75 साल के सिविल इंजीनियर गिरधारी लाल सिंदूर की खेती करने वाले हिमाचल प्रदेश के पहले किसान, सिरमौर के कोलर गांव में किया सफल प्रयोग, वैल्यू एडिशन कर बनाएंगे लिपस्टिक

75 साल के सिविल इंजीनियर गिरधारी लाल सिंदूर की खेती करने वाले हिमाचल प्रदेश के पहले किसान, सिरमौर के कोलर गांव में किया सफल प्रयोग, वैल्यू एडिशन कर बनाएंगे लिपस्टिक
प्रेरककथा : 75 साल के सिविल इंजीनियर गिरधारी लाल सिंदूर की खेती करने वाले हिमाचल प्रदेश के पहले किसान, सिरमौर के कोलर गांव में किया सफल प्रयोग, वैल्यू एडिशन कर बनाएंगे लिपस्टिक
शिवानी/ धर्मशाला
75 साल के सिविल इंजीनियर गिरधारी लाल ने सिरमौर में नाहन- पांवटा साहिब नेशनल हाईवे के साथ कोलर गांव में सिंदूर उगाने काम सफल प्रयोग किया है। इस बार उन्होंने सिंदूर की तीसरी फसल ली है। उनके यहां सिंदूर की बम्पर फसल हो रही है। फिलहाल वे सिंदूर का पाउडर ही सेल कर रहे हैं, लेकिन अब वे सिंदूर की वैल्यू एडिशन पर काम शुरू कर रहे हैं। सिंदूर से वे लिपस्टिक और दूसरे सौंदर्य प्रसाधन जैसे बायो प्रोडक्ट्स बनाने की दिशा में काम कर रहे हैं।
गिरधारी लाल ने कुछ साल पहले सिंदूर का क्वालिटी प्लांटिंग मैटीरियल नेपाल से मंगवाया था। सिंदूर की खेती के सफल प्रयोग करने वाले वे हिमाचल प्रदेश के पहले किसान बन गए हैं। उनकी देखादेखी में कई किसान सिंदूर की खेती की तरफ कदम बढ़ा रहे हैं।
सिंदूर से साथ से चंदन की ग्रोथ
हिमाचल प्रदेश में चंदन पर कोई ज्यादा रिसर्च नहीं हुई है। गिरधारी लाल ने कुछ समय पहले जब चंदन की खेती की पहल की तो उन्हें ज्ञात हुआ कि चंदन को उगाने के लिए एक दूसरे पौधे की जरूरत पड़ती है, जिसको होस्ट प्लांट बोलते हैं। इससे चंदन का पौधा डाइट ले सकता है। जब चंदन उगाने पर उन्होंने ट्रायल किए तो सिंदूर को होस्ट प्लांट के तौर पर लगाया गया। चंदन के जितने पौधों के साथ होस्ट प्लांट के तौर पर सिंदूर का पौधा लगाया गया, दूसरे पौधों से उनकी ग्रोथ कहीं ज्यादा है।
नेशनल हाईवे पर एक छोटे प्लॉट में उन्होंने चंदन की नर्सरी तैयार की है। वे चंदन और मेडिसिनल बेचते हैं। उनके अपने फार्म में हींग, दालचीनी, लौंग, इलायची रुद्राक्ष, वाटर रोज, एप्पल है, जापानी फल और ड्रेगन फ्रूट लगे हैं।
हर्बल टी लाउंज, 14 फूड ग्रेन्स वाला घराट का आटा
गिरधारी लाल का बेटा आस्ट्रेलिया में सेटल है। उनकी बेटी ने होम साइंस में पोस्ट ग्रेजुएट हैं और दामाद गोदरेज कंपनी से रीजनल मैनेजर रहे हैं। बेटी और दामाद गिरधारी लाल के साथ जुड़ कर नेशनल हाईवे के ऊपर एक हर्बल टी लाउंज का संचालन कर रहे हैं। यहां वे ग्राहकों को हंड्रेड परसेंट ओरिजिनली ओर्गेनिक ग्रोन फूड उपलब्ध करवाते हैं।
गिरधारी लाल अपने फार्म में काली गेहूं और लाल चावल उगाते हैं। वे कई तरह के दलहन और मिलेट्स भी उगाते हैं। वे चौदह ग्रेन मिलाकर मल्टी ग्रेन आटा बनाते हैं। वे पानी से चलने वाली स्लो ग्राइंडिंग मशीन घराट में मल्टी ग्रेन पीसते हैं। हेल्थ कॉन्शियस लोग जो ऑर्गेनिकली ग्राउंड फूड ग्रेन्स खाना चाहते हैं, वे उनसे इस आटे को खरीदते हैं।
इंजीनियर बन गया प्रोग्रेसिव फार्मर
गिरधारी लाल इंजीनियर से फार्मर बने हैं। उन्होंने अपना करियर बतौर जूनियर इंजीनियर सिविल1969 में शुरू किया था और साल 2008 में सीनियर एक्जीक्यूटिव इंजीनियर के पद से रिटायर्ड हुए। कोलर गांव में उनकी दस बीघा जमीन है। रिटायरमेंट के बाद उन्होंने अपनी जमीन पर हंड्रेड परसेंट ऑर्गेनिक फार्मिंग शुरू की।
गिरधारी लाल अपना बायोपेस्टिसाइड बनाते हैं। फर्टिलाइजर खुद बनाते हैं। माइक्रो नुट्रिएंट्स खुद बनाते हैं। वे गाय के गोबर और मूत्र से नेचुरल फार्मिंग करते हैं। इसमें उन्होंने वेस्ट डिंग कंपोस्ट भी ऐड किया है। पांच रेगुलर एम्प्लॉयी उनके फार्म में काम करते हैं। वे कोशिश कर रहे हैं कि क्षेत्र के और किसान ऑर्गेनिक फार्मिंग के लिए आगे आएं।
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Jyoti maurya

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