30 हजार से शुरू किया कारोबार, सालाना टर्नओवर 30 करोड़ पार,

प्रेरककथा : 30 हजार से शुरू किया कारोबार, सालाना टर्नओवर 30 करोड़ पार,
देवदार ऑइल बनाने वाली भारत की सबसे बड़ी कंपनी मंडी में स्थित, नेचुरल बायोटेक प्रोडक्ट्स कंपनी कई देशों को करती है देवदार आयल
विनोद भावुक/ मंडी
मंडी के बग्गी स्थित नेचुरल बायोटेक प्रोडक्ट्स कंपनी लगभग आधी सदी से देवदार ऑइल बनाने का कारोबार कर रही है। कंपनी हर सालाना टर्नओवर 30 करोड़ पहुंच चुका है। यह भारत की इकलौती कंपनी है, जो इतने बड़े स्तर पर दुनिया भर के कई देशों को देवदार ऑइल और निर्यात करती है।
बेशक आज यह कंपनी सुगंधित तेल के कारोबार में भारत की चमकदार कंपनी है, लेकिन काम ही लोगों को पता है कि इसकी शुरुआत महज तीस हजार की छोटी सी पूंजी के साथ हुई थी। एक पुराने भवन में यूनिट की शुरुआत हुई था, जिसमें लगा बॉयलर एक पुराने रोड़ रोलर से निकलकर प्रयोग किया गया था।
बिजनेस आइडिया का अपनों ने उड़ाया था मज़ाक
लगभग 50 साल पहले जब स्नातक करने के बाद सुरेंद्र मोहन ने देवदार ऑइल की यूनिट लगाने का निर्णय किया तो उसके इस फैसले का मजाक उड़ाया गया था। तब शायद कम ही लोगों को पता था कि एक कारोबारी परिवार का यह बेटा दूरदृष्टि के साथ अपनी परियोजना पर काम कर रहा है और भविष्य में कामयाबी के कई मील पत्थर स्थापित करेगा।
सुरेंद्र मोहन के पिता लकड़ी के कारोबारी थे और आलू का व्यापार भी किया करते थे। साल 1975 में स्नातक करने के बाद सुरेंद्र मोहन ने भी कारोबार स्थापित करने की दिशा में पहल की। उनके पास विकल्प था कि वह अपने पारिवारिक कारोबार को आगे बढ़ाएं, लेकिन उन्होंने लीक से हटकर कुछ करने की ठानी और हिमहल प्रदेश का अपनी तरह का पहला कारोबार स्थापित करने का फैसला किया।
जंगलों को बचना, प्रोसेस से देवदार ऑइल बनाना
उस वक्त हिमाचल प्रदेश में बड़े पैमाने पर देवदारों का कटान हुआ था। जंगलों में बड़ी मात्रा में कटे हुए पेड़ों के ठूंढ मौजूद थे। सुरेंद्र मोहन बताते हैं कि जो देवदार के काटने के बाद जो ठूंढ बचते हैं, उनके चलते खास तरह के कीट पनपते हैं, जो पेड़ों को नुकसान पहुंचाते हैं। ऐसे में इन ठूंढों को जंगल से निकला जाना जरूरी होता है।
सुरेंद्र मोहन इन ठूंढों को जंगल से निकाल कर जंगल को बचाने के साथ इनको प्रोसेस कर देवदार ऑइल बनाने के आइडिया पर काम कर रहे थे। उन्होंने प्रदेश सरकार और वन विभाग से यह अनुरोध किया कि उन्हें जंगलों से देवदार के ठूंढ निकालने की इजाजत दी जाए।
पांच साल किया इंतज़ार, जुगाड़ से प्रॉडक्शन यूनिट किया तैयार
शुरुआती दौर में प्रदेश सरकार और वन विभाग को भी सुरेंद्र मोहन का यह प्रस्ताव बचकाना ही लगा था। यही वजह थी कि अगले 5 साल तक इस प्रस्ताव पर सरकार और वन विभाग कोई निर्णय नहीं ले पाया। इस बीच सुरेंद्र मोहन लगातार प्रयास करते रहे। साल 1980 में प्रदेश के वन विभाग ने सुरेंद्र मोहन की कंपनी के साथ अगले 20 सालों तक देवदार का रॉ मटेरियल उपलब्ध करवाने का समझौता किया।
जब वन विभाग से मंजूरी मिली तो सुरेंद्र मोहन के आगे अलग तरह की समस्याएं थी। देवदार ऑइल निकालने के लिए यूनिट स्थापित करने के लिए भवन निर्माण जरूरी था। उन्होंने अपने पुराने पैतृक घर को प्रॉडक्शन यूनिट बना दिया। प्रॉडक्शन यूनिट के लिए बॉयलर का जुगाड़ एक रोड रोलर खरीद कर किया गया। तीस हजार की छोटी सी पूंजी के सुरेंद्र मोहन देवदार ऑइल ऊंची उड़ान भरने की राह पर निकाल पड़े।
मुंबई और कोलकाता के बिजनेस टूर में दस लीटर का पहला ऑर्डर
हालांकि सुरेंद्र मोहन ने देवदार ऑइल के बारे में तो पढ़ रखा था, लेकिन उसे समय गूगल जैसी कोई सुविधा नहीं थी जिसके जरिए वे खरीदारों तक पहुंच सके। देवदार ऑइल साबुन और अगरबत्ती बनाने में फ्रेगरेंस और फ्लेवर के तौर पर प्रयोग होता है। 80 के दशक में हिमाचल प्रदेश में एक भी यूनिट नहीं थी, जहां पर देवदार ऑइल का प्रयोग कर उत्पाद बनाए जाते थे।
देवदार ऑइल को बेचने के लिए सुरेंद्र मोहन ने मुंबई और कोलकाता सहित कई महानगरों का दौरा किया, लेकिन यह कोई कामयाब बिजनेस टूर नहीं था, क्योंकि महज 10 लीटर का आर्डर मिला था।
अपने ड्रीम प्रोजेक्ट के लिए वर्षों से संघर्ष कर रहे सुरेंद्र मोहन ने अपने उत्पाद के लिए बाजार खोजने के प्रयास शुरू कर दिए।
लखनऊ के 15 दिन, बिजनेस का टर्निंग पॉइंट
सुरेन्द्र मोहन ने बिजनेस हिमाचल को बताया कि इस दौरान उनकी मुलाकात एसेंशियल ऑयल एसोसिएशन ऑफ़ इंडिया के प्रसदस्यों से हुई। इस संगठन के सहयोग से उन्हें सेंट्रल इंस्टिट्यूट ऑफ़ मेडिसिनल एंड ऑर्नामेंट प्लांट्स लखनऊ में 15 दिन का प्रशिक्षण हासिल करने का अवसर मिला। यह 15 दिन का कालखंड उनके जीवन और उनके कारोबार के लिए एक टर्निंग पॉइंट था।
इस संगठन के चलते देवदार ऑइल का कारोबार करने वाले कई व्यापारियों से उनके संपर्क स्थापित हुए। उसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। उनका कारोबार साल दर साल चमकता गया और निर्यात की दिशा में कदम बढ़ाए। देखते ही देखते वे देवदार ऑइल का उत्पादन करने वाले देश के सबसे बड़े खिलाड़ी बन गए।
कई देशों को देवदार ऑइल का निर्यात
वर्तमान में सुरेन्द्र मोहन की कंपनी नेचुरल बायोटेक प्रोडक्ट्स देवदार ऑइल का उत्पादन करने वाली भारत की सबसे बड़ी कंपनी है। यह कंपनी भारत के अलावा दुनिया के कई देशों को देवदार ऑइल निर्यात करती है। कंपनी का सालाना कारोबार 30 करोड़ पार कर चुका है। सुगंधित उत्पादों के रोल मॉडल के तौर पर स्थापित सुरेंद्र मोहन हिमाचल प्रदेश मेडिसिनल एंड आर्नामेंट प्लांट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष हैं।
सुरेंद्र मोहन कहते हैं कि दृढ़इच्छा शक्ति से कोई भी लक्ष्य हासिल किया जा सकता है। जाहिर है कि नया काम करेंगे तो नई तरह की नई चुनौतियां आपके सामने आएंगी। उन चुनौतियों के सामने हार मान लेने के बजाय उनके समाधान निकालने के ऊपर फोकस करना चाहिए। नेचुरल बायोटेक प्रोडक्ट कंपनी से उनकी की वेबसाइट www.himoil.com के जरिये संपर्क किया जा सकता है।
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