चंबा रियासत : 1 राज परिवार 1200 साल तक राज
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विश्व सभ्यताओं के इतिहास में एक ही राज परिवार की अटूट शासन श्रंखला का विश्व रिकॉर्ड
मनीष वैद/ चंबा
हिमालय की पीरपंजाल और धौलाधार पर्वत श्रंखला के बीच रावी किनारे बसी चंबा घाटी विश्व सभ्यताओं के इतिहास में एक ही राज परिवार की अटूट शासन श्रंखला का विश्व रिकॉर्ड है।
सूर्यवंशी राज परिवार की कई पीढ़ियां बारह सौ सालों तक इस घाटी पर राज करती रहीं। यह श्रंखला तब टूटी जब देश की आजादी के बाद जब इस रियासत का हिमाचल प्रदेश में विलय हुआ।
चंबा : सबसे लंबी वंशावली
सातवीं से 19वीं सदी तक यहां एक ही वंश के एक सौ आठ शासकों ने शासन किया। शासकों की संख्या को लेकर हालांकि इतिहासकारों में मतभेद है, लेकिन दुनिया की सबसे लंबी वंशावली का विश्व रिकॉर्ड इसी रियासत के नाम है।
इसके बाद जर्मनी का एक राज परिवार आता है, जिसके शासनकाल की शुरुआत दसवीं सदी हुई थी। इस तरह से चंबा दुनिया की एक बिरली ही रियासत रही है।
चंबा का इतिहास वोगल का काम
ब्रिटिशकाल में उत्तरी भारत के पुरातत्व विभाग के प्रमुख बने डच निवासी जान फिलिप वोगल ने यहां के सांस्कृतिक इतिहास को पहली बार श्रंखलाबद्ध किया। यूरोपियन इतिहासकार ए कलिंघम ने वोगल को बताया था कि इस रियासत में इतिहास का समृद्ध खजाना छिपा है।
लाहौर कॉलेज के प्रो. टी डब्ल्यू ऑर्नाल्ड ने भी वोगल को इसके इतिहास पर काम करने की सलाह थी। इसी पर अमल करते हुये वोगल ने चंबा के इतिहास पर गहन खोज कर इस हकीकत को दुनिया के सामने रखा।
एंटीक्विटीज ऑफ चंबा स्टेट
पुरातन इतिहास पर काम और शोध को वोगल ने साल 1902 में प्रकाशित अपनी पुस्तक (एंटीक्विटीज ऑफ चंबा स्टेट) में प्रकाशित किया। गहन अध्ययन और शोध के बाद वोगल इस नतीजे पर पहुंचे कि यहां शासन करने की एक राज परिवार की लंबी अटूट श्रंखला दुनिया में अपनी तरह की अनोखी है।
इस पुस्तक के प्रकाशन के साथ ही इस रियासत को लेकर दुनिया भर के पाठकों में नई समझ विकसित हुई और नई पहचान मिली।
बाहर सौ सालों के इतिहास
वोगल ने गहन अध्ययन कर ताम्रपत्रों, शिलालेखों, भीत्ति चित्रों, दुर्लभ पांडुलिपियों, वास्तुशिल्प व जनश्रुतियों के आधार 1200 सालों के इतिहास को रच दिया।
उनकी किताब के प्रकाशन के बाद इस घाटी के इतिहास की सही जानकारी दुनिया तक पहुंची और इसको एक नई पहचान मिलनी शुरू हुई। लोग चंबा की तरफ आकर्षित हुए।
टोकन ऑफ फ्रेंडशिप
वोगाल ने इस किताब को तत्कालीन शासक हिज हाइनेस सर भूरी सिंह (केसीएसआई, सीआईई) को टोकन ऑफ फ्रेंडशिप के रूप में भेंटकर यहां की जनता को तोहफा दिया था।
वोगल के काम से प्रभावित होकर राजा ने राजमहल की पुरातन और बहुमूल्य वस्तुओं के संग्रह को भेंट कर भूरि सिंह संग्रहालय की नींव रखी थी।
म्यूजियम में संरक्षित इतिहास
साल 1908 में स्थापित हुए भूरी सिंह संग्रहालय में आज भी इस रियासत के 1200 सालों का इतिहास जीवित है। यह संग्रहालय इस घाटी की पुरातन संस्कृति और कला का संरक्षण कर रहा है और यहां आने वाले लोगों को अपनी तरफ आकर्षित करता है।
विश्व धरोहर है चंबा
यह पुरातन नगर विश्व धरोहर होने की तमाम विशेषताएं रखता है। इसकी यह बदनसीबी ही है कि यहां के बारह सौ सालों के पुरातन इतिहास को सहेजा तो जरूर गया, लेकिन इतिहास के इस रहस्मयी खजाने से दुनिया बेखबर है। इसे विश्व धरोहर घोषित किया जाना चाहिए।
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