Kangra Paintings on Love – प्रेम के धर्म का प्रचार करती ‘कांगड़ा कलम’

Kangra Paintings on Love – प्रेम के धर्म का प्रचार करती ‘कांगड़ा कलम’

विनोद भावुक/ धर्मशाला

Kangra Paintings on Love प्रेम को प्रदर्शित करने की अपनी तरह की अनूठी चित्रकला है। रंगों के जरिये प्रेम की सुंदरता को व्यक्त करने के दुनिया भर में बिरले ही उदाहरण मिलते हैं।

कला की दुनिया में ‘कांगड़ा कलम’ के लघुचित्र प्रेम और सौंदर्य के चित्रण में प्रमुख इसलिए बन गए कि चितेरों ने राधा और कृष्ण के प्रेम के बारे में उल्लासपूर्ण ढंग से लिखने वाले जयदेव, बिहारी और केशव दास की प्रेम कविताओं से थीम अपनाई।

ये लघुचित्र प्रेम के वर्णन में इसलिए बहुत सुंदर हैं, क्योंकि मुगल शैली, जयदेव, बिहारीकेशव दास के काव्य के रोमांटिक प्रेम और भक्ति रहस्यवाद की नई भावना के शानदार मिश्रण हैं। कभी चित्रकला की दुनिया में शिखर पर रही ‘कांगड़ा कलम’ रंगों के जरिए प्रेम प्रदर्शित करने के लिए एक प्रयोगशाला के रूप में कार्य करती रही है।

Kangra paintins of Love : कवि जयदेव Kangra Paintings on Love : कवि बिहारी Kangra Paintings on Love : महाकवि केशव दास

इस शैली के लघुचित्र ‘जीवन’ का जश्न मनाते हैं। यह कहना उचित होगा कि प्रेम के धर्म का प्रचार करती रही ‘कांगड़ा’ कलम’। ‘कांगड़ा’ कलम’ के लघुचित्र प्रेम को उनके सांसारिक और आध्यात्मिक जीवन के रूप में मनाते हैं।

Kangra Pintings on Love : एम एस रंधावा

एम एस रंधावा द्वारा लिखित एवं राष्ट्रीय संग्रहालय, नई दिल्ली द्वारा 1962 में प्रकाशित पुस्तक, Kangra Paintings on Love यहां के लघुचित्रों में ‘प्रेम और ‘संबंध’ पर विस्तार से चर्चा करती है।

Kangra Paintings on Love – रेखा और रंग दोनों की कला

कभी चित्रकला की दुनिया में शिखर पर रही ‘कांगड़ा कलम’ रंगों के जरिए प्रेम प्रदर्शित करने के लिए एक प्रयोगशाला के रूप में कार्य करती रही है। इस शैली के लघुचित्र ‘जीवन’ का जश्न मनाते हैं। यह कहना उचित होगा कि प्रेम के धर्म का प्रचार करती रही ‘कांगड़ा’ कलम’।

एम एस रंधावा लिखते हैं कि हर कला एक भाषा है। जो शब्द व्यक्त नहीं कर सकते, उसे कभी-कभी पेंटिंग में रेखाओं से घिरे स्थान और रंगों से रंगा जाता है। कांगड़ा पेंटिंग रेखा और रंग दोनों की कला है।

इस कला का आधार एक जोरदार लयबद्ध रेखा है। कांगड़ा के चित्रकार मानव जीवन की एक भावुक, अंतरंग और परमानंद भावना प्रेम को चित्रित करने पर ध्यान केंद्रित करते हैं। ये पेंटिंग्स लोक संस्कृति के जीवाश्म हैं।

Kangra Paintings on Love : बुक कवर पेज

इनका अध्ययन और व्याख्या करने पर ये हमें अभिलेखों या इतिहासकारों के तथ्यों की नीरस सूची से कहीं ज़्यादा ऐतिहासिक अतीत के बारे में बताते हैं। ये उस युग, मानवता और उन आदर्शों को दर्शाते हैं, जिन्होंने उन्हें प्रेरित किया। उस काल के रचनात्मक उत्साह को जगाने वाले वैष्णववाद ने प्रेम के धर्म का प्रचार किया।

महिलाओं की शोभा बढ़ाने वाली उपस्थिति

‘कांगड़ा’ कलम’ के लघुचित्र प्रेम को उनके सांसारिक और आध्यात्मिक जीवन के रूप में मनाते हैं। एम एस रंधावा द्वारा लिखित एवं राष्ट्रीय संग्रहालय, नई दिल्ली द्वारा 1962 में प्रकाशित पुस्तक, Kangra Paintings on Love यहां के लघुचित्रों में ‘प्रेम और ‘संबंध’ पर विस्तार से चर्चा करती है।

रंधावा लिखते हैं कि चितेरों ने कृष्ण और राधा का उपयोग मानव के प्रेम और अंतरंगता के शाश्वत विषय को बताने और उनके सच्चे और आदर्श प्रेम को प्रदर्शित करने के लिए किया।

Kangra Paintings on Love: राधा कृष्ण का प्रेम

वे चित्रों में प्रेम की उन भावनाओं और प्राकृतिक सुंदरता को हमें उस अवधि में उस विषय और उपचार को समझने के लिए देते हैं, जिसके बारे में हम अतीत में पूरी तरह से अनजान थे। मुगल दरबार से आए चित्रकारों ने कांगड़ा शैली की पेंटिंग में महिलाओं को उनके सुंदर परिधान और माहौल में चित्रित करने पर ध्यान केंद्रित किया।

उन्होंने कांगड़ा घाटी और महल में महिलाओं के जीवन और उनकी शोभा बढ़ाने वाली उपस्थिति का वर्णन किया। रंजरेजों ने इन चित्रों में महिला सौंदर्य का सार निकाला। उन्होंने महिला सौंदर्य को सूत्रबद्ध किया।

पेंटिंग की प्रेरणा का स्रोत हिंदी कविता

मुगल दरबार से आए चित्रकारों ने कांगड़ा शैली की पेंटिंग में महिलाओं को उनके सुंदर परिधान और माहौल में चित्रित करने पर ध्यान केंद्रित किया। उन्होंने कांगड़ा घाटी और महल में महिलाओं के जीवन और उनकी शोभा बढ़ाने वाली उपस्थिति का वर्णन किया। रंजरेजों ने इन चित्रों में महिला सौंदर्य का सार निकाला। उन्होंने महिला सौंदर्य को सूत्रबद्ध किया।

एम एस रंधावा के अनुसार चित्रकारों ने हिंदी कविता को अपनी प्रेरणा के स्रोत के रूप में उपयोग किया। चित्रकारों ने उन कवियों के काम को अपनी विषय वस्तु बनाया, जिन्होंने प्रेम पति-पत्नी की भावुक अंतरंगता जैसे राम और सीता, नल दमयंती या कृष्ण और राधा उनके आदर्श जोड़े के रूप में प्रस्तुत किया।

हिंदू प्रेम की अवधारणा संपर्क नहीं, बल्कि विवाहित प्रेम है। एक ऐसा प्रेम जो घर और बच्चों की देखभाल और जिम्मेदारियों में लंबे समय तक साथ रहने का फल है।

देश के जो हिस्से आधुनिक शिक्षा और सिनेमा से अछूते हैं, वर्तमान में भी वहां व्यापक रूप से प्रचलित है कि विवाह-पूर्व शुद्धता को संरक्षित किया जाता है और विवाह-पश्चात निष्ठा का सम्मान किया जाता है।

प्रेम के विषय पर चित्रों की महत्वपूर्ण श्रृंखला

Kangra Paintings on Love : महाराजा संसार चंद

Kangra Paintings on Love पुस्तक कांगड़ा के महाराजा संसार चंद के शासनकाल के दौरान कांगड़ा घाटी के गुलेर, नूरपुर, टीरा-सुजानपुर, आलमपुर और नादौन के चितेरों की मुख्य विशेषताओं और सैंपल चित्रों पर प्रकाश डालती है।

पुस्तक गढ़वाल, चंबा, जम्मू, मंडी, सुकेत और बिलासपुर के चित्रों पर भी प्रकाश डालती है। यह महत्वपूर्ण पुस्तक पहली बार प्रेम के विषय पर चित्रों की एक महत्वपूर्ण श्रृंखला को एक साथ लाती है।

Kangra Paintings on Love : महाकवि केशव दास की पुस्तक रसिक प्रिया

पेंटिंग के प्रत्येक सैंपल के साथ हिंदी कवि केशव दास की ‘रसिका प्रिया’ की रचनाओं से अनुवादित कविता से लिखित चित्रण और व्याख्या है। यह पुस्तक कला प्रेमियों के लिए ज्ञान का खजाना है। पुस्तक लेखक के गहन अवलोकन, कलात्मक स्वाद और विद्वान स्वभाव को दर्शाती है।

मुगल शैली से उपजी ‘कांगड़ा पेंटिंग’

Kangra Paintings on Love : गुलेर के राजा गोवर्धन

कांगड़ा स्कूल ऑफ़ पेंटिंग्स कांगड़ा घाटी की एक जन्मजात संतान है, जो गुलेर रियासत के जुनूनी राजा गोवर्धन चंद (1744-1773) के संरक्षण पनपी, फिर खूब फली फूली और चित्रकला की दुनिया के कई नए प्रयोग हुए।

राजा गोवर्धन चंद ने लघुचित्रों की मुगल शैली में प्रशिक्षित शरणार्थी कलाकारों को शरण दी। लहरदार-सीढ़ीदार खेतों, घास के मैदानों और हिमालय के बर्फीले ऊपरी हिस्से में हिमनदों के पानी से भरी नदियों और हरी-भरी घाटियों की सुंदरता से मिलकर मुगल शैली प्रकृतिवाद के साथ कांगड़ा शैली में विकसित हो गई।

दुनिया की नजर में चढ़ी

Kangra Paintings on Love :  क्ला इतिहासकार ए के कुमार स्वामी

कला इतिहासकार ए.के. कुमारस्वामी ने अमृतसर और कांगड़ा का दौरा करने के दौरान एक व्यापारी से कुछ पेंटिंग्स खरीदीं। उन्होंने चित्रकला की इस शैली और कांगड़ा लघुचित्र के चित्रण पर एक निबंध लिखा, जिसमें कांगड़ा पेंटिंग की सुंदरता के परिष्कार, संयम और दिव्यता का महिमामंडन किया।

उनके लेखन के बाद ही कांगड़ा भारतीय चित्रकला की ऐतिहासिक चर्चा के केंद्र में आया। दुनिया भर में कांगड़ा पेंटिंग के लिए सुनहरे अतीत की तलाश के साथ इसके संरक्षण का सिलसिला शुरू हुआ।

इस विषय से संबन्धित पोस्टें 

  1. Painter Pinki Thakur की चित्रकला में पहाड़ के चटख रंग, पहाड़ की संस्कृति और जनजीवन को रंगों के जरिए देश दुनिया में पहुंचाने की कोशिश

  2. एक ‘कांगड़ा दुल्हन’ पर मोहित हो गईं थीं लेडी माउन्ट बेटन, दूसरी ‘कांगड़ा दुल्हन’ अमेरिका में एक संग्रहालय में मौजूद

  3. Thangka Painting की पहली भारतीय महिला चित्रकार और शिक्षिका हैं डॉ. सारिका सिंह ‘सेंटर फॉर लिविंग बुद्धिस्ट आर्ट, ‘थंगदे गत्सल थंका स्टूडियो और हिमालय कला संग्रहालय की संस्थापक

 

himachalbusiness1101

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *