हैंड मेड: बुनकारों की आजीविका का बुना ताना-बाना
हिमाचल बिजनेस कंटेन्ट/ मंडी
8 मार्च साल 2022 को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर राष्ट्रपति के हाथों नारी शक्ति अवॉर्ड से सम्मानित मंडी की अंशुल मल्होत्रा हैंड मेड ऊनी उत्पादों के जरिये पारंपारिक परिधानों और पहाड़ी संस्कृति को देश-विदेश तक पहुंचाने के मिशन में जुटी हैं। वर्तमान में विदेशों में उनके उत्पाद खूब बिक रहे हैं।
हथकरघा उद्योग को बड़ा बाजार देने वाले मंडी के मल्होत्रा परिवार की तीसरी पीढ़ी की टैक्सटाइल इंजीनियर अंशुल मल्होत्रा हैंड मेड उत्पादों के जरिये कई ग्रामीण बुनकारों के जीवन-यापन का ताना-बाना बुन रही हैं।
हैंड मेड के दादा और पिता से सीखे गुर
अंशुल ने अपने दादा और पिता से विरासत में मिले हथकरघा उद्योग की बारीकियां सीखी हैं। साल 2012 में देश के राष्ट्रपति के हाथों से शिल्प गुरु अवॉर्ड से सम्मानित पिता ओम प्रकाश मलहोत्रा के सहयोग से हैंड मेड उत्पादों के बनाने के कारोबार से वह खुद न केवल स्वयं आत्मनिर्भर हुईं, बल्कि सैंकड़ों महिलाओं को भी आत्मनिर्भर बनाया है।
हैंड मेड उत्पाद, 12 देशों को हो रहे निर्यात
‘कृष्णा वूल’ के बैनर तले लाहौल-स्पीति, कुल्लू, किन्नौर और मंडी के बुनकरों को अपने साथ जोड़कर अंशुल हैंडमेड उत्पादों से अपने सपनों में रंग भर रही हैं। पशमीना, अंगोरा वूल तथा भेड़ की ऊन, नेचुरल डाई, नेचुरल फाईवर पर आधारित होने के कारण कृष्णा बूल मंडी के बनाए ऊनी उत्पाद 12 देशों में निर्यात हो रहे हैं। इसका लाभ उस सैंकड़ों ग्रामीण बुनकरों को भी मिल रहा है, जो कृष्णा बूल से जुड़े हैं।
वर्क फ्रोम होम करते हैं बुनकर
अंशुल मल्होत्रा विभिन्न जिलों के बुनकरों को उनके घर पर ही ताना-बाना लगा कर देने के अलावा डिजाइन भी उपलब्घ करवाती हैं। ग्रामीण बुनकरों के बनाए हैंड मेड उत्पादों को उनके घरों से ही एकत्रित किया जाता है।
कृष्णा वूल बाजार से सीधे संपर्क में होने के कारण बाजार की बारीकियों और मांग से वाकिफ़ है, जिसके चलते बुनकरों को बाजार की मांग के अनुसार बुनाई के लिए प्रशिक्षित करके प्रचलित डिजाइन उपलब्ध करवाए जाते हैं।
बुनकर घर बैठे जागरूक होने के साथ ही समय की मांग के अनुसार ऊनी उत्पादों का उत्पादन करते हैं।
बुनकरों के लिए अतिरिक्त आय का जरिया
कृष्णा वूल के साथ काम करने वाले बुनकारों में अधिकांश महिला बुनकर हैं। ये महिला बुनकर बच्चों, बुजुर्गों की देखभाल, खेती-बाड़ी और पशुपालन करने के बाद अतिरिक्त समय में घर पर ही बुनाई का कार्य कर रही हैं।
इस कार्य में उनके परिवार के अन्य सदस्य भी सहयोग करते हैं। इससे बुनकारों को अतिरिक्त आमदनी होती है और उनके सामाजिक- आर्थिक जीवन में बदलाव आया है।
‘जीरो डिफेक्ट जीरो इफेक्ट’ में टॉप
कृष्णा वूल को अपने बेहतर उत्पादों के लिए सूरज कुंड मेले में दो बार कला मनी और एक बार कला निधि अवॉर्ड से सम्मानित किया गया है। कृष्णा वूल ने हैंड स्पीनिंग तथा डिजाइनिंग में ‘मेक इन इंडिया’ के तहत ‘जीरो डिफेक्ट जीरो इफेक्ट’ में हिमाचल प्रदेश के लिए प्रथम पुरस्कार हासिल किया है। इससे न केवल हिमाचल के ऊनी उत्पादों को बाजार में लोकप्रियता मिली, अपितु युवा बुनकरों को प्रोत्साहन भी मिला।
12 देशों को निर्यात हो रहे उत्पाद
अंशुल मल्होत्रा के पिता ओम प्रकाश मल्होत्रा का मानना है कि बुनकर होना अपने आप में संस्कृति तथा विरासत से जुड़ा बड़ा हुनर तथा कमाई का जरिया है। ग्रामीण युवाओं के इस क्षेत्र से जुड़ने से न केवल इस पारंपारिक कौशल को विस्तार व संरक्षण मिला है। यह उनके लिए व्यवसाय का एक मुख्य या वैकल्पिक साधन भी हो सकता है।
ई-धागा ऐप से कारोबार
डिजिटल क्रांति के युग में हथकरघा बुनकरों को ई-धागा एनएचडीसी मोबाइल ऐप्लीकेशन उपलब्ध करवाई गई है। एनएचडीसी से कच्चा माल खरीदने पर 10 प्रतिशत रिटर्न की सुविधा प्रदान की जा रही है।
मार्किट इंसेंटिव कार्यक्रम के तहत 15 लाख तक की तीन साल की आय की सेल पर 10 प्रतिशत इनसेंटिव दिया जा रहा है। कलस्टर डेवेलपमेंट कार्यक्रम के अनेक ऐसे कंपोनेंट हैं, जिससे बुनकर सीधे तौर पर लाभान्वित हो कर अपनी आर्थिकी को मजबूत कर रहे हैं। मुख्यमंत्री दस्तकार योजना के तहत हथकरघा से संबंधित उपकरण भी बुनकरों को उपलब्ध करवाए जा रहे हैं।
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