33 साल पहले गणतन्त्र दिवस पर चंबा के दो ट्रेकरों ने माइन्स डिग्री तापमान में बर्फानी रास्ते पर 18 घंटे लगातार ट्रेकिंग कर मणिमहेश झील पर फहरा दिया था तिरंगा

33 साल पहले गणतन्त्र दिवस पर चंबा के दो ट्रेकरों ने माइन्स डिग्री तापमान में बर्फानी रास्ते पर 18 घंटे लगातार ट्रेकिंग कर मणिमहेश झील पर फहरा दिया था तिरंगा
बिरला रिकॉर्ड : 33 साल पहले गणतन्त्र दिवस पर चंबा के दो ट्रेकरों ने माइन्स डिग्री तापमान में बर्फानी रास्ते पर 18 घंटे लगातार ट्रेकिंग कर मणिमहेश झील पर फहरा दिया था तिरंगा
मनीष वैद/ चंबा
साल 1992 के 25 जनवरी को जब प्रदेश हिमाचल अपना स्थापना दिवस मना रहा था तो चंबा के राजेश सिंह चाढ़क और नलिन गौतम करीब 4,080 मीटर की ऊंचाई पर स्थित मणिमहेश यात्रा पर निकल पड़े। पहाड़ बर्फ से लकदक थे। माइन्स डिग्री तापमान के बीच ये युवक करीब 18 घंटे लगातार बर्फानी और दुर्गम रास्तों की कठिन यात्रा कर मणिमहेश पहुंचने में सफल रहे और बर्फ से जमी मणिमहेश झील पर देश की आन-बान- शान तिरंगा फहराकर अपने नाम अनूठा रिकॉर्ड दर्ज कर दिया। 26 जनवरी को जब देश गणतंत्र दिवस मना रहा था तो जज्बे और साहस की खबर रेडियो और अखबारों की सुर्खी बनी।
विकास खंड अधिकारी राजेश सिंह चाढ़क उस रोमांच को याद करते हुए बताते हैं कि खड़ामुख तक वे लोग बस से पहुंचे और उससे आगे भरमौर तक पैदल यात्रा की। जब हड़सर गांव पहुंच तो वहां के लोग उन्हें देखकर हैरान थे। हालांकि मणिमहेश यात्रा सितंबर महीने में बंद हो जाती है, लेकिन एनडीआरएफ में तैनात अधिकारी एससी कटोच ने युवकों के जज्बे को देखकर उन्हें आगे बढ़ने दिया। धनछो में पीडब्ल्यूडी के सराय में रात गुजारने के बाद उन्होंने रात दो बजे आगे बढ़ने का फैसला किया। अगले दिन शाम करीब पांच बजे गौरीकुंड पहुंचे। 18 घंटे की यात्रा कर 12 बजे वे मणिमहेश झील तक पहुंचने में कामयाब हुए।
दादा से सीख फोटोग्राफी का हुनर
चंबा के पर्वतीय क्षेत्रों की कई दुर्गम यात्राओं के गवाह, कई झीलों और दर्रों की खोज कर अपने कैमरे में कुदरत के कई अबूझ रहस्यों को कैद करने वाले राजेश सिंह चाढ़क के जुनून और जज्बे पर फोटोग्राफर आंद्रे कर्टेज का यह कथन बिलकुल स्टीक बैठता है कि फोटोग्राफी में खूबसूरती दिखनी ही नहीं चाहिए, बल्कि फोटो में उसका अनुभव होना चाहिए। कुदरत के कई अबूझ रहस्यों और नजारों की गवाह राजेश की निगाहें नई पीढ़ी के ट्रेकरों के लिए मार्गदर्शक हो सकती हैं। उनके खींचे कई दुर्लभ फोटोज पर्वतीय यात्रा साहित्य के लिए अमूल्य धरोहर हैं।
साढ़े तीन दशक की फोटोग्राफी का अनुभव रखने वाले राजेश सिंह चाढ़क बताते हैं कि उन्हें अपने ताया से फोटोग्राफी का शौक पैदा हुआ। सेकंड वर्ल्ड वार के दौरान उनके ताया ब्रिटिश एयरफोर्स में भर्ती हो गए थे। वे एरियर फोटोग्राफर थे। एयरफोर्स से रिटायर्ड होने के बाद उन्होंने हिमाचल पुलिस में भी सेवाएं दीं। उनका फोटोग्राफी का जुनून हमेशा से कायम रहा।
ट्रैकिंग के चलते फोटोग्राफी का जुनून
साल 1983-84 में राजेश सिंह चाढ़क ने कैमरा चलाना सीखा। उन्होंने अपने एक दोस्त के रशियन के जेनेट कैमरे से पहली बार तस्वीरें खींची और चंबा के एक फोटोग्राफर ओमप्रकाश नैयर को दिखाईं। राजेश सिंह चाढ़क की तस्वीरों में आज धौलाधार और पीरपंजाल पर्वत क्षेणी के कई दर्रों की खोज और रोमांचित करने वाले अबूझ रहस्य से भरे नजारे कैद हैं। फोटो की तलाश में वह हिमालय की खड़ी चढ़ाइयां और उतराइयां मापने की पिछले तीन दशक से कसरत कर रहे हैं।
राजेश चाढक प्रदेश के इकलौते फोटोग्राफर हैं जिन्होंने प्रदेश की अनछुई और अनजान घाटियों के फोटो खींचने के लिए कई दुर्गम ट्रैकिंग की हैं। वह पश्चिमी हिमालय, गढ़वाल, लदाख आदि को पैदल माप चुके हैं। ट्रैकिंग ने न केवल उन्हें फोटोग्राफी के प्रति गंभीर किया, बल्कि जिंदगी में सकारात्मक सोच लाने में भी अहम भूमिका अदा की। ट्रैकिंग के दौरान आने वाली कठिनाइयां और उनके समाधान असल जिंदगी में भी बहुत काम आए हैं।
पर्यटन विभाग के आधिकारिक फोटोग्राफर
राजेश सिंह चाढ़क ने पर्वतारोहण संस्थान मनाली से पर्वतारोहण का डिप्लोमा किया है। उन्होंने वाटर स्पोर्ट्स सेंटर पौग डैम से वाटर स्पोट्‌र्स में भी डिप्लोमा किया है। वे प्रदेश पर्यटन विभाग के आधिकारिक फोटोग्राफर हैं। उनके शानदार फोटो पर्यटन विभाग के कैलेंडरों पर देखे जा सकते हैं।
इसके अलावा पर्यटन विभाग के पब्लिसिटी मैटीरियल जैसे पोस्टरों व किताबों आदि में भी शामिल किए जाते रहे है। देश के कई नामी प्रकाशकों ने अपनी किताबों में राजेश के फोटों को जगह दी है। वे आज भी अपने शौक के लिए कथित यात्राएं करते हैं।
तिब्बत सरकार ने दिया श्री सम्मान
अपनी कामयाबी का श्रेय अपने मां-बाप देने वाले राजेश कहते हैं कि पत्नी ने भी उनके शौक को कायम रखने में हमेशा उनकी मदद की है। राजेश को उनकी फोटोग्राफी के लिए निर्वासित तिब्बत सरकार के तत्कालीन प्रधानमंत्री सामदोग रिनपोछे वर्ष 2008 में उन्हें श्री सम्मान से पुरस्कृत कर चुके हैं।
उनके फोटो देश-विदेश में खूब सराहे गए हैं। 1967 में जन्मे राजेश चाढक ने अर्थशास्त्र में स्नातकोत्तर की डिग्री हासिल करने के बाद मार्केटिंग मैनेजमेंट और टूरिज्म स्टडीज में डिप्लोमा किया है। वह कहते हैं कि उन्हें इस क्षेत्रों में करियर बनाने के बहुत अवसर प्राप्त हुए, लेकिन फोटोग्राफी के प्रति जुनून ने उन्हें कहीं जाने नहीं दिया।
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Jyoti maurya

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