नेता जी ने कैप्टन राम सिंह को क्यों गिफ्ट की थी वायलिन?
हिमाचल बिजनेस/ धर्मशाला
3 जुलाई,1943 को नेताजी सुभाष चंद्र बॉस सिंगापुर पहुंचे तो आजाद हिन्द फौज के सिपाही एवं संगीतकार कैप्टन राम सिंह ठाकुर ने उनके स्वागत में एक गीत पेश किया। देशभक्ति से ओत- प्रोत गीत इतना प्रभावी था कि पहली ही मुलाकात में राम सिंह ठाकुर ने नेता जी का दिल जीत लिया।
नेता जी ने उनकी संगीत की इस कला से खुश होकर गिफ्ट के तौर पर अपनी वायलिन उन्हें सौंप दी। यह उनके लिए अनमोल धरोहर थी और इस वायलिन को कैप्टन राम सिंह ठाकुर हमेशा अपने साथ रखते थे। यह किस्सा उन्होंने कई बार सुनाया था। आजाद हिंद फौज के सिपाही एवं संगीतकार कैप्टन राम सिंह ठाकुर ने भारत के राष्ट्र गान ‘जन गन मन’ की धुन बनाई थी। लोक संपर्क विभाग हिमाचल प्रदेश के सेवानिवृत संयुक्त निदेशक राजेन्द्र राजन ने उनके ऊपर एक पुस्तक लिखी है।
दादा पिथौरागढ़ से आए थे खनियारा
उनका परिवार मूलतः पिथौरागढ़ जनपद के मूनाकोट गांव का मूल निवासी था। रोजी – रोटी की तलाश में उनके दादा कांगड़ा जिला धर्मशाला के पास खनियारा गांव में जाकर बस गये थे। उसके बाद यह परिवार यहीं का होकर रह गया और यहीं पर 15 अगस्त 1914 को राम सिंह ठाकुर का जन्म हुआ था।
राम सिंह ठाकुर बचपन से ही संगीत प्रेमी थे और संगीत के नित नए प्रयोग करते रहते थे। उन्होंने जानवर के सींग से संगीत बनाने की कला किशोरावस्था में ही सीख ली थी।
14 साल की उम्र में फौजी
14 वर्ष की आयु में ही राम सिंह ठाकुर गोरखा ब्वाय कंपनी में भर्ती हो गए। वह एक अनुशासनप्रिय सैनिक थे। ब्रिटिश इंडिया सेना में उन्होंने अपनी वीरता प्रदर्शित कर किंग जार्ज-5 मेडल प्राप्त किया था।
अगस्त 1941 में वे बिट्रिश सिपाही के रुप में इपोह भेजे गए। पर्ल हार्बर पर जापानी हमले के दौरान उन्हें जापानियों ने युद्धबंदी बना लिया था।
आजाद हिंद सेना के संगीतकार
जुलाई 1942 में इन्हीं युद्ध बंदियों से बनी आजाद हिन्द फौज में राम सिंह ठाकुर भी सिपाही के रुप में नियुक्त हो गए। बचपन में राम सिंह ठाकुर जानवर के सींग से सुर निकालने में माहिर थे और इसी संगीत कला के कारण वे सभी फ़ौजियों में काफी लोकप्रिय थे।
कैप्टन राम सिंह ठाकुर को आजाद हिन्द फौज में बहादुरी और जोश भरा ओजस्वी गीत-संगीत तैयार करने की जिम्मेदारी थी । यहां से उनका गीत-संगीत के साथ-साथ सैनिक कार्य का सफर शुरु हुआ।
कैप्टन राम सिंह ठाकुर ने ‘कदम-कदम बढ़ाये जा-खुशी के गीत गाये जा’ जैसे कितने ही ओजस्वी गीतों की धुनों की रचना की। उनके देशभक्ति से लबरेज संगीत का ही असर था कि युवा मातृभूमि की सेवा के लिए जुनूनी हो जाते थे।
कैप्टन राम सिंह ठाकुर के गांधी थे मुरीद
वर्ष 1945 में उन्हें अंग्रेजी सेना ने रंगून में गिरफ्तार कर लिया गया। 11 अप्रैल, 1946 को उनकी रिहाई मुल्तान में हुई। 20 जून,1946 को बाल्मीकि भवन में महात्मा गांधी के समक्ष ‘शुभ सुख चैन की बरखा बरसे’ गीत गाकर कैप्टन राम सिंह ठाकुर ने गांधी को भी अपनी मुरीद बना लिया।
15 अगस्त, 1947 को राम सिंह के नेतृत्व में आईएनए के आर्केस्ट्रा ने लाल किले पर ‘शुभ-सुख चैन की बरखा बरसे’ गीत की धुन बजाई। यह गीत रवीन्द्र नाथ टैगोर जी के ‘जन-गण-मन’ का हिंदी अनुवाद था। कुछ संशोधनों के साथ खास सलाहकारों के साथ नेता जी ने ही इस गीत को लिखा था।
नेहरु के अनुरोध पर बैंड मास्टर
अगस्त, 1948 में तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरु के अनुरोध पर कैप्टन राम सिंह ठाकुर उत्तर प्रदेश पीएसी में सब इंस्पेक्टर के रुप में लखनऊ आए और बैंड मास्टर बन गए। 30 जून,1974 को वे सेवानिवृत्त हुए।
15 अप्रैल, 2002 को इस महान संगीतकार का देहावसान हो गया। कैप्टन राम सिंह ठाकुर अपने पीछे देशभक्ति के कितने ही क्रांतिकारी गीत छोड़ गए, जो हमेशा भारतवासियों को आजादी की लड़ाई की याद दिलाते रहेंगे।
काम को मिले कई सम्मान
कैप्टन राम सिंह ठाकुर को साल 1937 में किंग जार्ज-5 मेडल, 1943 में नेताजी गोल्ड मेडल, , 1956 में उत्तर प्रदेश राज्यपाल गोल्ड मेडल,1957 में ताम्र पत्र, 1972 में राष्ट्रपति पुलिस पदक, 1979 में उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी एवार्ड,1993 में सिक्किम सरकार का प्रथम मित्रसेन पुरस्कार और 1996 में पश्चिम बंगाल सरकार का प्रथम आईएनए पुरस्कार, प्रदान किया गया।
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