160 saal Purani Nahan Kothi : पंचकूला में ब्रिटिश वास्तुकला का एकमात्र अवशेष
रणदीप बत्ता/ पंचकूला
पंचकूला के सेक्टर 12-ए के पास रैल्ली गांव में स्थित 160 saal Purani Nahan Kothi धरोहर इमारत ‘स्थित है। इमारत क्षेत्र में 19वीं सदी की ब्रिटिश वास्तुकला का एकमात्र अवशेष है। सुखद यह है कि इसकी स्थापत्य शैली की मूल विशेषताएं अभी भी बरकरार हैं। 20 नवंबर 1997 से इस इमारत का प्रयोग पंचकुला उपभोक्ता फोरम के कार्यालय के लिए किया जाता था, लेकिन साल 2007 में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने इस धरोहर इमारत को एक संरक्षित स्मारक घोषित किया है।
160 saal Purani Nahan Kothi का इतिहास
इस लाल कोठी का निर्माण सिरमौर रियासत के शासक राजा फतेह सिंह (1857-63 ईस्वी) के राजकुमारों सुरजन सिंह और बीर सिंह ने करवाया था। मोरनी और हरियाणा के अन्य निकटवर्ती पहाड़ी क्षेत्रों सहित यह क्षेत्र उस समय सिरमौर रियासत के अधीन था। सिरमौर रियासत की राजधानी नाहन में थी, इसलिए इसका नाम ‘नाहन कोठी’ पड़ा। रियासत के शासकों द्वारा अपने क्षेत्र की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए 160 saal Purani Nahan Kothi का एक प्रहरीदुर्ग के रूप में उपयोग किया जाता था। कभी- कभी इसे शिकार अभियानों के दौरान रात भर के पड़ाव के रूप में इस्तेमाल किया जाता था।
कोठी को संरक्षण की जरूरत
साल 2007 में पंचकूला के डीसी राजिंदर कटारिया ने अपने फैसले में कहा कि उपभोगता फोरम को जिला अदालत परिसर के नए भवन में स्थानांतरित कर दिया जाएगा। जिला अदालत के नए भवन का उद्घाटन 21 मई 2012 को हुआ। फैसले के मद्देनजर पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने साल 2009 में उपभोक्ता फोरम से भवन खाली करने को कहा। दस साल के संघर्ष के बाद मई 2017 में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने 160 saal Purani Nahan Kothi को अपने कब्जे में लिया। इस कोठी के मूल स्वरूप से बिना कोई छेड़छाड़ किये इसके संरक्षण की तत्काल जरूरत है।
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