150 साल पहले धर्मशाला में क्रिकेट खेलती थी अंग्रेज़ औरतें, 1868 में बनी पेंटिंग ‘द क्लब धर्मशाला’ देती है गवाही

150 साल पहले धर्मशाला में क्रिकेट खेलती थी अंग्रेज़ औरतें, 1868 में बनी पेंटिंग ‘द क्लब धर्मशाला’ देती है गवाही
150 साल पहले धर्मशाला में क्रिकेट खेलती थी अंग्रेज़ औरतें, 1868 में बनी पेंटिंग ‘द क्लब धर्मशाला’ देती है गवाही
विनोद भावुक। धर्मशाला
बात अगर क्रिकेट ही हो तो आज धर्मशाला शहर इन्टरनेशनल क्रिकेट स्टेडियम पर इतराता है। स्मार्ट सिटी कहा जाने वाला यह हिल स्टेशन आज ऊंची इमारतों, भीड़भाड़ और पर्यटकों से भरे बाज़ारों के लिए मशहूर है। एक समय वह भी था, जब धर्मशाला एक शांत और हवादार पहाड़ी इलाका था और यहां ब्रिटिश शासन का महत्वपूर्ण कैंटोनमेंट हुआ करता था।
उसी दौर की एक अद्भुत पेंटिंग हमें 1868 की द क्लब धर्मशाला (The Club Dharmsala) की झलक दिखाती है। इस पेंटिंग में यूरोपीय महिलाएं धौलाधार की वादियों के बीच एक बंगले के सामने क्रिकेट खेलती नज़र आ रही हैं। यह पेंटिंग उस समय के सामाजिक जीवन, ब्रिटिश सैन्य संस्कृति और धर्मशाला के बदलते इतिहास की सजीव कहानी है।
खूबसूरत बंगले, क्लब कल्चर, स्पोर्ट्स एंड डांस
ब्रिटिश राज के दौरान धर्मशाला को गोरखा रेजिमेंट्स का सबसे महत्वपूर्ण बेस माना जाता था। हर सर्दी में यहाँ ब्रिटिश सैन्य अधिकारी और उनके परिवार आराम के लिए आते थे। खूबसूरत बंगले, क्लब संस्कृति, खेल, नृत्य, यहां एक छोटे से हिल टाउन का माहौल बन जाता था। ऐसे ही खेल के पलों को पेंटिंग में ढाला गया है।
1868 में एफएमएफएच नाम के कलाकार ने यह वॉटरकलर पेंटिंग बनाई है, जिसमें पहाड़ी वास्तुकला वाला यूरोपीय बंगला, पास में फैली खुली हरी ज़मीन और औपनिवेशिक फैशन में सजी महिलाएं क्रिकेट खेलती हुईं दिख रही हैं। तब की धर्मशाला कुछ ऐसी ही शांत, सुरुचिपूर्ण, पेड़ों और प्राकृतिक सुंदरता से भरी थी।
नेशनल आर्मी म्यूजियम लंदन में सुरक्षित
यह पेंटिंग जिस एलबम में थी, उसे तैयार किया था कर्नल चार्ल्स आर्चिबाल्ड मर्सर ने, जो 4 गोरखा इंफेंटरी में तैनात थे। उन्होंने भारत में कई सैन्य अभियानों में हिस्सा लिया, जिनमें ब्लैक माउंटेन एक्सपीडीशन 1868 भी शामिल है। उनकी संग्रहित तस्वीरें और दस्तावेज़ आज ब्रिटिश-भारतीय सैन्य इतिहास की धरोहर माने जाते हैं।
यह वॉटरकलर पेंटिंग आज नेशनल आर्मी म्यूजियम लंदन की स्टडी कलेक्शन में सुरक्षित है और सार्वजनिक अध्ययन के लिए उपलब्ध है। पेंटिंग गवाही देती है कि धर्मशाला हिल स्टेशन सिर्फ प्रकृति का घर नहीं है, यह इतिहास और पुरानी कहानियों का खजाना भी है।
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Jyoti maurya

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