मुरली मनोहर मंदिर:  उलटी दिशा में बांसुरी  बजाते श्रीकृष्ण

मुरली मनोहर मंदिर:  उलटी दिशा में बांसुरी  बजाते श्रीकृष्ण
मुरली मनोहर मंदिर सुजानपुर।

हिमाचल बिजनेस/ हमीरपुर

कांगड़ा के महाराजा संसार चंद की राजधानी रहे सुजानपुर टीहरा में मुरली मनोहर मंदिर श्रीकृष्ण का एक ऐसा मंदिर है, जहां श्रीकृष्ण उल्टी दिशा में बांसुरी बजा रहे हैं। देश में यह इकलौता मंदिर है, जहां कृष्ण विपरीत दिशा में मुरली को पकड़े हुए नजर आते हैं। मुरली मनोहर मंदिर सुजानपुर में तीन मूर्तियां स्थापित हैं। मंदिर के अंदर बेहतरीन नक्काशी की गई है।

महाराजा संसार चंद ने लगभग चार सदी साल पहले मुरली मनोहर मंदिर का निर्माण करवाया था। कलाप्रेमी महाराजा संसार चंद ने साल 1794 में मुरली मनोहर मंदिर का निर्माण कार्य शुरू करवाया। यह मंदिर साल 1796 में बन कर तैयार हुआ। यह मंदिर अपने आप में अनूठा इतिहास संजोए हुए है।

शालिग्राम शिला से बनी श्रीकृष्ण की प्रतिमा

मुरली मनोहर मंदिर में श्रीकृष्ण की प्रतिमा का निर्माण शालिग्राम शिला से किया गया है। मंदिर के चारों ओर नवग्रह स्थापित किए गए हैं। प्रवेश द्वार के ठीक सामने गरुड़ की प्रतिमा है।
मुरली मनोहर मंदिर में पूजा करते मुख्यमंत्री सुखबिन्द्र सिंह सुक्खू।

मुरली मनोहर मंदिर में श्रीकृष्ण की प्रतिमा का निर्माण शालिग्राम शिला से किया गया है। मंदिर के चारों ओर नवग्रह स्थापित किए गए हैं। प्रवेश द्वार के ठीक सामने गरुड़ की प्रतिमा है।

वर्ष 1905 में आए भूकंप से मंदिर का एक स्तंभ गिर गया था व वेदिका को भी नुकसान पहुंचा था।

मुरली मनोहर मंदिर के साथ जुड़ी कहानी

मुरली मनोहर मंदिर में मौजूद भगवान श्रीकृष्ण की बांसुरी के दूसरी दिशा में होने के पीछे महाराजा संसार चंद के समय से कथा जुड़ी हुई है।

कहा जाता है कि जिस समय मुरली मनोहर मंदिर के अंदर श्रीकृष्ण की मूर्ति की स्थापना की जा रही थी तो महाराजा ने मूर्ति की स्थापना पर सवाल खड़े किए। हुक्म हुआ कि अगर सुबह तक मुझे जवाब नहीं मिला तो सभी पुजारियों के सिर काट दिए जाएंगे।

पुजारी रात भर चिंता में रहे, लेकिन सुबह मंदिर के अंदर भगवान श्रीकृष्ण के चमत्कार को देख कर दंग रह गए। शाम के समय बांसुरी की दिशा सीधी दिशा में थी, लेकिन अब बांसुरी की दिशा विपरीत हो गई है। इसे साक्षात भगवान श्रीकृष्ण के मौजूद होने का सबूत मिलता है।

‘लख टकिया मंदिर’के नाम से मशहूर

मंदिर के निर्माण के साथ भी एक कहानी जुड़ी है, जिस वजह से इस मंदिर को लखटकिया मंदिर के नाम से भी जाना जाता है।

कहा जाता है कि महाराजा की मां ने एक लाख रुपए की रकम एक साथ देखने की इच्छा जाहिर की। बेटे ने सवा लाख की राशि मां के समक्ष रख दी। मां ने इससे भगवान श्रीकृष्ण का मंदिर बनाने को इच्छा जाहिर की।

मां के आदेश पर राजा संसार चंद ने मुरली मनोहर मंदिर का निर्माण करवाया। इस कारण इस मंदिर को लोग लखटाकिया मंदिर भी कहते हैं।

होली उत्सव से मंदिर का खासा नाता

महाराजा संसार चंद मुरली मनोहर मंदिर में पूजा-अर्चना करने के बाद प्रजा के साथ होली खेलते थे। रियासतों के दौर के बाद प्रशासन ने यह परंपरा कायम रखी है। होली के राज्य स्तरीय उत्सव का शुभारंभ इसी मंदिर से होता है।

मुरली मनोहर मंदिर तक शोभायात्रा निकाली जाती है और मंदिर में मुख्यतिथि पूजा-अर्चना करते है। कहा जाता है कि निर्माण कार्य के पूर्ण होने पर महाराजा ने भव्य होली का आयोजन करवाया था। यह आयोजन परंपरा बन गया।

आस्था का केंद्र पुरातन मंदिर

चार सदी पहले स्थापित मुरली मनोहर मंदिर आज भी लोगों की आस्था का केंद्र है। जन्माष्टमी के उपलक्ष्य में मंदिर में बड़े और भव्य आयोजन किए जाते हैं।

इस मंदिर में भगवान श्रीकृष्ण की पूजा-अर्चना सच्चे मन से करने पर हर मुराद पूरी होती है। भक्तजन इस पुरातन मंदिर में आकर भक्तिमय हो जाते हैं। जन्माष्टमी के लिए मुरली मनोहर मंदिर को विशेष तौर पर सजाया जा रहा है। इस अवसर पर विशेष कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा।

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