राय बहादुर जोधामल कुठियाला: हिमाचल प्रदेश के महान दानवीर, परोपकार से बदली कईयों की तकदीर

राय बहादुर जोधामल कुठियाला: हिमाचल प्रदेश के महान दानवीर, परोपकार से बदली कईयों की तकदीर
विनोद भावुक/ ऊना- कांगड़ा
हिमाचल प्रदेश के ऊना जिले के हरोली क्षेत्र से संबंध रखने वाले राय बहादुर जोधामल कुठियाला अपने युग के उन चुनिंदा दानवीरों में थे, जिनके सामाजिक कार्यों की रोशनी जम्मू-कश्मीर, अविभाजित पंजाब और हिमाचल प्रदेश के पहाड़ी क्षेत्रों तक फैली। 23 नवंबर 1883 को कुठियाला रियासत के गांव हरोली में जन्मे जोधामल ने जीवन भर शिक्षा, स्वास्थ्य और महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में अभूतपूर्व योगदान दिया।
डिस्ट्रिक्ट गजेटियर कांगड़ा 1960 के मुताबिक उन्होंने लगभग 50 वर्षों तक लगातार दान दिया और संस्थागत परमार्थ में विश्वास रखा। वे उस युग में वेलफेयर स्टेट के जनक के रूप में पहचाने गए। औपनिवेशिक भारत में ऐसी सोच विरल ही थी। 9 अक्टूबर 1961 को उनका निधन हो गया, लेकिन उनकी विरासत आज भी सामाजिक निर्माण की जीवंत मिसाल है। उनके परिजनों द्वारा आज भी समाजसेवा का कार्य जारी रखा गया है।
टांडा में 400 बिस्तरों वाला टीबी अस्पताल
राय बहादुर जोधामल कुठियाला का सबसे उल्लेखनीय दान कांगड़ा के टांडा स्थित 47 एकड़ भूमि पर स्थापित क्षय रोग सैनिटोरियम सह अस्पताल था। राय बहादुर जोधामल ने इस सम्पूर्ण परिसर को सरकार को निःशुल्क समर्पित किया, जिससे सैकड़ों मरीजों को जीवनदान मिला। अब टांडा में डॉ. राजेंद्र प्रसाद मेडिकल कॉलेज चल रहा है।
धर्मशाला में सराय का निर्माण
राय बहादुर जोधामल कुठियाला ने धर्मशाला के डीपो बाजार में एक भव्य सराय का निर्माण करवाया था। इसका विवरण हिमाचल स्टेट लाइब्रेरी की कांगड़ा आर्काइव्स में दर्ज है। स्वामी सत्यानन्द चेरिटेबल ट्रस्ट के रिकॉर्ड के मुताबिक 14 मई 1942 को सराय भवन का उद्घाटन तत्कालीन संत एवं समाजसेवी स्वामी सत्यानंद जी महाराज ने किया था। यह सराय आज भी प्रवासी यात्रियों और जरूरतमंदों की सेवा कर रही है।
शिक्षा के क्षेत्र में योगदान
राय बहादुर जोधामल की ओर से शुरू की गई छात्रवृत्तियां आज भी जम्मू-कश्मीर, पंजाब और हिमाचल प्रदेश में उनके वारिसों द्वारा दी जा रही हैं। छात्रवृत्तियां का उद्देश्य गरीब छात्राओं को उच्च शिक्षा की ओर प्रोत्साहित करना है। राय बहादुर जोधामल ने कई डीएवी स्कूलों और अन्य संस्थाओं को भवन दान किए, जिससे सैकड़ों विद्यालयों का शैक्षणिक आधार मजबूत हुआ।
डोडा, किश्तवाड़ और भद्रवाह तक मदद
जम्मू एंड कश्मीर स्टेट फ़िलैन्थरोपी रिकॉर्ड 1955 राय बहादुर जोधामल ने जम्मू-कश्मीर के डोडा, किश्तवाड़, भद्रवाह समेत पहाड़ी इलाकों में सराय और धर्मशालाएं बनवाईं और उन्हें सार्वजनिक सेवा के लिए दान कर दिया। ये भवन आज भी उन दुर्गम क्षेत्रों में मुसाफिरों और समाज के गरीब वर्गों की मदद कर रहे हैं।
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