सरहद पार मिठास घोल रहे सुनील राणा के गाये लोकगीत

सरहद पार मिठास घोल रहे सुनील राणा के गाये लोकगीत
लोक गायक सुनील राणा

हिमाचल बिजनेस/ धर्मशाला

अपनी लोक संस्कृति की महक को जिंदा रखने के लिए यह गायक की साधना का ही फल है कि चंबा की गद्दी लोकगीत अब देश की सरहदों से पार जाकर अपनी मिठास घोल रहे हैं। धर्मशाला के सतोवरी कस्बे के सुनील राणा ने अपनी पुरातन लोक संगीत और लोकगीत को सिंगापुर तक पहुंचाकर अपनी गायकी और लोक संगीत की कसक का एहसास करवाया है।

लोकसंगीत से प्यार, संरक्षण का आधार

लोकगीत के माध्यम से गद्दी लोक संस्कृति के विभिन्न रंगों को सहेजने में जुटे लोक गायक सुनील राणा कहते हैं कि लोक संगीत से उन्हें दिल से प्यार है और यही कारण है कि वह इसके संरक्षण में जुटे हैं।

गद्दी समुदाय से संबंध रखते सुनील ने गद्दी लोकगीतों के संरक्षण की शुरूआत उन परिस्थितियों में की, जब अधिकतर लोग अपनी बोली को बोलने से कतरा रहे थे।

घर से मिला संगीत का साथ

सतोवरी गांव के किशन लाल और कमला देवी के घर 20 दिसंबर 1979 को पैदा हुए सुनील राणा लोकगीतों के इसलिए भी करीब चले गए, क्योंकि घर में माता-पिता की लोक संगीत में गहन रुचि थी और घर का माहौल संगीतमय था।

उनका बचपन लोकगीतों की स्वर लहरियों पर थिरकते बीता। बचपन से से ही लोकगीत गुनगुनाना उन्हें अच्छा लगता था। यही कारण रहा कि उन्होंने लोकगायकी को चुना।

पहली केसेट को नहीं मिला था प्रोड्यूसर

लोकसंगीत के प्रति आकर्षित सुनील राणा ने धर्मशाला कॉलेज से संगीत की पढ़ाई की। बेशक आज सुनील राणा के गाये गीत लोक उत्सवों की शान होते हैं, लेकिन एक वह भी दौर था जब उन्हें लोकगायन के लिए खूब संघर्ष करना पड़ा था।

गदियाली बोली के गीतों की उनकी पहली केसेट प्रोड्यूसर न मिलने के कारण अपने कुछ मित्रों के सहयोग से रिलीज करनी पड़ी थी।

गद्दी संस्कृति को दी नई पहचान

आज सुनील की गायकी के प्रति लोगों का आलम यह है कि गद्दी समुदाय के हर समारोह व उत्सव में सुनील राणा के गाए लोकगीत खास आकर्षण रखते हैं।

गदियाली बोली में शिव विवाह प्रसंग, लोक रामायण जैसी कई अलबमें गद्दी संस्कृति की मुहं बोलती तस्वीरें हैं।

शब्दों की समझ जरूरी

सुनील राणा की पहचान बेशक एक लोकगायक के तौर पर हो, लेकिन वह लोकगीत गाने से पहले गहराई तक उस विषय की रिसर्च करते हैं। उनका कहना है कि गाये जाने वाले शब्दों की समझ गायकी को और ज्यादा भावपूर्ण एवं वास्तविक बना देती है।

वह प्रदेश में विभिन्न उत्सवों में अपनी मखमली आवाज के बलबूते लोकगायकी को नई उड़ान देते आ रहे हैं। लोक संगीत को सहेजने के लिए वे एक के बाद एक प्रोजेक्ट पर काम कर रहे होते हैं।

चार डॉक्यूमेंटरी फिल्में

सुनील राणा के जीवन पर अब तक चार डॉक्यूमेंटरी फिल्में बनी हैं, जिसमें एक का प्रसारण सिंगापुर में भी हुआ। उन्हें सिंगापुर में लाइव परफारमेंस के लिए आमंत्रित किया गया था।

सुनील राणा टेडेक्स टॉक करने वाले हिमाचल प्रदेश के पहले लोक कलाकार हैं। सुनील राणा के यूट्यूब चैनल पर उनके लोकगीत सुनने वालों को बांध लेते हैं।

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