है।

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रोज पीने का पानी रेस्टहाउस में पहुंचाना चौकीदार बैसाखी राम की दिनचर्या का हिस्सा है। पानी का प्रबंध करना उसे कतई नहीं अखरता।

घर जैसा है त्रियुंड

नड्डी के पास स्थित बल्ह गांव के गद्दी जनजाति से संबंधित चौकीदार बैसाखी राम के लिए त्रियुंड़ ही उसके घर जैसा है और फिर घर के काम में परेशानी कैसी।

चौकीदार बैसाखी राम का कहना है कि एक वह भी वक्त था, जब बहुत कम ट्रैकर्स त्रियुंड पहुंचते थे और अकसर वह यहां अकेला रहता था।

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पिछले दो दशक में त्रियुंड में आने वाले ट्रैकर्स की संख्या में बढ़ोतरी हुई है। यहां बड़ी संख्या में देसी- विदेशी ट्रैकर्स आने लगे हैं। अब तो यहां आने वाले ट्रैकर्स टैंट लगाकर भी रहने लगे हैं, लेकिन एक वक्त था, जब ट्रैकर्स सिर्फ रेस्टहाउस में ही ठहरते थे।

न जिक्र, न ही फिक्र

त्रियुंड की ट्रैकिंग के प्रति ट्रैकरों की बढ़ती दीवानगी को देखते हुए अब यहां के लिए रोपवे जैसी सुविधाओं का खाका तैयार किया जा रहा है, लेकिन त्रियुंड को खास पहचान दिलवाने में दशकों से अहम भूमिका निभाते आए रहे चौकीदार बैसाखी राम जैसे लोगों का न तो कहीं जिक्र होता है और न ही फिक्र होता है।

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चौकीदार बैसाखी राम को इस बात का कोई मलाल नहीं। उसका कहना है कि त्रियुंड की बदौलत उसे कई अच्छे दोस्त नसीब हुए हैं।

वीरभद्र सिंह के हाथों सम्मानित चौकीदार

फोकस हिमाचल साप्ताहिक ने साल 2017 में बैसाखी राम की निस्वार्थ सेवाओं के लिए तत्कालीन मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के हाथों उन्हें राज्य स्तरीय पुरस्कार से सम्मानित करवाया है।

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दूसरा पहलू यह भी है कि बैसाखी राम जल्द ही सेवानिवृत होने वाला है, लेकिन वन विभाग और कांगड़ा जिला प्रशासन ने अपने इस कर्मठ कर्मचारी को सार्वजनिक मंच से सम्मानित करना जरूरी नहीं समझा है। इसके बावजूद बैसाखी राम हमेशा अपनी ड्यूटी के प्रति समर्पित रहता है।

 

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