मुहम्मद रफी संगीत संसार, नवीन राठौर की रिसर्च का आधार      

मुहम्मद रफी संगीत संसार, नवीन राठौर की रिसर्च का आधार      
मुहम्मद रफी

हिमाचल बिजनेस/ सुंदरनगर

अपनी मखमली आवाज के दम पर लाखों दिलों में राज करने वाले अमर गायक मुहम्मद रफी के गायन और संगीत के क्षेत्र में किए गए महान काम को मंडी के युवा गायक नवीन राठौर अपने शोध के जरिये दुनिया के सामने लाए हैं।

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यह पहला मौका है जब मुहम्मद रफी के जीवन को इतने करीब से झांकने की किसी ने कोशिश की है। ‘संगीत की विकासधारा में पद्मश्री मुहम्मद रफी का योगदान-एक अध्ययन’ शोध को नवीन राठौर ने पांच साल में मुकम्मल किया है।

उन्होंने रफी और संगीत से जुड़े कई प्रसंगों की गहराई से पड़ताल की है। रफी के गीतों के दीवानों के लिए नवीन का यह एक यादगार तोहफा है।

रफी के बचपन से मुरीद रहे नवीन

हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय से नवीन राठौर ने पीएचडी की डिग्री हासिल की है। बचपन से ही नवीन राठौर गायिकी की दुनिया से जुड़ गए थे। प्रख्याात गायक मुहम्मद रफी के अनन्य प्रशंसक रहे नवीन ने उनके जीवन पर शोध के जरिए डाक्टरेट की उपाधि हासिल करके जैसे अपने जीवन की सबसे बड़ी सफलता हासिल की है।

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‘संगीत की विकासधारा में पद्मश्री मुहम्मद रफी का योगदान- एक अध्ययन’ शोध प्रबंध को उन्होंने हिप्र विश्वविद्यालय शिमला के मंच एवं दृश्य कला संकाय से किया है। प्रोफेसर चमन लाल वर्मा (पूर्व अधिष्ठाता एवं पूर्व विभागाध्यक्ष, संगीत विभाग राज्य विवि, शिमला) उनके शोध निर्देशक रहे हैं।

पांच साल की अथक मेहनत का सुखद परिणाम

नवीन से पहले किसी भी विवि में मुहम्मद रफी के जीवन पर कोई बड़ा काम नहीं किया गया था। अपने संगीत प्रेमी पिता प्रेम सिंह राठौर के मार्गदर्शन व प्रेरणा से नवीन ने इस चुनौती को स्वीकारते हुए यह विषय चुना। इस काम के लिए उन्हें पांच साल लगे।

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वर्ष 2009 में उन्होंने इस पर काम करना शुरू किया था। हिंदी सिनेमा में गीत- संगीत को अमर कर देने वाले रफी साहब के काम पर शोध करना कतई आसान काम नहीं था। यह नवीन राठौर की उनके प्रति दीवानगी ही थी कि उन्होंने इस शोध को पूरा करने के लिए न केवल गहन अध्ययन किया, बल्कि कई यात्राएं कर रफी के संगीत जीवन से जुड़े लोगों से लंबी वार्ताएं भी की।

रफी के स्कूल में पहुंच पहुंचे नवीन

मुहम्मद रफी के जीवन के बारे में जानने के लिए नवीन राठौर उनके पंजाब प्रांत स्थित गांव कोटला सुलतान सिंह गए और उनके बचपन के दोस्त सरदार कुंदन सिंह से मिले।

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रफी साहब ने जिस स्कूल में उन्होंने शिक्षा ग्रहण की थी, वहां पर भी जाकर जानकारी हासिल की। पांच-छह बार उन्हें अमृतसर जाना पड़ा।

जानकारी के लिए मुंबई का सफर

अपने शोध को पूरा करने के लिए नवीन राठौर को मुंबई जाकर काफी दिन लगाने पड़े। मुंबई प्रवास के दौरान उन्होंने मुहम्मद रफी के नजदीकी परिजनों, मित्रों उनके साथ काम करने वालों, श्रोताओं, टीवी, इंटरनेट पुस्तकालयों आदि से जरूरी जानकारी जुटाई।

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उन्होंने प्यारे लाल, आनंद जी, गायक मोहम्मद अजीज, सोनू मजूमदार, उस्ताद मकबूल हुसैन, पार्शव गायिका शारदा, ममता शर्मा, विनोद सहगल आदि से साक्षात्कार करके मुहम्मद रफी के बारे में जानकारी जुटाई।

रिकार्ड : रफी ने 4925 गीत गाये

शोध के दौरान नवीन ने पाया कि अपने जीवन में मुहम्मद रफी ने ऑन द रिकार्ड 4925 गाने गाए हैं, जिनमें फिल्मी गैर फिल्मी गाने शामिल हैं।

उनके कई दोस्तों का तो यह दावा है कि रफी साहब ने हर पल गाने में जिया है और इस दौरान उन्होंने लगभग 26 हजार गाने गाए हैं। भले ही इसका कोई पुख्ता प्रमाण नहीं है।

जीवन के हर पहलू को छूने की कोशिश

मुहम्मद रफी साहब के दोस्तों ने नवीन को बताया कि हजारों गाने ऐसे हैं, जो कहीं रिकार्ड नहीं हो पाए। बस वह उन्हें हर वक्त गुनगुनाया करते थे। नवीन ने मुहम्मद रफी के संगीत के सफर के हर पहलू से करीब से छूने की कोशिश की है।

 

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