देवता जीते, डायनों की हार, अच्छा रहेगा आने वाला साल

देवता जीते, डायनों की हार, अच्छा रहेगा आने वाला साल
देवताओं और डायनों के युद्ध के परिणाम

बिजनेस हिमाचल/ मंडी

देवता और डायनों के घोघराधार के अंतिम महासंग्राम में देवता विजयी रहे हैं। इस बार चार युद्धों में देवता और तीन में डायनें जीती हैं, जिस कारण अंतिम जीत देवताओं की जीत बताई गई है।

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मंदिर में गुर के माध्यम से ये भविष्यवाणी की गई कि देवता के जीतने से जनमानस के लिए यह साल अच्छा रहेगा। ज्यादा आपदाएं घटित नहीं होगी। हालांकि, फसलें कई जगह सामान्य तो कई जगह कम होगी।

इस मंदिर में पहली भविष्यवाणी

मंडी जिला के तुंगल क्षेत्र के प्रसिद्ध शक्तिपीठ माता बगलामु‌खी मंदिर सेहली में 69वीं वार्षिक जाग में गुर अमरजीत शर्मा ने माता के गर्भ गृह में पूजा अर्चना की। उसके बाद मां के गुर ने अनेक प्रकार की देववाणी करके भक्तों का मार्ग दर्शन किया।

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देवता और डायनों के बीच युद्ध की सबसे पहले भविष्यवाणी इसी मंदिर की जाग में की जाती है। गुर अमरजीत शर्मा ने गणेश चतुर्थी की संध्या पर मंदिर के गर्भ गृह में पूजा-अर्चना की गई और देवी द्वारा बताए गए आदेशों का पालन किया गया।

यहां- यहां हुए युद्ध

गुर अमरजीत ने बताया कि इस बार सात स्थानों पर युद्ध हुए हैं, जिनमें दक्षिण भारत के समुद्र टापू और हिमाचल प्रदेश के मंडी की घोघराधार प्रमुख हैं। युद्ध के लिए यह दो  स्थान हर वर्ष निश्चित होते हैं, लेकिन बाकी के 5 स्थान बदलते रहते हैं।

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इस बार गंगातट, कुरुक्षेत्र, सिकंदराधार, शिकारीधार व कांगड़ा किला में देवताओं और दानों के बीच युद्ध हुआ। समुद्र टापू से युद्ध की शुरूआत होती है और घोघराधार में अंतिम महासंग्राम होता है।

यह- यह हुई भविष्यवाणी

चार स्थानों पर देवता डायनों व तीन स्थानों पर डायनों के जीतने पर देवताओं की विजय मानी गई। इससे फसल में वृद्धि होगी, लेकिन अल्प मृत्यु, अकाल मृत्यु, सड़क दुर्घटनाएं, प्राकृतिक प्रकोप व रोग में वृद्धि होगी।

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यदि देवता जीतें तो केवल फसल कम होती है लेकिन जान- माल सहित सभी सुरक्षित रहते हैं।

घोघरधार में होता है निर्णायक युद्ध

यानि भाद्रपद की अमावस्या को प्रदेश में डैनी वांस(डैणवांस, डुंगवांस) के नाम से जाना जाता है। लोक मान्यता है कि इस दिन डायनें, तांत्रिक, जादू टोना करने वाले, गुर और चेले आदि घोघरधार जाते हैं।

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यहां पर वे देवता और डायनों के बीच अंतिम युद्ध में भाग लेते हैं।अंतिम और निर्णायक युद्ध घोघरधार में होता है। इस युद्ध के विजेता का फ़ैसला पत्थर चौथ के दिन होता है।

कहां है घोघर-धार

जिला मंडी के मंडी-पठानकोट नेशनल हाईवे पर स्थित पद्धर और ग्वाली के बीच उत्तर-पूर्व की पहाड़ी के चोटी पर स्थित है घोघर-धार। घोघर-धार एक अधिकांश समतल क्षेत्र है, जहाँ देवों और डायनों के मध्य युद्ध होता है।

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यहाँ युद्ध का स्थान चिन्हित है और युद्ध के समय कोई भी उस स्थान में नहीं जाता है।

ऐसे बनते हैं गुर

कहीं पानी पर चलने के बाद देवता के गुर की पदवी मिलती है, तो कहीं पहाड़ों की बड़ी चट्टानों में अदृश्य होने के बाद वहां से प्रमाण सहित निकलने पर गुर की पदवी मिलती है।

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माहूंनाग के गुर की परीक्षा में खाली हाथ सतलुज नदी में छलांग लगाकर हाथ में सूखी मिट्टी लाना अनिवार्य होता है। गुर बनने के लिए पत्थर और कैक्टस खाने जैसी कांटेदार चीजें भी सहज भाव से खानी पड़ती हैं।

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