वीर नारी : अस्सी साल की उम्र में बिलासपुर से लंदन तक लड़ी लड़ाई, शहीद सैनिक पति की वीरता की निशानी वापिस पाई

वीर नारी : अस्सी साल की उम्र में बिलासपुर से लंदन तक लड़ी लड़ाई, शहीद सैनिक पति की वीरता की निशानी वापिस पाई
वीर नारी : अस्सी साल की उम्र में बिलासपुर से लंदन तक लड़ी लड़ाई, शहीद सैनिक पति की वीरता की निशानी वापिस पाई
हिमाचल बिजनेस। बिलासपुर
हिमाचल प्रदेश का इतिहास जब भी प्रेरक सत्यकथाएं सुनाएगा, बिलासपुर की ब्रह्मी देवी के संघर्ष की कहानी बड़े अदब से दोहराई जाएगी। 12 साल पहले जिंदगी की ढलान पर खड़ी अस्सी साल की ब्रह्मी देवी ने दुनिया के सामने यह साबित किया था कि यदि हौसला अटूट हो तो न्याय और सम्मान हर हाल में वापस पाया जा सकता है।
पहाड़ की एक अम्मा ने अपनी गूंज दिल्ली और लंदन तक पहुँचा दी थी और पति का खोया हुआ वीरता पदक वापस अपने घर लाई थी। अब जॉर्ज क्रॉस मेडल की सुरक्षा राज्य सरकार की जिम्मेदारी है। पति के सम्मान के लिए बिलासपुर से लंदन तक लड़ाई लड़ने वाली ब्रह्मी देवी का साहसिक सफर आने वाली पीढ़ियों के लिए एक प्रेरक गाथा है।
साथियों को बचते हुई शहादत
ब्रह्मी देवी के पति नायक किरपा राम 13वीं फ्रंटीयर फोर्स राइफल के सैनिक थे। दूसरे विश्व युद्ध के दौरान वे 12 सितम्बर 1945 को बेंगलुरु कैम्प में किरपा राम ने एक ग्रेनेड को दूर फेंकने की कोशिश की, ताकि उनके साथी बच सकें। ग्रेनेड हाथ में ही फट गया और एक जाँबाज सैनिक अपने साथियों की जान बचाते हुए शहीद हो गया।
मरणोपरांत जॉर्ज क्रॉस मेडल
इस बलिदान के लिए ब्रिटिश सरकार ने 15 मार्च 1946 को मरणोपरांत किरपा राम को जॉर्ज क्रॉस पुरस्कार से नवाज़ा। उस समय के वायसराय लॉर्ड वावेल ने यह सम्मान ब्रह्मी देवी को प्रदान किया था। जब ब्रह्मी देवी को यह सम्मान मिला, तब वे मात्र 14 वर्ष की किशोरी थीं। वह महज़ 13 साल की उम्र में विधवा हो गई थीं।
बिलासपुर से चोरी लंदन पहुंचा मेडल
2002 में यह बहुमूल्य पदक ब्रह्मी देवी के घर से चोरी हो गया। 2009 में जब इंग्लैंड के एक नीलामी घर की सूची में यह मेडल आया, तो बिलासपुर के पूर्व पुलिस अधिकारी एसएस चंदेल ने मामला उठाया। ब्रह्मी देवी ने एफआईआर दर्ज करवाई और कानूनी लड़ाई शुरू हुई। लंदन हाईकोर्ट की क्वीन बेंच डिवीजन ने आदेश दिया कि मेडल ब्रह्मी देवी को लौटाया जाए।
मीडिया की ताकत, भारतवंसियों की भावनाएं
ब्रिटिश वकील इयान मेस वे और सीनियर सॉलिसिटर विजय शर्मा ने अदालत में इस केस की नि:शुल्क पैरवी की। ब्रिटिश मीडिया में यह केस आया और भावनाओं की ताक़त ने सरकार को झुकने पर मजबूर किया। इंग्लैंड में रहने वाले भारतीय समुदाय ने मिलकर लगभग 9 लाख रुपये जुटाए, ताकि कानूनी औपचारिकताएँ पूरी हो सकें।
मेडल लेकर बिलासपुर पहुंचे अंग्रेज़
2013 में ब्रिटिश उप-उच्चायुक्त डेविड लिलियट और सुरक्षा सलाहकार ब्रिगेडियर ब्रायन मैकॉल पदक लेकर बिलासपुर के भरपाल गाँव पहुँचे। मेडल ब्रह्मी देवी को सौंपते हुए कहा गया कि यह केवल एक पदक नहीं, बल्कि भारत और ब्रिटेन के रिश्तों की साझी विरासत है। ब्रह्मी देवी ने कहा, अब मैं शांति से मर सकती हूँ, क्योंकि मैंने अपने पति का सम्मान वापस पा लिया।‘
यह भी सनद रहे
जॉर्ज क्रॉस ब्रिटेन का शांतिकाल का सर्वोच्च वीरता सम्मान है, जिसे भारत में मिलने वाले अशोक चक्र के बराबर माना जाता है। हिमाचल प्रदेश में यह सम्मान पाने वाले अकेले सैनिक नायक किरपा राम ही हैं।
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Jyoti maurya

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