जयंती विशेष : लता ठाकुर ने डॉ. परमार की पुस्तक के खिलाफ खोला था मोर्चा, इंदिरा गांधी को दिखाया था लाहौल

जयंती विशेष : लता ठाकुर ने डॉ. परमार की पुस्तक के खिलाफ खोला था मोर्चा, इंदिरा गांधी को दिखाया था लाहौल
हिमाचल बिजनेस डेस्क | धर्मशाला
हिमाचल प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री डॉ. यशवंत सिंह परमार की हिमालय में बहुपति प्रथा को लेकर ‘Polyandry in the Himalayas’ बहुचर्चित किताब है। जब उनकी यह किताब प्रकाशित हुई तो कांग्रेस की दो नेत्रियों ने इसका जबरदस्त विरोध किया। उनका कहना था कि किताब हिमाचल प्रदेश की महिलाओं की छवि को गलत तरीके से पेश करती है। किताब का विरोध करने वाली कांग्रेस नेत्रियों में एक थीं लता ठाकुर।
तब लता ठाकुर ने कहा था कि हिमाचली महिलाएं संघर्षशील हैं, उनका सम्मान किताबों में शोध का विषय नहीं, बल्कि समाज की रीढ़ के रूप में किया जाना चाहिए। आज हम याद कर रहे हैं पहाड़ की राजनीति में अपनी अलग छाप छोड़ने वाली नेत्री लता ठाकुर को, जिनका जन्म आज ही के रोज 21 अगस्त 1941 को लाहौल घाटी के गमरु गांव में हुआ था।
पहली क़बायली महिला विधायक
1972 के विधानसभा चुनावों में लता ठाकुर ने लाहौल-स्पीति से कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में जीत हासिल की। वह लाहौल-स्पीति की पहली महिला विधायक ही नहीं, बल्कि पूरे हिमाचल प्रदेश की पहली अनुसूचित जनजाति की महिला विधायक बनीं। वे हिमाचल प्रदेश यूथ कांग्रेस की अध्यक्ष और हिमालयन बौद्ध सोसायटी, मनाली की अध्यक्ष भी रहीं।
लता ठाकुर तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को अपने विधानसभा क्षेत्र में लेकर आईं। कुछ लोग कहते हैं कि उन्होंने ही पहली बार रोहतांग के नीचे सुरंग बनाने की मांग उठाई थी। उनकी पहल पर ही स्पीति घाटी में ईंधन लकड़ी सब्सिडी पर और बिना ट्रांसपोर्ट शुल्क के मिलने लगी।
सड़क हादसे ने छीन ली जान
14 दिसम्बर 1976 को मंडी जिले के पंडोह के पास एक सड़क हादसे में लता ठाकुर की मृत्यु हो गई। केवल 35 साल की उम्र में लता का जीवन समाप्त हो गया, लेकिन अपने छोटे से राजनीतिक करियर में ही वे इतिहास रच गईं।
लता ठाकुर का जीवन भले ही छोटा रहा, लेकिन उन्होंने दिखा दिया कि सच्चा नेतृत्व उम्र का मोहताज नहीं होता। उनकी स्मृति में आज उदयपुर में लता ठाकुर मेमोरियल स्टेडियम स्थापित किया गया है, जहाँ हर साल क्रिकेट प्रतियोगिताएं होती हैं।
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