स्कूल में बेटे की शादी रचाई, कोर्ट ने मांग ली ‘मुंह दिखाई’!
हिमाचल बिजनेस/ शिमला
स्कूल में बेटे की शादी क्या रचाई, कोर्ट ने ‘मुंह दिखाई’ मांग ली। हमीरपुर जिला के राजकीय प्राथमिक पाठशाला जाहू कलां (सुलगवान) के परिसर में बेटे का शादी समारोह करवाना महिला जेबीटी शिक्षक को महंगा पड़ गया।
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महिला शिक्षक की ओर से माफी मांगने पर हाईकोर्ट ने उन्हें स्कूल में दो इलेक्ट्रिकल आरओ वाटर प्यूरीफाइर लगाने के आदेश दिए हैं। जस्टिस अजय मोहन गोयल ने यह फैसला सुनाया है। कोर्ट के इस अपनी तरह के फैसले को पाठक खूब चटखारे लगा कर पढ़ रहे हैं।
स्कूल परिसर में शादी, सही निकली शिकायत
पांच नवंबर 2021 को उक्त शिक्षिका ने स्कूल परिसर में अपने बेटे की शादी का आयोजन किया था। स्कूल परिसर में टेंट लगाए गए थे।
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इस आयोजन में स्टाफ और हेडमास्टर भी मौजूद थे। आठ नवंबर को बीईईओ जांच को पहुंचे तो शिकायत तो सही पाई गई, लेकिन इस पर कोई विभागीय कार्रवाई नहीं हुई।
सरकार ने अनसुनी की शिकायत
इस मामले ने उस समय खूब तूल पकड़ा था,जब शिकायतकर्ता ने ईमेल के माध्यम से विभाग और स्कूल प्रशासन को सूचित कर मुख्यमंत्री हेल्पलाइन पर शिकायत की थी। मीडिया की सुर्खियां बनने के बावजूद शिक्षा विभाग ने इस शिकायत को रद्दी की टोकरी में डाल दिया था।
तब खटखटाया हाईकोर्ट का दरवाजा
याचिकाकर्ता को सीएम हेल्पलाइन पर गोल- मोल जवाब मिला। विभाग भी इस शिकायत पर चुप्पी साधे रहा। इस पर शिकायतकर्ता ने आरटीआई से तथ्य जुटाए और तीन माह तक सीएम हेल्पलाइन की शिकायत पर हुई कार्रवाई और आरटीआई के दस्तावेजों के आधार पर आखिरकार शिकायतकर्ता ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
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अप्रैल 2022 में हाईकोर्ट में याचिका दायर की। इस याचिका में शिक्षा सचिव, निदेशक, उपनिदेशक, बीईईओ, हेडमास्टर, महिला शिक्षक को प्रतिवादी बनाया।
शिकायतकर्ता ने साल 2012 के हाइकोर्ट के आदेशों का हवाला देते हुए याचिका दायर की थी। 2012 में हाईकोर्ट ने निर्णय लिया था कि सरकारी स्कूल परिसर में कोई भी राजनीतिक अथवा निजी कार्यक्रम नहीं होंगे।
हेडमास्टर को कोर्ट में पेश होने के आदेश
इस मामले में उक्त शिक्षिका ने हाईकोर्ट से माफी मांगी। इसके बाद अदालत ने शिक्षिका को चार सप्ताह के भीतर दो आरओ लगाने के आदेश दिए हैं। इस मामले में हेडमास्टर को 18 अक्तूबर को अदालत में पेश होने के आदेश दिए गए है।
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हेडमास्टर सेवानिवृत हो चुके हैं। ऐसे में दो दिन के भीतर हेडमास्टर का वर्तमान पता मुहैया करवाने के आदेश दिए गए हैं। सेवानिवृत्त हेडमास्टर से पूछा गया है कि आखिर अदालत के आदेशों की अवमानना पर क्यों न उन्हें सजा सुनाई जाए।