कांगड़ा के घुरक्कड़ी गांव के दीपक गर्ग की इंजीनियरिंग बेमिसाल, टमाटर की खेती से मंडी की बल्ह घाटी हुई मालामाल

कांगड़ा के घुरक्कड़ी गांव के दीपक गर्ग की इंजीनियरिंग बेमिसाल, टमाटर की खेती से मंडी की बल्ह घाटी हुई मालामाल
कांगड़ा के घुरक्कड़ी गांव के दीपक गर्ग की इंजीनियरिंग बेमिसाल, टमाटर की खेती से मंडी की बल्ह घाटी हुई मालामाल
विनोद भावुक/ धर्मशाला
मंडी के उपजाऊ बल्ह घाटी को मिनी पंजाब के नाम से भी पुकारा जाता है। इस घाटी के किसानों ने पिछले एक डेढ़ दशक में सब्जी उत्पादन के जरिये सतत आजीविका और ग्रामीण आर्थिकी की अनूठी कहानी लिखी है। टमाटर की खेती से बल्ह घाटी के किसान मालामाल हो रहे हैं। यह तभी संभव हो पाया जब लेफ्ट बैंक सिंचाई योजना के जरिये नहर के माध्यम से बल्ह के खेतों तक पानी पहुंचा। 103 करोड़ की लागत ने निर्मित हुई यह योजना अपने समय की हिमाचल प्रदेश की सबसे बड़ी सिंचाई योजना थी।
बल्ह घाटी के लिए वरदान साबित हुई इस सिंचाई योजना के निर्माण का जिम्मा कांगड़ा के घुरक्कड़ी गांव के ऊर्जावान इंजीनियर दीपक गर्ग के पास था। योजना जब निर्धारित समय पर बन कर तैयार हुई तो यकायक वे मीडिया की सुर्खियों आ गए थे। प्रदेश की कई महात्वाकांक्षी पेयजल योजनाओं, सिंचाई योजनाओं और सीवरेज योजनाओं के निर्माण का नेतृत्व करने वाले दीपक गर्ग इस प्रेरककथा के नायक हैं, जो वर्तमान में जल शक्ति विभाग के धर्मशाला जोन के मुख्य अभियंता हैं।
अब बागवानों की आर्थिकी कर रहे मजबूत
निचले हिमाचल के सात जिलों में बागवानी के लिए चल रहे एचपी शिवा प्रोजेक्ट के तहत विकसित किए जा रहे कई बगीचों में फल उत्पादन शुरू हो चुका है। एशियन डिवैलपमेंट बैंक पोषित 1300 करोड़ की लागत वाली इस परियोजना से 2028 तक 28 विकास खंडों में 400 क्लस्टर के तहत 6000 हैक्टेयर भूमि पर बगीचे लगाए जाने हैं।
इस बगीचों के लिए 162 सिंचाई योजनाओं के तहत सिंचाई की व्यवस्था कारवाई जा रही है। इंजीनियर दीपक गर्ग इस परियोजना के स्टेट नोडल ऑफिसर हैं। इस परियोजना के तहत विकसित किए जा रहे बगीचों तक सिंचाई की व्यवस्था का जिम्मा जल शक्ति विभाग का है।
पौंग डैम विस्थापित है गर्ग परिवार
दीपक गर्ग का नवंबर 1972 में पिता राजेन्द्र गर्ग और माता के घर देहरा के पंजबड़ गांव में तीसरे बच्चे के रूप में हुआ। उनके बड़ी दो बहनें हैं और उनसे छोटा एक भाई है। दीपक गर्ग के पिता राजेन्द्र गर्ग पहले खाद्य आपूर्ति विभाग में नौकरी करते थे, बाद में उन्होंने नौकरी छोड़ खुद का लकड़ी का कारोबार कर लिया। उनकी माता स्कूल शिक्षिका रहीं और सेंट्रल हेड टीचर के तौर पर रिटायर्ड हुई हैं।
मूल रूप से गर्ग परिवार देहरा के पंजबड़ गांव से संबंध रखता है। पौंग बांध के लिए परिवार की जमीन को अधिग्रहित कर लिया गया तो दीपक गर्ग के दादा विस्थापित होकर 1973 में कांगड़ा शहर के नजदीकी गांव घुरक्कड़ी में किराये के एक मकान में रहने आए थे। बाद में उन्होंने इसी गांव में जमीन खरीदी और जीवन यापन के लिए आरा मशीन, आटा चक्की, धान की थ्रेसिंग मशीन और तेल पिड़ाई के लिए कोहलू लगाया था।
सेक्रेड हार्ट स्कूल सिद्धपुर और एनआईटी हमीरपुर के स्टूडेंट
दीपक गर्ग की स्कूली शिक्षा की शुरुआत मॉडर्न पब्लिक स्कूल कांगड़ा से हुई। पाँचवी कक्षा से लेकर मैट्रिक तक वे सेक्रेड हार्ट स्कूल सिद्धपुर के स्टूडेंट्स रहे हैं। डीएवी कॉलेज कांगड़ा से जमा दो की पढ़ाई करने के बाद उनका चयन एनआईटी हमीरपुर के लिए हुआ, जहां से 1995 में उन्होंने सिविल इंजीनियरिंग में बीटेक की डिग्री ली।
उन्होंने प्रदेश विश्वविद्यालय शिमला में एमबीए में दाखिला लिया। अभी एमबीए की पढ़ाई को एक साल ही हुआ था कि हिमाचल प्रदेश लोक सेवा आयोग की परीक्षा के माध्यम से उनका चयन जल शक्ति विभाग में सहायक अभियंता के तौर पर हो गया। बाद में, दीपक गर्ग ने साल 2013 में इंदिरा गांधी ओपन युनिवर्सिटी से एमबीए मार्केटिंग की डिग्री ली।
बलद्वाड़ा सब डिवीजन, सहायक अभियंता से शुरुआत
इंजीनियर दीपक गर्ग की पहली नियुक्ति मंडी के बलद्वाड़ा सब डिवीजन में सहायक अभियंता के तौर पर हुई थी। बतौर अधिशाषी अभियंता उन्होंने धर्मशाला, बग्गी और नगरोटा बगवां में सेवाएँ प्रदान की हैं। वे धर्मशाला में अधिशाषी अभियंता डिज़ाइन और अधीक्षण अभियंता डिज़ाइन भी रहे हैं। वे अधीक्षण अभियंता हमीरपुर के साथ धर्मपुर का अतिरिक्त कार्यभार संभाल चुके हैं।
मार्च 2024 में पददोन्नति के बाद उनकी तैनाती चीफ इंजीनियर प्रोजेक्ट के तौर पर हुई और 7 दिसंबर 2024 को धर्मशाला ज़ोन के चीफ इंजीनियर के रूप में कार्यभार संभाला। धर्मशाला ज़ोन के अतर्गत चार सर्कल और 22 डिवीजन शामिल हैं। चीफ इंजीनियर के तौर कांगड़ा और चंबा जिलों में पेयजल, सिंचाई और सीवरेज व्यवस्था का जिम्मा उनके पास है।
फ़ीना सिंह सिंचाई परियोजना का निर्माण प्राथमिकता
300 करोड़ की लागत से बन रही फ़ीना सिंह सिंचाई योजना का समयबद्ध निर्माण इंजीनियर दीपक गर्ग की प्राथमिकता है। उनके प्रयासों से ज्वालामुखी और देहरा विधानसभाओं के लिए मध्यम दर्जे की सिंचाई योजनाओं को केंद्र से तकनीकी मंजूरी मिली है। इसी तरह शाहपुर और ज्वाली विधानसभाओ के लिए भी मीडियम इरिगेशन प्रोजेक्ट के लिए टेक्निकल अप्रूवल मिल चुकी है।
जल शक्ति विभाग के धर्मशाला ज़ोन के अंतर्गत डलहौजी और बैजनाथ- पपरोला के लिए पेयजल योजना, पालमपुर में सीवरेज योजना और नगरोटा बगवां के साथ लगते गांवों के लिए सीवरेज योजना का काम चल रहा है। कांगड़ा, हमीरपुर और मंडी जिलों की कई पेयजल, सिंचाई और सीवरेज परियोजनाओं के निर्माण में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही है।
पति इंजीनियर, पत्नी प्रिंसिपल
दीपक गर्ग की शादी साल 2000 में पंचकूला निवासी डॉ मधु मोदगिल से हुई है। डॉ मधु मोदगिल पेशे से शिक्षिका हैं और वर्तमान में सीनियर सेकेन्डरी स्कूल सराह में प्रिंसिपल के पद पर तैनात हैं। इस दंपति के दो बच्चे हैं। बेटी एनआईटी हमीरपुर से आर्किटेक्ट की डिग्री लेने के बाद आईआईटी खड़गपुर से एमबीए की पढ़ाई कर रही है, जबकि बेटा एमआईटी कर्नाटक से कंप्यूटर साइन्स की पढ़ाई कर रहा है।
इंजीनियर दीपक गर्ग की गिनती विभाग के प्रतिभाशाली और होनहार इंजीनियर के तौर पर होती है। पानी पिलाना धर्म का काम है, इसलिए वे हमेशा लोगों की पानी की समस्याओं को प्राथमिकता से समाधान करते हैं। उनका कहना है कि निर्णय लेने की क्षमता और दूरदर्शिता जैसे गुणों के चलते वे पूर्व मंत्री स्वर्गीय जीएस बाली की कार्यशैली से बहुत प्रभावित रहे हैं।
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Jyoti maurya

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