भुट्टिको : 23 रुपए से कारोबार, चमक 7 समंदर पार
विनोद भावुक/ कुल्लू
भुट्टिको ने कुल्लू शाल को विश्व स्तरीय ब्रांड बनाने मील का पत्थर साबित किया है। आज बेशक भुट्टिको की गिनती देश की नामी सहकारिता समितियों में होती है और सालाना कारोबार करोड़ों में है, लेकिन कम ही लोगों को पता होगा कि भुट्टिको की शुरुआत बड़े ही छोटे स्तर पर हुई थी।
साल 1944 में सहकारिता निरीक्षक राम चंद ठाकुर के व्यक्तिगत प्रयासों से लग घाटी के भूठी गांव के 12 बुनकरों ने ‘द भूठी वीवर्ज सोसायटी’ गठित की तो सोसायटी की कुल जमा पूंजी 23 रुपए चार आने थी।
भुट्टिको सोसायटी के पास न के बराबर संसाधन और उत्पादन थे। यही कारण था कि यह सोसायटी अगले 12 सालों तक केवल एक सौ रूपए का कारोबार कर सकी।
1956 में फिर जिंदा हुई सोसायटी
दोहडू़ और पट्टू की बुनाई से आगे निकल कर कुल्लू शाल को विश्व स्तरीय ब्रांड बनाने की यह जिद और जनून की कहानी है भुट्टिको की आत्मा कहे जाने वाले स्वर्गीय ठाकुर वेद राम की है। साल 1956 में ठाकुर वेद राम ने इस सोसायटी को फिर से जिंदा करने की पहल की।
उन्होंने कुल्लू के हथकरघा उद्योग को नई दिशा देने की पहल की और 10 सालों की अथक मेहनत से साल 1966 में इस सोसायटी को एक आदर्श सोसायटी की पहचान मिली।
वर्ल्ड फेमस ब्रांड
सहकारिता के क्षेत्र में भुट्टिको आज विश्व विखयात ब्रांड है। गुणवता भुट्टिको के उत्पादों की पहली पहचान है। एक अनुमान के अनुसार यह सोसायटी साल में एक सौ करोड़ का कारोबार कर रही है।
आज भुट्टिको के मसूरी, कानपुर और दिल्ली सहित देश- प्रदेश में 27 शो रूम हैं। भुट्टिको देश के अवाला विदेशों में भी कुल्लू शाल और टोपी की बड़ी बिक्री करता है। डिजिटल मीडिया का फायदा उठा कर सोसायटी ऑन लाइन मार्केटिंग भी कर रही है।
गोल्ड मेडल से सम्मानित भुट्टिको
तीन दशक में भुट्टिको ने शानदार प्रदर्शन किया और बुनकरों के दिन बुहरने लगे। 1993- 94 में भुट्टिको सोसायटी को प्राथमिक हथकरघा सहकारी समितियों में प्रथम स्थान हासिल करने के लिए केंद्रीय वस्त्र मंत्रालय ने गोल्ड मेडल प्रदान किया गया।
भुट्टिको सोसायटी ने राष्ट्रीय फैशन डिजायनिंग संस्थान अहमदाबाद से मिल कर नए डिजायन तैयार किए हैं।देश- विदेश में होने वाली प्रदर्शनियों में सोसायटी के उत्पाद आकर्षण का केंद्र होते हैं।
बुनकरों के लिए वरदान भुट्टिको
भुट्टिको के 165 बुनकर सोसायटी की कॉलोनी में रह कर बुनाई का काम करते हैं, जबकि चार सौ खड्डियां लोगों के घरों में लगाई गई हैं। हजारों लोगों को सोसायटी रोजगार प्रदान कर रही है। भुट्टिको के बुनकरों में ज़्यादातर महिलाएं हैं।
भुट्टिको कुल्लू में लैंगिक समानता और महिला सशक्तिकरण में अहम भूमिका निभा कर सामाजिक- आर्थिक बदलाव की नई इबारत लिख रही है।
केसीसी बैंक केअध्यक्ष रहे वेद राम ठाकुर
भुट्टिको के संस्थाक वेद राम ठाकुर कांगड़ा केंद्रीय सहकारी बैंक के निदेशक रहे। वह 1957 से लेकर 1971 तक बैंक के अध्यक्ष रहे। वह पंजाब हेंडलूम वीवर्ज अपैक्स के उपप्रधान, इंडियन इंस्टीच्यूट ऑफ हेंडलूम टेक्नोलॉजी के सदस्य और आल इंडिया हैंडलूम बोर्ड के निदेशक रहे।
1971 में जब वेदराम ठाकुर का पचास वर्ष की आयु में निधन हुआ तो उनके 23 साल के बेटे सत्य प्रकाश ठाकुर ने भुट्टिको वीवर्ज का दायित्व अपने कंधों पर लिया।
1979 से शुरू किया एक्सपोर्ट
सत्य प्रकाश ने अपने पिता के शुरू किए सहकारिता मिशन को आगे बढ़ाने के लिए डट कर मेहनत की। मुलायम हल्की बढिय़ा शालें बनाकर उन्होंने शाल के विपणन को एक नई दिशा दी।
भुट्टिको सोसायटी ने 1979 से शालों का निर्यात शुरू किया। वर्तमान में भुठी कॉलौनी में बुनकरों के लिए 95 आवासीय मकान और पांच कार्यशालाएं हैं। यहां उत्पादों की गुणवता जांचने के लिए अत्याधुनिक वर्कशाप भी है।
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