श्रीकृष्ण के वंशज हैं बुशहर के संस्थापक !
हिमाचल बिजनेस/ शिमला
बुशहर रियायत के संस्थापक खुद को श्रीकृष्ण के वंशज बताते हैं। साल 1934 में शोणितपुर (सराहन) में पैदा हुए वीरभद्र सिंह राजशाही प्रथा के समाप्त होने के बाद भी राजगद्दी संभाल कर कृष्ण वंश के 122वें राजा बने थे।
8 जुलाई 2021 को उन्होंने अंतिम सांस ली और तीसरे रोज राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार हुआ।
उनके अंतिम संस्कार से पहले उनके पार्थिव शरीर के सामने रामपुर के पदम पैलेस में उनके बेटे विक्रमादित्य सिंह का राज्याभिषेक हुआ, उन्हें बुशहर रियायत का 123 वां राजा चुना गया। इस तरह से वे अब श्रीकृष्ण के वंशज के 123 वें राजा हैं।
शोणितपुर के बारे में मतभेद
बेशक यहां सराहन को पुराना शोणितपुर कहा जाता है, लेकिन शोणितपुर के बारे में एक मतभेद भी रहा है। कुछ लोग शोणितपुर को आसाम की वर्तमान राजधानी गुवाहाटी बताते हैं।
शोणितपुर को लेकर एक दूसरा विचार भी है। कुछ विद्वान इसे महाराष्ट्र के इटारसी से तीस मील की दूरी पर सोहागपुर रेलवे स्टेशन के निकट बताते हैं।
सराहन राजमहल में मौजूद वंशावली
श्रीकृष्ण के वंशज होने की पुष्टि के पीछे सराहन स्थित राजमहल में बुशहर रियासत की वंशावली मौजूद है, जिसमें विष्णु के पुत्र ब्रह्मा ब्रह्मा के अत्रि मुनि, अत्रि मुनि के चंद्र, चंद्र के बुध आदि का उल्लेख करते हुए करीब 110 पीढ़ियों के वर्णन है।
वंशावली में उसके बाद महाराज छत्र सिंह से होते हुए विजय सिंह उदय सिंह, राम सिंह, रुद्र सिंह, उम्र सिंह, महेंद्र सिंह शमशेर सिंह, महाराजा पदम सिंह तक का उल्लेख किया गया है। इसी कड़ी में विक्रमादित्य सिंह को भी कृष्ण वंश का 123वां राजा बताया जा रहा है।
विष्णु पुराण में मिलता उल्लेख
मान्यता के अनुसार सराहन में जहां भीमाकाली माता का मंदिर है, वहां पहले शोणितपुर होता था। शोणितपुर राक्षस राजा बाणासुर की राजधानी थी।
किंवदंती के अनुसार कृष्ण के पोते अनिरुद्ध ने बाणासुर की पुत्री का हरण इसी स्थान से किया था। यहीं उनका बाणासुर से बुद्ध हुआ था। विष्णु पुराण में इसका लेख किया गया है। बाद में श्रीकृष्ण के वंशज यहां शासन करने लगे।
वीरभद्र सिंह श्रीकृष्ण के वंशज माने जाते थे और अब उनके पुत्र विक्रमादित्य सिंह इस वंश परंपरा का निर्वहन कर रहे हैं। यह भी काबिले गौर है कि पदम पैलेस राजमहल में लगाई गई कलाकृतियों में अधिकतर कृष्ण भगवान और उनकी लीलाओं से संबंधित है।
राजा साहब के नाम से मशहूर थे वीरभद्र
वर्ष 1947 में श्रीकृष्ण के वंशज राजा पदमदेव के देहांत के बाद वीरभद्र सिंह को बुशहर रियासत का राजा बनाया गया था। तब उनकी उम्र मात्र 13 साल की थी।
20 साल की उम्र में जुब्बल की राजकुमारी रतन कुमारी से उनकी पहली शादी हुई, जो बीमार होने के कारण 24 साल तक विस्तर पर रहीं और एक दिन दुनिया को अलविदा कह गई। 51 साल की उम्र में 1985 में उन्होंने प्रतिभा सिंह से शादी की। प्रतिभा सिंह वर्तमान में प्रदेश कांगेस की अध्यक्ष हैं।
अब भी जुबां पर टीका साहब
11 जुलाई 2021 को वीरभद्र सिंह के अंतिम संस्कार से पहले उनके पार्थिव शरीर के सामने रामपुर के पदम पैलेस में उनके बेटे विक्रमादित्य सिंह का राज्याभिषेक हुआ।
श्रीकृष्ण के वंशज विक्रमादित्य सिंह को बुशहर रियायत का 123 वां राजा चुना गया। वीरभद्र सिंह जब जिंदा थे तो विक्रमादित्य सिंह को उनके समर्थक टीका साहब के नाम से पुकारते थे। अभी भी कई बुजुर्ग समर्थक उन्हें टीका साहब के नाम से ही पुकारते हैं।
विक्रमादित्य सिंह वर्तमान सुखविंद्र सिंह सुक्खू सरकार में सबसे युवा मंत्री हैं और उनके पास लोक निर्माण विभाग की जिम्मेदारी है।
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