जेएनवी का वरदान, कांगड़ा के अफसर शान

जेएनवी का वरदान, कांगड़ा के अफसर शान
कांगड़ा में अफसर, जेएनवी के स्टूडेंट्स

हिमाचल बिजनेस/ धर्मशाला

ग्रामीण पृष्ठभूमि के होनहार स्टूडेंट्स के लिए जवाहर नवोदय विद्यालय (जेएनवी) जैसे सरकारी शिक्षण संस्थान किस तरह वरदान साबित हो सकते हैं, इसका एक बेहतरीन उदाहरण कांगड़ा जिला में देखा जा सकता है। उपायुक्त कांगड़ा सहित जिला प्रशासन में ऐसे कई अधिकारी शामिल हैं, जो जेएनवी के स्टूडेंट्स रहे हैं।

जवाहर नवोदय विद्यालय ने न केवल उनकी शिक्षा की बुनियाद रखी है, बल्कि यहां तक पहुंचने के सफर को दिशा देने में भी सबसे बड़ी भूमिका अदा की है। यही कारण है कि आज भी देश भर के जेएनवी स्कूलों से पढ़े स्टूडेंट्स स्कूल के दिनों की स्मृतियों को ताज़ा रखने के लिए एक व्हाट्सअप ग्रुप के जरिये जुड़े हैं।

1980 के दशक में पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने जेएनवी का विजन इस देश को दिया था। मूल रूप से 25 अगस्त को द ट्रिब्यून में प्रकाशित राघव गुलेरिया के लिखे इस आर्टिकल को डीपीआरओ विनय शर्मा ने अपने फेसबुक अकाउंट पर शेयर करते हुए लिखा है कि हम नवयुग की नई आरती हैं।

जेएनवी के ओल्ड स्टूडेंट्स, कांगड़ा में अफसर

कांगड़ा के हेमराज बैरवा (आईएएस), राजस्थान के जवाहर नवोदय विद्यालय दौसा के स्टूडेंट रहे हैं तो धर्मशाला नगर निगम के कमिश्नर जफर इकबाल (आईएएस)-जेएंडके भी जवाहर नवोदय विद्यालय से पढे हैं।

डीएफओ दिनेश शर्मा, जेएनवी सरोल, चंबा से, जिला जनसंपर्क अधिकारी विनय शर्मा जेएनवी हमीरपुर से, आरटीओ प्रदीप कुमार और एसी टू डीसी कांगड़ा सुभाष गौतम जेएनवी ठियोग से जबकि एएसपी कांगड़ा वीर बहादुर जवाहर नवोदय विद्यालय पंडोह, मंडी से पढे हैं।

धर्मशाला अस्पताल में ऑर्थो सर्जन डॉ. प्रवीण ठाकुर, हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति के सचिव डॉ. विशाल सूद भी जवाहर नवोदय विद्यालय से पासआउट हैं। उनके अलावा भी विभिन्न विभागों में विभिन्न पदों पर जवाहर नवोदय स्कूलों से पढे स्टूडेंट्स मिल जाएंगे।

जेएनवी ने दिया जीवन को आकार

इन सभी अफसरों ने छठी कक्षा में प्रवेश लेने के बाद बारहवीं कक्षा तक अधिकतर समय जवाहर नवोदय विद्यालय के आवासीय विद्यालयों में बिताया है और इन स्कूलों ने उनके व्यक्तित्व को आकार देने में काफी मदद की है।

डीसी हेमराज बैरवा सहित अधिकतर अधिकारियों का एककंठ से मामना है कि उनके जीवन को आकार देने में जवाहर नवोदय विद्यालय की भूमिका अहम रही है।

होनहार स्टूडेंट्स के लिए शानदार मंच

1997 से 2004 तक राजस्थान के दौसा में स्थित नवोदय विद्यालय के स्टूडेंट रहे हेमराज का कहना है कि योग्यता के आधार पर प्रवेश स्टूडेंट्स को उपलब्धि और गर्व की भावना प्रदान करता है।

इन स्कूलों में स्टूडेंट्स के लिए तमाम सुविधाएं और उत्कृष्ट और प्रतिबद्ध शिक्षक होते हैं। ये स्कूल आर्थिक रूप से कमजोर होनहार स्टूडेंट्स के लिए शिक्षा हासिल करने का शानदार प्लेटफॉर्म है।

विश्वव्यापी नवोदय परिवार

वैश्विक स्तर पर एक समुदाय के रूप में जवाहर नवोदय विद्यालय के सभी पूर्व स्टूडेंट्स एक-दूसरे की मदद करते हैं। वर्तमान समय में जेएनवी समुदाय के 1,40,000 मेंबर्स हैं, जो देश- विदेश में अहम पदों पर अपनी सेवाएं दे रहे हैं।

जेएनवी स्टूडेंट्स का यह समुदाय सामाजिक कार्यों में भी हमेशा आगे रहता है। कोविड के दौरान यह समुदाय पीड़ितों की मदद के लिए आगे आया था।

पथ प्रदर्शक हो सकता नवोदय मॉडल

स्कूली शिक्षा को लेकर ट्रेंड बदल रहा है और प्राइवेट स्कूल सरकारी स्कूलों पर भारी पड़ते दिख रहे हैं। शिक्षा की गुणवत्ता को लेकर सरकारी स्कूल अव्यवहारिक लग रहे हैं।

स्टूडेंट्स की कमी के चलते कई स्कूल बंद हो रहे हैं। ऐसी स्थिति में नवोदय मॉडल पथ प्रदर्शक हो सकता है। इस दिशा में गंभीरता से विचार करने की जरूरत है।

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