Badri Singh Bhatia : उनके चुस्त सम्पादन में निखरे हिमप्रस्थ और गिरिराज, कहानियों और उपन्यासों से किया पाठकों के दिलों पर राज, तीन अकादमी पुरस्कार
विनोद भावुक/ शिमला
मेडिकल कालेज शिमला की कर्मचारी यूनियन की पत्रिका तरु-प्रछाया से संपादकीय पारी शुरू करने वाले Badri Singh Bhatia (बद्री सिंह भाटिया) के चुस्त सम्पादन में लोक संपर्क विभाग की पत्रिका हिमप्रस्थ और साप्ताहिक समाचार पत्र गिरिराज खूब निखरे। उन्होंने अपनी कहानियों और उपन्यासों से किया पाठकों के दिलों पर राज किया। उनके दो उपन्यासों और एक कहानी संग्रह सहित पुस्तकों के लिए अकादमी पुरस्कार मिले। हिमाचल कला संस्कृति भाषा अकादमी ने वर्ष 1987 में उनके उपन्यास ‘पड़ाव’ के लिए, वर्ष 2004 में कहानी संग्रह ‘कवच’ के लिए और साल 2015 में ‘डेंजर जोन’ के सम्मानित किया। बद्री सिंह भाटिया समकालीन कहानी के एक सुपरिचित नाम रहे। उनके 11 कहानी संग्रह, दो उपन्यास और एक कविता संग्रह प्रकाशित हुआ।
कहानीकार, उपन्यासकार एवं कवि
Badri Singh Bhatia के ठिठके हुए पल, मुश्तरका जमीन, छोटा पड़ता आसमान, बावड़ी तथा अन्य कहानियां, यातना शिविर, कवच, और वह गीत हो गई, डी.एन.ए, लोगों को पता होता है, एक यात्रा डरी सी, सूत्रगाथा और धन्धा (सहयोगी संपादन) कहानी संग्रह जबकि पड़ाव और डेंजर जोन उपन्यास प्रकाशित हुए। उनका एक कविता संग्रह ‘कटीली तारों का घेरा’ भी प्रकाशित हुआ। इसके अतिरिक्त उनके अनेक निबंध तथा समीक्षांए भी प्रकाशित हुई।
ग्रामीण चेतना के चितेरे साहित्यकार
Badri Singh Bhatia ग्राम्य और शहरी जीवन दोनों का अनुभव रखते थे, बावजूद इसके वे अपनी कहानियों और उपन्यासों में ग्रामीण चेतना की सहज अन्याय, अत्याचार, सामाजिक, राजनैतिक समस्याओं को सहज सरल लोकरंजक परिपक्व शैली में प्रस्तुत करते थे। बद्री सिंह भाटिया समकालीन समाज के यथार्थ को रचने वाले सिद्धहस्त रचनाकार रहे।
तीन अकादमी पुरस्कार
Badri Singh Bhatia को वर्ष 2001 में हिम साहित्य परिषद, मंडी ने ‘साहित्य सम्मान’ से सम्मानित किया। वर्ष 2007 में उन्हें हिमोत्कर्ष साहित्य संस्कृति एंव जन कल्याण परिषद ऊना की तरफ से ‘हिमाचल श्री’ साहित्य पुरस्कार से सम्मानित किया गया। वर्ष 2012 में सिरमौर कला संगम ने उन्हें डॉ.यशवंत सिंह परमार सम्मान दिया। हिमाचल कला संस्कृति भाषा अकादमी ने वर्ष 1987 वर्ष 2004 तथा साल 2015 में सम्मानित किया।
समाजसेवा में निभाई अहम भूमिका
सेवानिवृति के बाद Badri Singh Bhatia पैतृक गाँव ग्याण में खेती-बाड़ी में व्यस्त रहने के लेखन के लिए समर्पित रहे। उन्होंने अर्की-धामी ग्राम सुधार समिति और ग्याणा मण्डल विकास संस्था के अध्यक्ष पद पर रहते हुए समाजसेवा में अहम भूमिका अदा की। उन्होंने विभिन्न कर्मचारी यूनियनो, एसोसियशनों में अनेक गरिमामय पदों पर रहते हुए कई मुद्दों के समाधान में खास भूमिका अदा की। उन्होंने अर्पणा (साहित्यिक एवं वैचारिक मंच) के अध्यक्ष पद पर भी कार्य किया।
जीवन के आखिरी लम्हों तक रहे सक्रिय
4 जुलाई, 1947 को पैदा हुए Badri Singh Bhatia ने हिन्दी में स्नातकोत्तर किया तथा लोक संपर्क एंव विज्ञापन कला में डिप्लोमा किया। मेडिकल कालेज शिमला से अपनी नौकरी की शुरुआत करने वाले बद्री सिंह भाटिया बाद में सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग में कार्यरत हुए। सरकारी सेवा से सेवानिवृति के बाद भी वे पूरी तरह से लेखन में सक्रिय रहे और जीवन के आखिरी लम्हों तक सृजन के लिए समर्पित रहे। 75 साल की उम्र में 24 अप्रैल 2021 को दिल्ली में उनका निधन हो गया।
इस विषय से संबन्धित पोस्टें –
हिमाचल बिजनेस अपनी चाल में चलते हुए एक अलग मुकाम बना रहा है।इस में आप विभिन्न क्षेत्रों में अपनी धाक जमाने वाली प्रतिभाओं से रूबरू करवा रहे हैं।सुझाव है उन उद्यमियों से मिलाएं जिन्होंने हिमाचल में अग्रणी भूमिका निभाई है।
आप के सुझाव पर काम किया जाएगा निर्झर जी।