रॉयल स्टोरी : कांगड़ा के राजा, हरिद्वार में हुई मौत

रॉयल स्टोरी : कांगड़ा के राजा, हरिद्वार में हुई मौत

हिमाचल बिजनेस/ कांगड़ा

महाराजा संसार चंद की मौत के बाद कांगड़ा के राजा बने उनके बेटे अनिरूद्व चंद की हरिद्वार में मौत हुई थी। आखिर क्या वजह थी कि अनिरूद्व चंद को कांगड़ा रियासत छोड़ हरिद्वार में रहने को मजबूर होना पड़ा था?

इस सवाल के जवाब के पीछे एक रॉयल स्टोरी है, जिसकी एक कड़ी लाहौर की गद्दी पर काबिज महाराजा रणजीत सिंह से जुड़ी है। आईए, इस कहानी को यूं शुरू करते हैं।

कांगड़ा पर आक्रमण, बाघल में शरण

साल 1823 में महाराजा संसार चंद की मौत के बाद उसका पुत्र अनिरूद्व चंद कांगड़ा का राजा बना। यह वह समय था, जब लाहौर की गद्दी पर महाराजा रणजीत सिंह काबिज थे।

अनिरूद्व चंद के कांगड़ा के राजा बनने के पांच महीने के बाद महाराजा रणजीत सिंह ने कांगड़ा पर आक्रमण कर दिया। अनिरूद्व चंद को अपने साम्राज्य को छोड़ बाघल रियासत में शरण लेनी पड़ी।

यहां से बिगड़ गई थी  बात

जब अनिरूद्ध चंद कांगड़ा की गद्दी पर बैठा था रणजीत सिंह के बड़े ओहदेदार कांगड़ा के राजा को बधाईयां देने कांगड़ा आए। लाहौर दरबार की तरफ से उन्हें एक घोड़ा, एक धनुष, शॉल, मोती का कंठा भेंट किया गया।

कुछ समय बाद जब अनिरूद्ध चंद रणजीत सिंह से मिलने लाहौर गए तो एक लाख बीस हजार रूपयों का नजराना भेंट किया।

बहन की शादी के लिए रखा प्रस्ताव

रणजीत सिंह ने अपने एक दीवान ध्यान सिंह के पुत्र हीरा सिंह के साथ महाराजा संसार चन्द की पुत्री के विवाह का प्रस्ताव रखा। दरअसल महाराजा रणजीत सिंह ने जानबूझ कर कांगड़ा के राजा को बेईज्जत करने के लिए यह प्रस्ताव उसके सामने रखा था।

अनिरूद्ध चंद अपनी वंश परम्परा की मर्यादा और धर्म के कारण इस पक्ष में नहीं था। भारी मन से हां करने के बाद कांगड़ा के ने नादौन वापसी की।

रणजीत सिंह का नादौन कूच, अर्की भागा राजा

कांगड़ा के राजा अनिरूद्ध चंद कोई न कोई बहाना बना कर इस प्रस्ताव को टालता रहा। गुस्साए रणजीत सिंह ने सेना सहित नादौन की ओर कूच किया।

कांगड़ा के राजा को इस बात का पता चला वह अपनी मां अपने दोनों बेटों रणवीर चंद और प्रमोद चंद तथा खानदान की बेटियों को साथ लेकर सतलुज पार अंग्रेज शासित बाघल की राजधानी अर्की जा पहुंचा। कुछ समय पश्चात राजा ने हरिद्वार का रुख किया।

हरिद्वार से की बहनों की शादी

कांगड़ा के राजा अनिरूद्ध चंद ने हरिद्वार में रहने के दौरान अपनी दोनों बहनों की शादी टिहरी गढ़वाल के राजा सुदर्शन शाह से कर दी।

साल 1829 में बहनों की शादी करने के बाद राजा अपने बेटों के साथ हरिद्वार से अर्की आ गया। बाघल के राजा जगत सिंह की मृत्यु हो चुकी थी और शिव सरन सिंह शासक बन चुके थे।

अनिरुध सिंह अपने दोनों बेटों को उनके संरक्षण में छोड़कर फिर से हरिद्वार लौट गया। साल 1831 में वहीं अनिरूद्ध चंद की मौत हो गई।

चार साल  अर्की में रहे राजकुमार

कांगड़ा के राज कुमार रणबीर चंद और प्रमोद साल 1829 से 1833 तक अर्की में रहे। यूरोपियन यात्री विग्ने ने उनसे मुलाक़ात के बाद लिखा है कि वे बदबूदार मकान में रहते हैं।

राज कुमार रणबीर चंद की शादी बाघल के राजा राणा शिवसरन सिंह की मंझली बेटी से हुई। रणबीर चंद ने अपनी रियासत को वापस पाने के लिए लुधियाना में ब्रिटिश रेज़िडेंट मिस्टर वाडे से मुलाक़ात की।

महल मोरियां में मिली जागीर

ब्रिटिश रेज़िडेंट के हस्तक्षेप से रणबीर चंद को कांगड़ा की गद्दी फिर से मिल गई, लेकिन उनके पास कोई शासकीय शक्ति नहीं थी। रणजीत सिंह ने उसे महल मोरियां में पचास हजार रूपए की एक जागीर प्रदान कर दी।

साल 1833 में रणबीर चंद अपने भाई प्रमोद चंद के साथ महल मोरियां आ गए। दोनों निसंतान रहे। साल 1847 में रणबीर चंद औेर साल 1851 में प्रमोद चंद की मौत हो गई।

 इस विषय से संबन्धित अन्य पोस्टें- 

  1. Kangra Fort : अभिमन्यु को फंसाने वाला कांगड़ा का राजा सुशर्मा
  2. Royal Story :   एक सिरा, कांगड़ा, मंडी और कपूरथला से जुड़ा है तो दूसरायूरोप और अमेरिका से, फ्रांस और ब्राजील का भी कनेक्शन
  3. Love Story : गद्दन के हुस्न पर मोहित हुए महाराजा संसारचंद
  4. Kangra : दोस्त बाणबट के सहयोग के लिए आया था रावण
  5. Maharaja Ranjit Singh शादी खातिर जीता किला

himachalbusiness1101

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *