हिमाचल प्रदेश में सबसे अधिक उपन्यास लिखने वाले उपन्यासकार, ऐतिहासिक चरित्रों को जिंदा करने का हुनर जानते हैं डॉ. गंगा राम राजी

हिमाचल प्रदेश में सबसे अधिक उपन्यास लिखने वाले उपन्यासकार, ऐतिहासिक चरित्रों को जिंदा करने का हुनर जानते हैं डॉ. गंगा राम राजी
विनोद भावुक/ मंडी
राष्ट्रीय स्तर पर एक हिंदी के एक प्रख्यात कथाकार, उपन्यासकार, कवि एवं रंगकर्मी मंडी के सुंदरनगर निवासी डॉ. गंगा राम राजी हिमाचल प्रदेश में सबसे अधिक उपन्यास लिखने वाले उपन्यासकर हैं। वे ऐतिहासिक चरित्रों को जिंदा करने का हुनर जानते हैं। जीवन के 80 बसंत देख चुके डॉ. राजी के उपन्यास मंडी जनपद और पहाड़ प्रदेश की दास्तान बयान करते हैं। वे अब तक 17 उपन्यास लिख चुके हैं, जिनमें कई ऐतिहासिक उपन्यास शामिल हैं।
‘एक थी रानी खैरीगढ़ी’, ‘सिंध का गांधी :स्वतंत्रता संघर्ष का एक योद्धा’, लोमहर्षक राजा सिध्द सेन’ और ‘बम मास्टर भाई हिरदा राम’ मंडी जनपद पर आधारित ऐतिहासिक उपन्यास हैं, जबकि ‘मेरो दर्द न जाणै कोय‘ कांगड़ा जनपद पर आधारित ऐतिहासिक उपन्यास है। ‘जनरल जोरावर सिंह कहलूरिया’ उपन्यास हिमाचल प्रदेश, पंजाब और जम्मू- कश्मीर के महानायक जनरल जोरावर सिंह पर आधारित ऐतिहासिक उपन्यास है।
संवेदनशीलता और जनचेतना के सृजक
मंडी जिले के बग्गी गांव में एक साधारण परिवार में पैदा हुए गंगा राम राजी ने एमए, एमफिल, बीएड और पीएचडी तक अध्ययन करने के बाद अध्यापन को अपना करियर बनाया। राजकीय संस्कृत महाविद्यालय सुंदरनगर से हिन्दी के एसोसिएट के पद में सेवानिवृत होने के बाद डॉ. राजी ने धड़ाधड़ लिखना शुरू किया। मुंबई महानगर के प्रवास का अनुभव होने के बावजूद उनकी कहानियों और उपन्यासों की पृष्ठभूमि में मंडी जनपद की गहरी छाया है।
डॉ. राजी की रचनाओं में संवेदनशीलता, जनचेतना प्रखर रहती हैं। उनके लेखन में व्यंग्य, संघर्ष, घुटन-टूटन और प्रेम के साथ जीवन का सत्य, यथार्थ की पहचान और सुनहरे सुखद भविष्य की कल्पना है। राजी अपने पात्रों को गहरे तक समझने तथा आत्मसात करते हुए दिखाई देते हैं। घटनाओं, चरित्रों, संवादों, मनोभवों, घातों-प्रतिघातों के कुशल संयोजन और सामंजस्य से उनका कथा फलक व्यापक प्रभावी है और वे सहज भाषा के साथ आंचलिक भाषा का अच्छा प्रयोग करते हैं।
अकादमी पुरस्कार से सम्मानित कथाकार
डॉ. राजी के उपन्यास ‘भैरों कभी नहीं मरा’ के लिए भारतीय वाङ्मय पीठ कोलकाता ने ‘साहित्य शिरोमणि सारस्वत सम्मान,उर्दू में अब्दुल एम.के. बारी द्वारा अनुवादित इसी उपन्यास को उर्दू अकादमी लखनऊ, बिहार ने पुरस्कृत किया गया है।
डॉ. राजी को व्यंग्य यात्रा सम्मान दिल्ली, गंगेश्वर उपाध्याय कहानीकार सम्मान गहमर उत्तर प्रदेश, साहित्य समर्था जयपुर द्वारा डॉ. कुमुद टिक्कू कहानी पुरस्कार, हिमाचल अकादमी द्वारा उपन्यास विधा में अकादमी पुरस्कार, हिन्दी साहित्य भूषण 2020 रायपुर छत्तीसगढ़ पुरस्कार मिले हैं।
डॉ. राजी को प्रतिभा पुष्प सम्मान यू.एस.ए, भारतीय सांस्कृतिक निधि मंडी अध्याय द्वारा सम्मानित 2021, एक्सिलैंसी अवार्ड (गौरव हिमाचल) दिव्य हिमाचल 2021, रोटरी क्लब सम्मान 2022. इंडिया नेटबुक्स द्वारा लोक कथा रत्न सम्मान 2023 तथा कथा साहित्य में डॉ. परमार राष्ट्रीय साहित्य पुरस्कार 2023 से सम्मानित किया जा चुका है।
उपन्यास जो राजी की बन गए पहचान
1.मन मंथन, 2.भैरों कभी नहीं मरा, 3.गीता बोल रही हूं, 4.एक थी रानी खैरागढ़ी, 5.छली गई मेनका, 6.दो और दो पांच, 7. चिड़िया आ दाना खा ( बाल उपन्यास ),8.सिंध का गांधी,9.दिल ने फिर याद किया,10. पिता के साए में (बाबा ) 11. मेरो दर्द न जाणै कोय,12. गुरू घंटाल 13.जनरल जोरावर सिंह कहलूरिया 14.बंम मास्टर भाई हिरदा राम, (एक भूला बिसरा गदर संघर्ष का योद्धा),15. छज्जू दे चौबारे 16. डाकिया डाक लाया 17.लोमहर्षक राजा सिध्द सेन। राजी के उपन्यास ‘भैरों कभी नहीं मरा’ का उर्दू अनुवाद हो चुका है, जबकि उनकी कई कहानियों और उपन्यासों का मंचन भी होता आ रहा है।
32 कहानी संग्रह प्रकाशित
राजी ने 400 से अधिक कहानियां लिखी हैं, जो विभिन्न पत्र- पत्रिकाओं व 32 कहानी संग्रहों में प्रकाशित हुई हैं। उनके कहानी संग्रह इस प्रकार हैं। –
1.युगों पुराना संगीत, 2. सिंहावलोकन, 3. चक दे इंडिया 4. प्रेम पत्र, 5.रिमझिम बरसे, 6.मेरी मुम्बई प्रवास की कहानियां, 7. चलती का नाम गाड़ी है, 8. एक और मुक्ति वाहिनी, 9. उल्लू न बनाओ, 10. पांच बीघे जमीन, 11.जीवन एक पहेली, 12. कोने का बुहारा हुआ कुड़ा, 13. एक भीगी सुबह, 14. नटखट भयो राम जी, 15. भीगी भीगी रे चदरिया, 16. बुलेट ट्रेन,17. करोना काल की कहानियां, 18. ऐ मालिक तेरे बंदे हम, 19. मैं उसकी आंख का तारा था, 20. कहानी पागल होने की, 21. भाग ओए भाग, 22 सूत्रधार, 23. तारे आसमान पर, 24. 25. 26. मेरी हास्य-व्यंग्य कहानियां 4 भाग, 27. मेरी मुबई प्रवास की कहानियां, 3 भाग, 30 जिंदगी कैसी है पहेली, 31. सारथी, 32. पुढच्या वर्षी लवकर और अन्य कहानियां।
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