पंजाबी की मशहूर साहित्यकार अमृता प्रीतम ने कांगड़ा की खूबसूरत वादियों में बिताए थे जिंदगी के हसीन पल

पंजाबी की मशहूर साहित्यकार अमृता प्रीतम ने कांगड़ा की खूबसूरत वादियों में बिताए थे जिंदगी के हसीन पल
पंजाबी की मशहूर साहित्यकार अमृता प्रीतम ने कांगड़ा की खूबसूरत वादियों में बिताए थे जिंदगी के हसीन पल
हिमाचल बिजनेस/ पालमपुर
धोलाधार की खूबसूरत वादियों में बसे कांगड़ा के अंद्रेटा की सरजमीं कभी आयरिश लेडी नोरा रिचर्ड की क्रांति की अलख जगाने वाली रंगशाला की गवाह बनी, तो कभी सोभा सिंह के चित्रकारी से रंगरेज हुई। साहित्य, कला व सांस्कृतिक गतिविधियों से जरखेज यह जमीं हिंदी सिनेमा के बड़े कलाकारों और नामचीन साहित्यकारों की पसंदीदा स्थली रही। आयरिश लेडी नोरा रिचर्ड ने यहीं पर घर बनाया। परिसर में घास- फूस की छत डालकर खुला थियेटर बनाया गया। 1965 में कला के चाहने वालों के लिए यह स्थान किसी मंदिर जैसा था।
नोरा रिचर्ड की रंगशाला ने इस जमीं को सांस्कृतिक गतिविधियों से इतना सींचा कि साल 1965 में पंजाब की मशहूर साहित्यकार और शायरा अमृता प्रीतम इस रंगशाला में पहुंची थीं।
अगोजर गांव पर लिखा उपन्यास
‘अज आक्खां वारिस शाह नूं, कित्थे कबरां विचों बोल,
ते अज किताबे – ईश्क दा है कोई अगला वर्का फरोल’
तब तक अमृता प्रीतम 1947 के देश विभाजन के दौरान पंजाब में बेटियों पर हुए जुल्म पर लिखी उपरोक्त नज्म से मकबूलियत पा चुकी थी। नोरा रिचर्ड से मिलने पर अमृता ने अपनी यही नज्म उन्हें सुनाई थी। मुलाकात के ‘कुछ साल बाद अमृता ने अंद्रेटा के पास अगोजर गांव पर ‘अगोजर डियान परियान’ उपन्यास लिखा था।
रसीदी टिकट’ से मिली ख्याति
पाकिस्तान के गुजरांवाला में 31 अगस्त 1919 को जन्मीं अमृता प्रीतम ने हर विषय पर कलम चलाई। बंटवारे के बाद भारत-पाकिस्तान के बीच खिंची तलवारों ने कितने जिस्म छलनी किए यह जानने के लिए अमृता प्रीतम का उपन्यास ‘पिंजर’ ही काफी है।
निर्माता -निर्देशक चंद्र प्रकाश द्विवेदी ने ‘पिंजर’ नाम से एक बेहतरीन फिल्म बनाई है। अमृता प्रीतम को कालजयी उपन्यास ‘रसीदी टिकट’ से ख्याति मिली। यह उपन्यास में साहिर लुधियानवी और इमरोज के रिश्तों की तहें खोलता है।
शादी, बच्चे और फिर अलगाव
अमृता की शादी लाहौर के कारोबारी प्रीतम सिंह से हुई थी। अमृता ने कभी स्वीकार नहीं किया कि प्रीतम से उसे मोहब्बत भी हुई, लेकिन प्रीतम नाम जरूर ले लिया। इस दंपति के दो बच्चे भी हुए। अमृता प्रीतम ने साल 1960 में पति प्रीतम सिंह को छोड़ दिया।
31 अक्टूबर 2005 को जिंदगी को अलविदा कहने से पहले ने अमृता उपन्यासों, कविताओं और खतों में वह लिख डाला, जो आम भारतीय महिला के लिए 21 वीं सदी के अंत में भी लिखना संभव नहीं।
हिमाचल और देश-दुनिया की अपडेट के लिए join करें हिमाचल बिज़नेस
https://himachalbusiness.com/state-animal-of-himachal-pradesh-snow-leopard-population-is-decreasing-across-the-world-but-increasing-in-our-state/

 

Jyoti maurya

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *