शिमला की जगह धर्मशाला होती अग्रेजों की ग्रीष्मकालीन राजधानी, अगर 1905 के भूकंप ने न हिलाया होता कांगड़ा
शिमला की जगह धर्मशाला होती अग्रेजों की ग्रीष्मकालीन राजधानी, अगर 1905 के भूकंप ने न हिलाया होता कांगड़ा
हिमाचल बिज़नेस / धर्मशाला
1860 के दशक की इस दुर्लभ तस्वीर में पुराना इंजीनियर्स ऑफिस के आगे एक सुंदर बंगला, है, जो सर हेनरी लॉरेंस का निवास हुआ करता था। यह वही दौर था, जब ब्रिटिश हुकूमत ने धर्मशाला को एक सब्सिडियरी कैंटोनमेंट के रूप में विकसित किया। कांगड़ा की पहाड़ियों के बीच जब 1849 में एक नए नेटिव रेजिमेंट के लिए स्थान ढूंढा गया तो इस जगह का चयन हुआ।
ब्रिटिश अफ़सरों को यह जगह इतनी पसंद आई कि 1850 के दशक में इसे कांगड़ा के बाद ब्रिटिश प्रशासन का एक प्रमुख ठिकाना बना दिया गया। अंग्रेजों को यह स्थान इतना आकर्षक लगा कि वे इसे ब्रिटिश मुख्यालय के रूप में विकसित करना चाहते थे, परंतु 1905 के भूकंप ने कांगड़ा को हिला दिया और तब ब्रिटिशों का ध्यान शिमला की ओर चला गया।
सेना की ट्रेनिंग के लिए आए थे अंग्रेज़
इतिहासकारों का मानना है कि 1803 से 1805 के बीच जब महाराजा रणजीत सिंह ने गोरखाओं से युद्ध की तैयारी की, तो ब्रिटिश अधिकारियों ने उनकी सेना को प्रशिक्षित करने के लिए इस इलाके का दौरा किया। ब्रिटिश काल के इंपीरियल गेजेट ऑफ इंडिया में धर्मशाला की खूबसूरती का ज़िक्र शानदार शब्दों में मिलता है।
धौलाधार की बर्फ़ से ढकी चोटियां, देवदारों के साये में शांत घाटियाँ, और नीचे फैली हरी-भरी कांगड़ा घाटी, धान के खेतों की महक। यह सब मिलकर धर्मशाला को बनाते हैं एक जीवित चित्र।
धौलाधार की गोद में बसा धर्मशाला एक ऐसा शहर, जो केवल पहाड़ों का नज़ारा नहीं, बल्कि इतिहास की जीवंत परतें समेटे हुए है।
आध्यात्मिक और ऐतिहासिक चेतना का केंद्र
आज भी जब आप रात में घाटी को निहारते हैं, तो नीचे टिमटिमाती रोशनियाँ और ऊपर शांत धौलाधार।
ऐसा लगता है जैसे धरती और आकाश संवाद कर रहे हों। हर हवा के झोंके में इतिहास की वीरता, सौंदर्य और आस्था की एक कहानी बहती है।
धर्मशाला केवल एक शहर नहीं, यह हिमाचल की आध्यात्मिक और ऐतिहासिक चेतना का केंद्र है। यहाँ हर मोड़ पर इतिहास बोलता है,हर घाटी में धर्म और प्रकृति का संवाद होता है और हर व्यक्ति में हिमालय की सादगी झलकती है।
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