प्रेरककथा : मशरूम से आया लाइफ में बूम
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उत्तरी भारत के सबसे सफल मशरूम उत्पादक विकास बेनाल की कामयाबी की प्रेरक कथा
विनोद भावुक/ सोलन
सोलन के बड़ोग स्थित ‘विकास मशरूम फार्म’ के प्रबंध निदेशक विकास बेनाल उत्तरी भारत के सबसे सफल मशरूम उत्पादकों में से एक हैं। दो दशकों की अथक मेहनत के दम पर विकास ने मशरूम उत्पादन में सफलता की नई इबारत लिखी है। चार सौ लाख टन वार्षिक मशरूम उत्पादन वाले इस विकास फार्म का मशरूम का सलाना कारोबार चार करोड़ है।
विकास फार्म को आज देश में सबसे नवीन मशरूम उत्पादन फार्म के रूप में जाना जाता है। एयर कंडीशन मशरूम फार्म और ऑटोमेटिक कंपोस्ट प्रोडक्शन यूनिट वाले इस फार्म में प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से दो सौ लोगों को रोजगार मिला हुआ है।
6500 की पूंजी,20,000 का लाभ
कम ही लोगों को इस बात का पता है कि विकास फार्म की शुरुआत कभी महज 6500 रुपए की पूंजी के साथ हुई थी। 15 मार्च,1966 को जन्मे विकास बेनाल ने साल 1998 में हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय से वाणिज्य में स्नात्कोत्तर की डिग्री ली। यह वह समय था जब प्रदेश में सरकारी व गैर सरकारी सेक्टर में नौकरियां कम थी।
ऐसे में में विकास ने खुद का कारोबार करने का निर्णय लिया। उन्होंने महज 6500 रुपए की पूंजी के साथ अपने स्टार्टअप की शुरुआत की। उन्होंने उद्यान विभाग से बटन मशरूम उत्पादन के लिए बीज व कंपोस्ट सहित 200 बैग लेकर मशरूम उत्पादन की शुरुआत की।
पहले ही सीजन में बीस हजार के लाभ ने उन्हें इस क्षेत्र में बड़ी संभावनाओं का परिचय करवा दिया।
मशरूम उत्पादन के साथ कंपोस्ट उत्पादन
मशरूम उत्पादन के क्षेत्र में कारोबार की अपार संभावनाओं के देखते हुए अगले ही साल विकास ने दो लाख की पूंजी का निवेश कर खुद मशरूम उत्पादन के साथ अन्य मशरूम उत्पादकों के लिए जरूरी कपोस्ट खाद का उत्पादन भी शुरू कर दिया।
विकास ने मशरूम की खेती में महारत हासिल करने के लिए मशरूम के राष्ट्रीय अनुसंधान केंद्र (अब मशरूम अनुसंधान निदेशालय) से एडवांस कोर्स किया। उन्होंने मशरूम उत्पादन में अपने कौशल को बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार के खाद्य प्रसंस्करण और खाद्य मंत्रालय से एडवांस ट्रेनिंग ली।
इस कोर्स ने विकास को मशरूम उत्पादन करने के अत्याधुनिक तरीकों के प्रयोग के लिए प्रेरित किया। उन्होंने अपने मशरूम फार्म को अत्याधुनिक फार्म में तबदील करने का निर्णय लिया।
काम के लिए मिले कई सम्मान
मशरूम के उत्पादन में नई गाथा लिखने वाले विकास को मशरूम की खेती ने सामाजिक क्षेत्र में नई पहचान दी है। उन्हें कई सम्मानों से स्मानित किया जा चुका है।
10 सिंतबर 2005 को विकास बेनाल को मशरूम अनुसंधान निदेशालय ने सर्वश्रेष्ठ मशरूम उत्पादक के सम्मान से नवाजा। उन्हें गलौरी ऑफ इंडिया के पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया है।
23 जनवरी 2009 को भारत सरकार के कृषि मंत्रालय ने विकास बेनाल को तीन साल के लिए मशरूम अनुसंधान निदेशालय की मशरूम रिसर्च मैनेजमेंट कमेटी का सदस्य नामित किया।
एयर कंडीशन फार्म ऑटोमेटिक कंपोस्ट यूनिट
विकास ने मशरूम उत्पादन के क्षेत्र में नए प्रयोग किए। मशरूम उत्पादन के लिए कम तापमान की जरूरत होती है, इसलिए मशरूम उत्पादन केवल सर्दियों के महानों तक संभव है।
साल 1996 में विकास ने साल भर मशरूम उत्पादन क रने के लिए अपने फार्म को एयर कंडीशन से लैस कर दिया। अब यहां सालभर मशरूम का उत्पादन संभव हो गया।
उन्होंने वर्ष 2000 में अपने फार्म में स्थित कंपोस्ट उत्पादन इकाई का भी आधुनिकीकरण किया और उसे पूरी तरह से ऑटोमेटिक यूनिट में बदल दिया।
चार करोड़ का सलाना कारोबार
विकास मशरूम फार्म वर्तमान में देश में सबसे नवीन मशरूम उत्पादन फार्म के रूप में जाना जाता है। यह फार्म वर्तमान में प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप में 200 से अधिक लोगों को रोजगार प्रदान कर रहा है।
इस मशरूम फार्म में वार्षिक मशरूम उत्पादन 400 लाख टन तक पहुंच गया है। इस फार्म के खाद उत्पादन यूनिट में 5000 मीट्रिक टन खाद का उत्पादन करने की क्षमता है।
यह फार्म खुद मशरूम उत्पादन करने के साथ-साथ अन्य मशरूम उत्पादकों को बीज व खाद भी उपलब्ध करवाता है। विकास फार्म सालाना चार करोड़ से ज्यादा का कारोबार कर रहा है।
मेहनत में छुपा कामयाबी का राज
विकास मशरूम फार्म की आज देश में अपनी खास पहचान है। फार्म के प्रबंध निदेशक विकास कहते हैं कि यह मेहनत के दम पर हासिल की गई कामयाबी है। वह कहते हैं कि उन्होंने विकास फार्म को मशरूम उत्पादन में देश का सबसे सफल मॉडल बनाने के लिए कड़ी मेहनत, नए प्रयोग और गहन अध्ययन किया है।
मशरूम उत्पादन की बरीकियां सीखने के लिए कई एडवांस कोर्स किए, जिनका विकास मशरूम फार्म को विकसित करने में खास लाभ मिला।
भविष्य की संभावनाओं और मशरूम उत्पादन में तकनीक के प्रयोग के बारे में मिली सीख ने विकास मशरूम फार्म को अत्याधुनिक बनाने में बड़ी भूमि
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