लाहौर में चंबा हाऊस, चंबा में कराची हाऊस
विनोद भावुक/ धर्मशाला
बेशक लाहौर स्थित चंबा हाऊस का पाकिस्तानी हुकूमत ने नाम बदल कर फेडरल लॉज कर दिया हो, लेकिन चंबा की एक निशानी आज भी इस धरोहर भवन की शोभा बनी हुई है। इस धरोहर भवन के मुख्य दरवाजे पर स्थापित की गई चंबा रियासत की आधिकारिक मुहर आज भी इस भवन की शोभा बढ़ा रही है।
ब्रिटिश राज के दौरान चंबा के राजा भूरी सिंह ने लाहौर की यात्राओं के दौरान खुद ठहरने और खास मेहमानों को के लिए चंबा हाऊस का निर्माण करवाया था।
एंग्लो- मुगल वास्तुकला की इस भाई राम सिंह इमारत को उस दौर के मशहूर वास्तुकार भाई राम सिंह ने डिजाइन किया था। एक सदी गुजर जाने के बाद भी यह ऐतिहासिक भवन शान से खड़ा है।
कभी सबसे अमीर रियासत थी चंबा
चंबा के पदमश्री अवार्डी विजय शर्मा बताते हैं कि कभी चंबा रियासत देश की सबसे अमीर रियासतों में से एक होती थी। लाहौर में चंबा के महाराजा का बनवाया चंबा हाउस इस बात की गवाही देता है। यह धरोहर इमारत चंबा के समृद्ध अतीत की निशानी है। यह इमारत शिल्पकला का अद्भुत नमूना है।
भारत के वायसराय ठहरते थे कभी
चंबा हाऊस लाहौर शहर के बीच में मॉल और जीओआर के अंदर स्थित है। भारत विभाजन से पहले कई एकड़ में फैले चंबा हाउस का इस्तेमाल देश और विदेश के स्टेट गेस्ट्स को आवास प्रदान करने के लिए किया जाता था।
चंबा हाऊस भारत के वायसरायों को अस्थायी और स्थायी निवास प्रदान करने के लिए भी प्रयोग होता रहा। भारत विभाजन के बाद चंबा हाउस ने पाकिस्तान के प्रमुखों और मंत्रियों सहित विदेशी मेहमानों को लक्जरी और आरामदायक आवास प्रदान करने का काम किया।
चंबा हाऊसअब फेडरल लॉज
चंबा हाऊस का नाम बदलकर अब फेडरल लॉज कर दिया गया है। अब इसका प्रयोग मंत्रियों, विधायकों, राजनेताओं और नौकरशाहों को कम लागत पर लग्जरी प्रवास प्रदान करने के लिए किया जा रहा है।
रसूखदार लोगों के रिश्तेदार, दोस्त और अन्य लोग जो भी लाहौर शहर में आते हैं, वे भी यहां रह सकते हैं। कुछ साल पहले तक इस इमारत के लॉन का इस्तेमाल शादी समारोह आयोजित करने के लिए किया जाता था।
पाक के सियासी बदलावों का गवाह
पाक राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ के सैन्य शासन के दौरान 12 साल तक चंबा हाऊस राष्ट्रीय अकाउंटीबिलिटी ब्यूरो (एनएबी) का मुख्य कार्यालय रहा। यह धरोहर इमारत पाकिस्तान में कई राजनीतिक बदलावों का गवाह रही है।
चंबा हाऊस को ब्रिटिश शासन के दौरान अंग्रेजों के लिए सबसे अच्छा निवास स्थान माना जाता था। लेकिन एनएबी का कार्यालय बनने के बाद इस धरोहर भवन को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचा।
एनएबी ने जब इस परिसर को छोड़ा तो इसके जीर्णोद्धार पर लाखों रुपए खर्च किए गए, लेकिन इसका बाहरी और आंतरिक भाग अभी भी मूल भव्यता से मेल नहीं खाता है।
चंबा का कराची हाऊस
सोहन लाल को वर्ष 1905 में चंबा रियासत के राजा भूरी सिंह ने राजकीय फोटोग्राफर नियुक्त किया था। रियासत का आधिकारिक फोटोग्राफर होने के चलते उन्हें रियासत सोहनलाल से संबंधित विभिन्न आयोजनों की फोटोग्राफी करनी होती थी।
सोहन लाल ने चंबा के चौगान बाजार में 20वीं सदी के आरंभ में कराची हाउस की स्थापना की थी। उन्होंने अपने जीवन में चंबा राज परिवार के सदस्यों के अलावा रियासत के कई गणमान्य लोगों और पंजाब की रियासतों के मेहमानों के फोटो खींच कर अपनी प्रतिभा दिखाई थी। अब इस स्टूडियो की जगह गिफ्ट शॉप चल रही है।
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