देवानंद की ‘ट्रैक्सी डाइवर’ से चमकी मिस शिमला
बिजनेस हिमाचल/ मुंबई
पचास के दशक में मिस शिमला का खिताब जीतने वाली बेपनाह खूबसूरती से लेबरेज हुस्न की मल्लिका शीला रमानी को जैसे ही साल 1954 में फिल्म ‘ट्रैक्सी डाइवर’ के लिए सदाबहार अभिनेता देवानंद के ऑपोजिट साइन किया गया, रातों- रात वह सिल्वर स्क्रीन की क्वीन बन गई थी।
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शीला रमानी पचास के दशक की शुरुआत में भारतीय सिनेमा की सबसे आकर्षक नायिकाओं में से एक थीं। फिल्म ‘ट्रैक्सी डाइवर’ में एंग्लो-इंडियन नाइट क्लब सिंगर सिल्वी को स्टाइल और कामुकता देने वाली अभिनेत्री शीला रमानी फिल्म की नायिका कल्पना कार्तिक से कहीं अधिक आकर्षक लगीं थी।
‘लक्स शॉप’ की ऐड का फेस
‘ट्रैक्सी डाइवर’ की स्टार शीला ‘लक्स शॉप’ की ऐड का फेस बन गई, जो उस समय हर भारतीय अभिनेत्री का बड़ा सपना होता था। शीला रमानी ने देव आनंद के साथ फिल्म ‘फंटूश’ (1956) में भी मुख्य भूमिका निभाई थी, लेकिन फिल्म ‘ट्रैक्सी डाइवर’ के लिए वे हमेशा यादों में बनी रहीं।
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शीला रमानी ने अपने जमाने में कई सितारों किशोर कुमार, सुनीलदत्त, देवानंद और गुरूदत्त जैसे अभिनेताओं के साथ के साथ यादगार अभिनय किया।
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शीला ने हिंदी फिल्मों के अलावा पाकिस्तानी फिल्मों में भी काम किया था। फिल्मी दुनिया में शीला के ज़्यादातर किरदार उच्च वर्ग की आधुनिक लड़की के रहे।
मामा के जरिये फिल्मों में एंट्री
2 मार्च 1932 को सिंध में पैदा हुई शीला रमानी को शीला केवलरमानी के नाम से भी जाना जाता था। शीला रमानी शुरू से ही फिल्मों में काम करना चाहती थीं। वे अपने मामा के जरिये हिंदुस्तानी फिल्मों में आई।
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उनकी मुलाकात हीरो देवानंद के फिल्म निर्माता भाई चेतन आनंद से हुई। उन्हें साल 1954 में देवानंद के साथ ‘टैक्सी ड्राइवर’ में काम करने का मौका मिला, जिसकी सफलता ने शीला को रातों- रात स्टार बना दिया।
चाचा के अनुरोध पर पाक फिल्म में काम
शीला ने साल 1956 में पाकिस्तानी फिल्म अबाना में काम किया। वह अपने चाचा के अनुरोध पर पाकिस्तानी फिल्म ‘अनोखी’ में मुख्य भूमिका निभाने के लिए कराची गई थीं।
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जंगल किंग, रिटर्न और मिस्टर सुपरमैन के अलावा शीला ने तीन बत्ती-चार रास्ता, नौकरी, मीनार, रेलवे प्लेटफार्म, फंटूश, सुरंग और आनंद मठ जैसी फिल्मों में सेकंड हीरोइन के रूप में काम किया। उनकी आखिरी फिल्म 1962 में ‘मां-बेटा’ थी। ‘ट्रैक्सी डाइवर’ की चमक हमेशा उनके साथ रही।
साधना को फिल्मों में लाने का श्रेय
अभिनेत्री साधना को फिल्मों में लाने का श्रेय शीला रमानी को जाता है। एक बार जब साधना उनके पास ऑटोग्राफ़ मांगने गईं तो शीला ने कहा कि तुम मेरा ऑटोग्राफ़ क्या मांग रही हो, एक दिन ऐसा आयेगा जब मैं तुम्हारा ऑटोग्राफ़ मांगूंगी।
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उनकी बात सच साबित हुई। साल 1960 में बनी भारत की पहली सिंधी फिल्म ‘अबना’ में साधना ने मुख्य भूमिका निभाई। इस फ़िल्म में साधना ने शीला रमानी की छोटी बहन का रोल निभाया था।
शादी कर विदेश चली गईं
अपने करियर के आखिरी दौर में ‘ट्रैक्सी डाइवर’ की सुपर स्टार शीला रमानी गुमनाम फिल्मों तक ही सीमित होकर रह गईं। बाद में शीला रमानी ने शादी कर ली और पति के साथ अमेरिका चली गईं।
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शीला रमानी के पति जल्ल कोवासजी एक प्रसिद्ध उद्योगपति थे। वह उनके साथ मुंबई, न्यूयॉर्क, कोलंबो और ऑस्ट्रेलिया में रहीं। इस दंपति के दो बेटे राहुल और जाल हुए।
गुमनामी में आखिरी दिन
कभी फिल्म ‘ट्रैक्सी डाइवर’ में अपने दमदार अभिनय की चमक बिखेरने वाली शीला रमानी भारत और पाकिस्तान में सालों सुर्खियां बटोरती रहीं। शीला का निधन 15 जुलाई 2015 को अस्सी साल की उम्र में हुआ था।
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जीवन के आखिरी दिनों में ‘ट्रैक्सी डाइवर’ सुपर स्टार शीला मध्य प्रदेश के महू में अपने पति के पैतृक घर में गुमनाम जीवन जी रही थी। शीला राममानी का अंतिम संस्कार महू में किया गया था।