ब्लड डोनर : उम्र 57 साल, ब्लड डोनेशन 164 बार
-
रक्तदान के लिए मिशन ‘कश्मीर से कन्याकुमारी’
-
23 स्टेट्स में ब्लड डोनेशन कर चुके रणदीप बत्ता
वीरेंद्र शर्मा वीर/ चंडीगढ़
ब्लड डोनर रणदीप बत्ता तीन दिन पहले ही मेडिकल कॉलेज मद्रास में रक्तदान कर के आए हैं। इसी के साथ वे 23 स्टेट में रक्तदान कर चुके हैं और इसी साल अक्तूबर में 23 – 24 अक्तूबर नागालैंड में रक्तदान करने जाने के लिए टिकट बुकिंग हो चुकी है।
ब्लड डोनर रणदीप बत्ता पिछले साल जुलाई में हिंसा से जलते मणिपुर में रक्तदान कर प्यार का पैगाम देने गए थे। पंचकुला निवासी 57 साल के रणदीप बत्ता ने 17 साल की उम्र में एनसीसी कैंप चायल में पहली बार रक्तदान किया था और अब तक 164 बार रक्तदान कर चुके हैं।
ब्लड डोनर रणदीप बत्ता रक्तदान जागरूकता को लेकर मिशन कश्मीर टू कन्याकुमारी चला रहे हैं। उन्हें ब्लड बैंक ऑफ पीजीआई चंडीगढ़ भी कहा जाता है।
17 साल की उम्र से रक्तदान
पंचकूला के सेक्टर 11 के रहने वाले ब्लड डोनर रणदीप बत्ता ने 17 साल की उम्र में सोलन के चायल में लगे ब्लड डोनेशन कैंप में अपनी उम्र के बारे में झूठ बोलकर पहली बार ब्लड डोनेट किया था।
ब्लड डोनर रणदीप बत्ता न केवल खुद ब्लड डोनेट करते हैं, बल्कि ब्लड डोनेशन कैंपों में पहुंच कर पहली बार रक्तदान करने वाले डोनर्स को मोटिवेट भी करते हैं।
एक सफल कारोबारी और व्यस्त दिनचर्या के बावजूद ब्लड डोनर रणदीप बत्ता के लिए उनका मिशन हमेशा प्राथमिकता रहेगी।
हर टीम माह बाद ब्लड डोनेशन
ब्लड डोनर रणदीप बत्ता को पंजाब विश्वविद्यालय के इवनिंग कॉलेज में पढ़ाई के दौरान ब्लड इवनिंग कॉलेज में पढ़ाई के दौरान ब्लड डोनेशन की महत्ता का एहसास हुआ।
फिर पीजीआई चंडीगढ़ में नियमित तौर पर ब्लड डोनेशन का सिलसिला शुरू हो गया। ऐसा भी हुआ कि ब्लड डोनर रणदीप बत्ता ने दो माह और एक माह के अंतराल में भी ब्लड डोनेट किया है।
यह दुआओं का असर है कि आज भी ब्लड डोनर रणदीप बत्ता पूरी तरह से फिट हैं और साल में नियमित तौर चार बार ब्लड डोनेट कर रहे हैं।
हर बर्थड़े पर ब्लड डोनेशन
हर साल 3 अगस्त को ब्लड डोनर रणदीप बत्ता अपने जन्मदिन के अवसर पर रक्तदान करते आ रहे हैं। यह सिलसिला कॉलेज के दिनों से ही जारी है।
ब्लड डोनर रणदीप बत्ता कहते हैं कि अपने कारोबार के सिलसिले में प्रदेश के बाहर रहने के बावजूद वह हर हाल में रक्तदान करते ही है।
वह हिमाचल प्रदेश में लगने वाले कैंपों में भी कई बार रक्तदान कर चुके है। इस बार ब्लड डोनर रणदीप बत्ता अपने जन्मदिन से तीन राओज पहले ही ब्लड डोनेट कर आए हैं।
ब्लड डोनर का एक किस्सा
रणदीप बत्ता ने बताते हैं कि 2 अगस्त 1991 की बात है। पीजीआई में एक संभ्रांत परिवार की प्रौढ़ महिला भर्ती थी। डॉक्टरों ने उसके ऑप्रेशन से पहले फ्रेश ब्लड उपलब्ध करवाने को कहा था।
महिला की बेटी ने रणदीप बत्ता से संपर्क किया। ब्लड डोनर रणदीप बत्ता को अभी ब्लड डोनेट किए हुए एक माह भी नहीं हुआ था। वह अपने कारोबार के चक्कर में चंडीगढ़ से बाहर भी थे। रणदीप बत्ता अगले दिन पीजीआई में ब्लड डोनेट किया।
संयोग से उस रोज रणदीप बत्ता जन्मदिन था। इसी के साथ हर साल जन्मदिन का जश्न ब्लड डोनेशन के साथ मनाने का सिलसिला शुरू हो गया।
खुद का रोजगार, पहाड़ों से प्यार
ब्लड डोनर रणदीप बत्ता बताते हैं उन्होंने अपने जीवन में कारोबार के लिए जम कर मेहनत की है और बाईक और कार से पंजाब, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश का लगभग हर शहर और गांव घूमा है।
रणदीप बत्ता कहते हैं कि उन्हें पहाड़ों से प्यार है और अवसर मिलते ही वह पहाड़ों की ओर निकल पड़ते हैं।
देश भर में बने खून के रिश्ते
रणदीप बत्ता कहते हैं कि जीवन साथी के रूप में नीलू बत्ता ने उन्हें हमेशा समाजसेवा के लिए प्रोत्साहित किया है। रक्तदान जागरूकता को लेकर ब्लड डोनर रणदीप बत्ता को देश की कई संस्थाएं सम्मानित कर चुकी हैं। वे हमेशा आम आदमी के संघर्ष में वह उनके साथ खड़े रहते हैं।
रणदीप बत्ता बताते हैं कि कोविड काल में विपरीत परिस्थियों के बावजूद उन्होंने कई बार रक्तदान किया। ब्लड डोनेशन की मुहिम के चलते कई राज्यों में उनके खून के रिश्ते बन गए हैं।
देहदान करेगा बत्ता दंपति
ब्लड डोनर रणदीप बत्ता और उनकी पत्नी नीलू बत्ता ने अपनी शादी की 26 सालगिरह पर देहदान करने का प्रण लिया था। इस दंपति ने इस संदर्भ में पीजीआई चंडीगढ़ में तमाम औपचारिकताओं को पूरा कर लिया है।
ब्लड डोनर रणदीप बत्ता और उनकी पत्नी के इस जज्बे को जयहिंद।
इस विषय से संबन्धित अन्य पोस्टें –