Cedar of Kullu : कई रहस्यमयी घटनाओं से जुड़ा है 5 हजार साल पुराना देवदार का उल्टा पेड़, आज भी हरा है, वासुकी नाग से जुड़ी हैं कईं किवदंतियां
आरती ठाकुर /कुल्लू
पढ़िये लीक से हटकर कहानी Cedar of Kullu की। हिमाचल प्रदेश में कई रहस्यमयी जगह और प्राकृतिक चीजें ऐसी हैं जो लोगों को आज भी हैरान करती हैं। ऐसे ही जिला कुल्लू में 5000 साल पुराना Cedar of Kullu (देवदार का पेड़) है। वैसे तो कुल्लू घाटी की कई जगहों पर देवी-देवता के चमत्कारिक वृक्ष हैं, लेकिन ऊझी घाटी स्थित हलाण के कुम्हारटी में Cedar of Kullu के बारे में हर कोई जानकर हैरान होता है। ऐसा माना जाता है कि इस पेड़ पर कई दैवीय शक्तियां वास करती हैं। करीब 5000 साल पुराना देवता का उल्टा वृक्ष इसे स्थानीय भाषा में टुंडा राक्षस की केलो भी कहा जाता है। फाल्गुन माह में इस Cedar of Kullu वृक्ष के नीचे फागली मेला मनाया जाता है, जिसमें टुंडा राक्षस का एक पात्र होता है। मान्यता यह भी है कि हलाण क्षेत्र के आराध्य देवता वासुकी नाग ने प्राचीन समय में किसी दैवीय शक्ति की परीक्षा लेने के लिए इस Cedar of Kullu को जमीन से उखाड़ कर उल्टा किया था। वर्तमान में भी यह दैवीय Cedar of Kullu उल्टा दिखाई देता है।
वासुकी नाग ने दिया नाम हरशू
Cedar of Kullu की दंतकथा के अनुसार प्राचीन समय में ऊझी घाटी के हलाण से सटे नगौणी देव वन में वासुकी नाग तपस्या में लीन थे। उसी दौरान एक दिव्य शक्ति उनके पास आई और गोद में बैठने का आग्रह करने लगी। इस पर वासुकी नाग ने कहा कि मैं किसी को अपने गोद में बिना जांचे परखे कैसे रख सकता हूं, लेकिन दिव्य न मानी। नाग देवता ने इस दिव्य शक्ति की परीक्षा लेनी चाही। इस पर दिव्य शक्ति परीक्षा देने के लिए मंजूर हो गया। वासुकी नाग ने देव स्थल के समीप ही उगे Cedar of Kullu को उखाड़ कर उल्टा जमीन पर गाड़ दिया और कहा कि सुबह होने पर यह वृक्ष हरा होना चाहिए। ऐसा कहा जाता है कि सुबह हुई तो वृक्ष के जड़ में ही छोटी-छोटी टहनी उग आईं थीं। ऐसा चमत्कार करने पर दिव्य शक्ति परीक्षा में उतीर्ण हुई। Cedar of Kullu की जड़ों को हरा करने वाली दिव्य शक्ति से जब वासुकी नाग ने परिचय जानना चाहा तो दिव्य शक्ति कहती है, हे वासुकी नाग आप मुझे किसी भी नाम से पुकार सकते हैं। उल्टे Cedar of Kullu को हरा करने पर वासुकी नाग ने इस दिव्य शक्ति का नाम हर हरशू नाम दिया। मान्यता है कि हर हरशू अठारह करडू की श्रेणी में आता है इसे भगवान शिव का अवतार भी माना जाता है। उस समय से ही हर हरशू वासुकी नाग की पालकी में विराजमान रहते हैं।
Cedar of Kullu: टुंडा राक्षस को पेड़ से बांधा
ऐसा कहा जाता है कि उसी समय हलाण क्षेत्र में टुंडा राक्षस का आतंक था। जब क्षेत्र के सभी देवी-देवता टुंडा राक्षस से युद्ध में हार गए तो इसके आतंक से बचने के लिए सभी देवता वासुकी नाग के पास आए। देवता वासुकी नाग ने टुंडा के आतंक से छुटकारा पाने के लिए टुंडा राक्षस का विवाह टिबंर शाचकी से करने की सलाह दी। देवी-देवताओं ने जब टिबंर शाचकी से यह प्रस्ताव रखा तो इसके बदले में उसने शर्त रखी कि साल में एक बार इस उल्टे वृक्ष Cedar of Kullu के पास आऊंगी और मुझे जीवन यापन करने के लिए खाद्य सामग्री पहुंचनी चाहिए। इस शर्त को मानने पर टिबंर शाचकी का विवाह टुंडा राक्षस से करवाया गया। ऐसा करने पर जब टुंडा राक्षस देवता के वश में नहीं हो सके तब वासुकी नाग ने टुंडा को इस Cedar of Kullu के समीप बांध दिया था।
प्राकृतिक विपदा से रक्षा करता है देवदार
मान्यता है कि जब हारियान क्षेत्र में कोई प्राकृतिक विपदा आती है तो देवता आई हुई विपदा को टालने के लिए इस चमत्कारी Cedar of Kullu पर बिजली गिरा कर क्षेत्र की रक्षा करता है। 8-10 साल पहले क्षेत्र में सूखा पड़ा था तथा कई बीमारियां फैली थीं, इन सब को रोकने के लिए देवता ने इस Cedar of Kullu पर बिजली गिराई थी, जिसके निशान आज भी मौजूद हैं। यह पेड़ भारी बर्फबारी में भी यह पेड़ टूटता नहीं है।
देवता जमलू का भी है चमत्कारी वृक्ष
मनाली और क्लाथ के बीच सटे जंगलों में एक चट्टान के ऊपर एक ऐसा ही Cedar of Kullu है। देवदार के वृक्ष को स्थानीय भाषा में केलो कहा जाता है। इस चमत्कारिक पेड़ को जमलू केलो का नाम दिया गया है। इसकी परिधि 21 फुट, ऊंचाई 75 फुट है। इसकी आयु 1500 साल से पुरानी बताई जा रही है। देखने पर यह चमत्कार बड़ी छतरी की तरह दिखाई देता है।