पैराग्लाइडिंग : सिकंदरधार को पैराग्लाइडिंग का इंतज़ार
सत्य प्रकाश/ जोगिंद्रनगर
मंडी जिला के जोगिंद्रनगर उपमंडल की लडभड़ोल तहसील की खुड्डी पंचायत में स्थित भभौरी धार जिसे सिकंदरधार के नाम से भी जाना जाता है, में पैराग्लाइडिंग की अपार संभावनाएं हैं। इस धार पर खुला मैदान भी है,जो पैराग्लाइडिंग का मुख्य केंद्र बन सकता है।
कांगड़ा जिला के बैजनाथ उपमंडल में स्थित पैराग्लाइडिंग के स्वर्ग बीड- बिलिंग से महज 25 किलोमीटर दूर स्थित भभौरी धार को पैराग्लाइडिंग के लिए विकसित किया जाए तो साहसिक पर्यटन के जरिये यहां रोजगार के अवसर पैदा किए जा सकते हैं और स्थानीय की आर्थिकी मजबूत की जा सकती है। प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर होने के कारण यह धार ट्रैकिंग के लिए भी एक अच्छा स्थान है।
खुड्डी पंचायत से लगभग 3 किलोमीटर आगे तक एक कच्ची सडक़ पहुंच चुकी है। अधिक ऊंचाई, संकरीघाटी तथा सड़क के कच्ची होने के कारण वाहन से सफर काफी खतरनाक है, वहीं अभी इस दुर्गम स्थान पर आधारभूत सुविधाओं का भी अभाव है।
बीड़- बिलिंग से नजदीक पैराग्लाइडिंग
बीड- बिलिंग में बढ़ती पैराग्लाइडिंग गतिविधियों के चलते अब वक्त आ गया है कि भभौरी धार में आधारभूत ढांचा विकसित कर को बीड़-बिलिंग के साथ जोड़ कर इस क्षेत्र को साहसिक पर्यटन की दृष्टि से आगे बढ़ाया जाये। भभौरी की दूरी जोगिंद्रनगर से वाया ऐहजु लगभग 30 किलोमीटर तथा वाया बल्ह, मैन भरोला 20 किलोमीटर है। तहसील मुख्यालय लडभड़ोल से लगभग 18 किलोमीटर तथा बैजनाथ से लगभग 35 किलोमीटर दूर है।
ट्रेकिंग के दीवानों के लिए स्वर्ग
लगभग 1500 से 1800 मीटर की ऊंचाई पर स्थित भभौरी धार बेहद खूबसूरत है। सर्दियों में इस धार पर बर्फबारी होती रही है। यह स्थान घने बान, बुरांस व काफल के पेड़ों से ढक़ा हुआ है।
इस स्थान से एक तरफ हिमाच्छादित धौलाधार पर्वत श्रृंखला का बेहद खूबसूरत नजारा देखने को मिलता है, तो दूसरी तरफ कांगड़ा व मंडी घाटी का सुदूर तक दृश्य देखते ही बनता है।
शहरों की आपाधापी से दूर भरौरी धार पहुंच कर मन को बेहद सुकून मिलता है। यह धार ट्रेकिंग के लिए विकसित की जा सकती है। खुड्डी से लगभग 2 किलोमीटर की ट्रेकिंग कर भरौरी धार पहुंच सकते हैं। चलहारग पंचायत की ओर से भी ट्रेकिंग कर सिकंदरधार पहुँच सकते हैं।
यहां पर थी कभी राजाओं की चौकी
भभौरी में किसी समय राजाओं की चौकी या बेहड़ा हुआ करता था। जिस स्थान पर राजाओं का बेहड़ा स्थापित था वह भभौरी धार की सबसे ऊंची जगह है। समय के साथ यह स्थान खंडहर हो चुका है।
उस दौर की याद दिलाते यहां पर केवल पत्थरों के ही ढ़ेर रह गए हैं।
इस स्थान को देखते ही प्राचीन समय का इतिहास मानो एक बार फिर जीवंत हो उठता है। यहां पर कभी इंसानी बस्ती भी हुआ करती थी, लेकिन कालांतर में अति दुर्ग क्षेत्र होने के कारण अधिकतर लोगों ने यहां से पलायन कर लिया है तथा साथ लगते गांवों खुड्डी और गाहरा में जाकर बस गए हैं।
सिकंदर से जुड़ी सिकंदरधार
किवदंती है कि भभौरी का प्राचीन मंदिर हजारों वर्ष पुराना है तथा इसका अपना एक इतिहास है। कहा जाता है कि यूनानी सम्राट सिकंदर भारतीय उपमहाद्वीप में अपने विजयी अभियान के दौरान वे अपनी सेना के साथ ब्यास नदी के तट तक पहुंचे थे। इसलिए इस स्थान को सम्राट सिकंदर के साथ जोड़ते हुए इस धार को सिकंदर धार के नाम से भी जाना जाता है।
सिकंदरधार पर भभौरी माता का मंदिर
सिकंदरधार को धार्मिक पर्यटन के तौर पर भी विकसित किया जा सकता है, इस धार के सबसे ऊंचे स्थान पर भभौरी माता का प्राचीन मंदिर है। राजा अपने साथ भभौरी मां को पिंडी रूप में भरमौर से यहां लेकर आए थे। भरमौर से आने के कारण इसका नाम बदलते वक्त के साथ भभौरी हो गया। भभौरी मां मंडी व कांगड़ा जनपद के लोगों की कुलदेवी है। इसी वजह से इस मंदिर के प्रति लोगों की गहरी आस्था है। मंदिर कमेटी ने यहां आने वाले श्रद्धालुओं के लिए सराय का निर्माण करवाया है। आषाढ़ माह में मां भभौरी का मेला लगता है।
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