माउंटेन मैन: लोगों को किया अलर्ट, सोशल मीडिया पर वायरल
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सैंकड़ों विदेशी ट्रकरों को मौत के मुंह में जाने से बचा चुके छापे राम
बिजनेस हिमाचल टीम / धर्मशाला/ कुल्लू
भारी बरसात के चलते मलाणा डैम के टूटने से आई बाढ़ से नदी किनारे रहने वाले सैंकड़ों लोगों को सचेत कर अनमोल जीवन को बचाने वाले माउंटेन मैन के नाम से मशहूर छापे राम नेगी सोशल मीडिया पर तेज़ी से वायरल हो रहे हैं।
बाढ़ के तांडव के बीच पल – पल की जानकारी सोशल मीडिया पर लाइव आ कर देते रहे और नदी किनारे रहने वाले लोगों को सावधान करते रहे छापे राम नेगी की खूब तारीफ हो रही है। आइये मिलते हैं पार्वती घाटी के इस फरिश्ते से, जो सैंकड़ों ट्रेकरों की जान बचा चुके हैं और जिन्हें दुनिया माउंटेन मैन के नाम से जानती है।
माउंटेन मैन के नाम से मशहूर
अंतरराष्ट्रीय टूरिस्ट डेस्टिनेशन कुल्लू की कई ट्रैक रूट्स वाली पार्वती घाटी में रहस्यमयी परिस्थितियों में सबसे अघिक विदेशी गुम हो चुके हैं। दुनिया भर के ट्रैकर इस घाटी के रहने माउंटेन मैन छापे राम नेगी को माउंटेन मैन के नाम से जानते हैं। किसी भी देश का ट्रैकर घाटी में रास्ता भूल जाए, या किसी हादसे का शिकार हो जाए, सबसे पहले माउंटेन मैन को याद किया जाता है।
इजरायल ने किया है सम्मानित
आपदा की खबर मिलते ही माउंटेन मैन छापे राम अपनी जान को जोखिम में डाल कर अपने मिशन के लिए निकल पड़ते हैं और मिशन पूरा कर ही लौटते हैं। बेशक प्रदेश सरकार ने उनके साहस और दिलेरी की परख नहीं की हो, लेकिन इजरायल ने माउंटेन मैन को इजरायल रत्न कहे जाने वाले बेन गुरियन पुरस्कार से सम्मानित किया है।
अपनी रेस्क्यू टीम गठित की
छोटी सी उम्र से घाटी में ट्रैकरों के रेस्क्यू करते आ रहे माउंटेन मैन छापे राम अब तक पांच सौ से ज्यादा विदेशी ट्रकरों को मौत के मुंह में जाने से बचा चुके हैं। तीन दशक के सफर में माउंटेन मैन ट्रेकिंग के दौरान रास्ता भटक जाने वाले सैंकड़ों ट्रकरों के खोज व बचाव अभियानों में शामिल रहे हैं।
माउंटेन मैन छापे राम नेगी ने जरूरी उपकरणों से सुसज्जित अपनी पांच सदस्यीय रेस्क्यू टीम बनाई है। छापे राम एनडीआरएफ सहित कई एजेसियों के खोज व बचाव अभियानों में शामिल रहे हैं और कई घायल ट्रकरों को बचाया है।
13 साल की उम्र में पहला रेस्क्यू
पार्वती घाटी के शिवपुरी चौकी गांव से सम्बन्ध रखने वाले माउंटेन मैन के नाम से मशहूर छापे राम नेगी जब आठवीं के स्टूडेंट थे, तभी से टुरिस्ट गाइड के रूप में काम करना शुरू कर दिया था। दसवीं में पहुंचते परिवार को आर्थिक संबल देने के लिए स्कूल छोड़ कर फुल टाइम टुरिस्ट गाइड का करने लगे।
यहां पैदा होने के कारण घाटी के चप्पे- चप्पे को जानते हैं और हर ट्रैक रूट के बारे में गहरी समझ रखते हैं। उन्होंने 13 साल की उम्र में पहला रेस्क्यू ऑपरेशन किया था, तभी से यह सिलसिला जारी है और 5ओ साल की उम्र पूरी करने के बाद भी वह घाटी में पूरी तरह मुस्तैद हैं।
उपकरण देकर प्रोत्साहित कर सकती है सरकार
माउंटेन मैन छापे राम नेगी का नाम ट्रैकिंग की दुनिया में बड़े सम्मान के साथ लिया जाता है। दुनिया भर के ट्रैकर उनकी दरियादिली के कायल हैं।
टुरिस्ट गाइड के रूप में अपनी आर्थिकी चलाने वाले छापे राम अपने खोज व बचाव अभियानों में किसी से कोई पैसा नहीं लेते।
उन्होंने इन अभियानों के लिए जरूरी उपकरण भी खुद के पैसों से खरीदे हैं। आपदा प्रबंधन में निस्वार्थ सेवा कर रहे इस हिमाचली हीरे को रेस्क्यू में काम आने वाले जरूरी उपकरण देकर उसकी पीठ थपथपा सकती है। इतनी नैतिकता तो बनती है।
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