क्लाइमेट बायोलॉजी में दुनिया मेँ भारत का मान बढ़ा रही धर्मशाला की बेटी, फ़ुलब्राइट- कलाम स्कॉलरशिप जीतने वाली पहली हिमाचली हैं डॉ. आशना शर्मा

क्लाइमेट बायोलॉजी में दुनिया मेँ भारत का मान बढ़ा रही धर्मशाला की बेटी, फ़ुलब्राइट- कलाम स्कॉलरशिप जीतने वाली पहली हिमाचली हैं डॉ. आशना शर्मा
संतोष शर्मा / धर्मशाला
कांगड़ा जिला के धर्मशाला शहर की डॉ. आशना शर्मा फ़ुलब्राइट- कलाम पोस्टडॉक्टोरल स्कॉलरशिप जीतने वाली पहली हिमाचली युवती होने के साथ वाइल्डलाइफ इंस्टिट्यूट ऑफ़ इंडिया, देहरादून से सम्मान तक पहुंचने वाली पहली शोधकर्ता हैं। यह स्कॉलरशिप जलवायु परिवर्तन और पर्यावरणीय विज्ञान में गहरी समझ रखने वाले चुनिंदा भारतीय शोधार्थियों को दी जाती है। अपनी प्रतिभा से वाइल्डलाइफ इंस्टिट्यूट ऑफ़ इंडिया, देहरादून की सीनियर प्रोजेक्ट एसोसिएट डॉ. आशना शर्मा ने अमेरिका की इस स्कॉलरशिप को जीत कर हिमाचल प्रदेश का नाम रोशन किया था।
डॉ. आशना शर्मा पिछले दो वर्ष से यूनिवर्सिटी ऑफ वाशिंगटन शिट्ट्ल मेँ भारत की नदियों में जलवायु परिवर्तन और ज़मीन उपयोग में बदलाव के हाइड्रोबायोलॉजिकल प्रभावों पर रिसर्च कर रही है। उसका रिसर्च वर्क आखिरी चरण मेँ है। डॉ. आशना शर्मा की यह सफलता भारत के युवा वैज्ञानिकों को प्रेरित करने वाली है। विदेश में उच्च स्तरीय शोध और पर्यावरण संरक्षण के लिए उनका योगदान क्लाइमेट बायोलॉजी में भारत का मान बढ़ाया है।
ताज़े पानी की मछलियों पर रिसर्च
डॉ. आशना शर्मा का नाम ताज़े पानी की मछलियों पर रिसर्च को लेकर चर्चा मेँ रहा है। उन्होंने डॉ. वाईके रावल और डॉ. जेए जॉनसन की देखरेख में हिमालयी मछलियों पर शोध किया है, जिसके परिणाम स्वरूप इन जल्य जीवों के संरक्षण के लिए पारिस्थितिकी आधारित संरक्षण मॉडल विकसित किए गए हैं।
भारत की नदियों में जलवायु परिवर्तन और ज़मीन उपयोग में बदलाव के हाइड्रोबायोलॉजिकल प्रभावों पर उनका शोध जल निकायों की रक्षा, नीति निर्माण और पारिस्थितिकी संवेदनशीलता में संतुलन लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
इस संस्थान मेँ डॉ. आशना शर्मा सीनियर प्रोजेक्ट एसोसिएट के तौर पर हिमालयी ठंडे पानी की मछलियों पर शोध कर रही थी। इस बीच उन्होंने फ़ुलब्राइट- कलाम पोस्टडॉक्टोरल स्कॉलरशिप जीत कर अपने राज्य और राष्ट्रीय शोध संस्थान के लिए गौरवशाली यह उपलब्धि अर्जित की।
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