First Wheelchair User MBBS Student लड़ी अपनी लड़ाई, ओरों के काम आई

First Wheelchair User MBBS Student लड़ी अपनी लड़ाई, ओरों के काम आई

विनोद भावुक/ नगरोटा बगवां

नगरोटा बगवां उपमंडल की बाबा बड़ोह तहसील के सरोत्री गांव की निकिता चौधरी हिमाचल प्रदेश की First Wheelchair User MBBS Student हैं।

मेडिकल की पढ़ाई करने के लिए कोर्ट का दरवाजा खटखटाने को मजबूर हुई निकिता चौधरी ने न केवल अपनी लड़ाई जीती, बल्कि अब प्रदेश के सभी 6 मेडिकल कॉलेज में पढ़ने वाले दिव्यांग स्टूडेंट्स की फीस माफ करवाकर उनके लिए भी फरिश्ता बन गई।

जीवट की धनी First Wheelchair User MBBS Student निकिता चौधरी की प्रतिभा को देख कई संस्थाएं सम्मानित कर चुकी हैं। निकिता के संघर्ष में शिमला की उमंग फ़ाउंडेशन और उसके संस्थापक अजय श्रीवास्तव की भूमिका विशेष रही है।

अदालत से मिला न्याय

जीवट की धनी First Wheelchair User MBBS Student निकिता चौधरी की प्रतिभा को देख कई संस्थाएं सम्मानित कर चुकी हैं। निकिता के संघर्ष में शिमला की उमंग फ़ाउंडेशन और उसके संस्थापक अजय श्रीवास्तव की भूमिका विशेष रही है।

हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायलय शिमला के आदेश के बाद First Wheelchair User MBBS Student निकिता चौधरी को डॉक्टर राजेन्द्र प्रसाद मेडिकल कॉलेज टांडा में एमबीबीएस में एडमिशन मिली है।

निकिता चौधरी चलने में असमर्थ है, इसी कारण उसे टांडा मेडिकल कॉलेज का स्टूडेंट बनने में कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ा। जिसे टांडा मेडिकल कॉलेज के प्रशासन ने यह कह कर एडमिशन देने से इनकार कर दिया था कि यह लड़की कुछ नहीं कर सकती है, जीवट की धनी उस बेटी ने कानून का दरवाजा खटखटा कर अपने हक की लड़ाई को जीता।

चंडीगढ़ में बैठा स्पेशल बोर्ड

चंडीगढ़ में First Wheelchair User MBBS Student निकिता चौधरी को एडमिशन के लिए पात्र बताया था, लेकिन परिवार के लिए बेटी को वहां पढ़ाना मुश्किल था। जब वह टांडा मेडिकल कॉलेज में एडमिशन के लिए पहुंची तो वहां उसका मेडिकल टेस्ट कर उसे 90 प्रतिशत विकलांग बता कर एडमिशन देने से इनकार कर दिया गया।

चंडीगढ़ में First Wheelchair User MBBS Student निकिता चौधरी को एडमिशन के लिए पात्र बताया था, लेकिन परिवार के लिए बेटी को वहां पढ़ाना मुश्किल था। जब वह टांडा मेडिकल कॉलेज में एडमिशन के लिए पहुंची तो वहां उसका मेडिकल टेस्ट कर उसे 90 प्रतिशत विकलांग बता कर एडमिशन देने से इनकार कर दिया गया। इस पर First Wheelchair User MBBS Student निकिता चौधरी ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। हाई कोर्ट ने चंडीगढ़ में विशेष मेडिकल बोर्ड बिठाकर उसका दोबारा मेडिकल करवाया, जिसमे उसे 78 प्रतिशत विकलांग घोषित किया गया। इसी आधार पर अदालत ने टांडा मेडिकल कॉलेज में उसकी एडमिशन के लिए आदेश दिए।

साधारण परिवार की असाधारण प्रतिभा

 First Wheelchair User MBBS Student निकिता चौधरी ने प्राथमिक शिक्षा आधुनिक पब्लिक स्कूल दहरियां से हुई और उसके बाद हिमालयन पब्लिक स्कूल नगरोटा बगवां से जमा दो की पढ़ाई की।

दो साल की उम्र में ही निकिता चौधरी को रहस्यमयी बीमारी ने घेर लिया था और उम्र बढ़ने के साथ उसे व्हीलचेयर के सहारे होना पड़ा। लेकिन बीमारी उसके हौसलों की उड़ान को नहीं रोक पाई। बचपन से पढ़ने में होशियार निकिता चौधरी के जीवन संघर्ष में दसवीं पास परिजनों की भूमिका को सैल्यूट है। रोज बेटी को स्कूल छोड़ने और लाने के लिए यह दंपति पूरी तरह समर्पित रहा। नगरोटा बगवां में पढ़ाई शुरू हुई तो होनहार बेटी के भविष्य के लिए घर छोड़ क्वार्टर लिया गया। मां- बाप और भाई की मेहनत रंग लाई।

पहले प्रयास में पास की नीट परीक्षा

First Wheelchair User MBBS Student निकिता चौधरी ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। हाई कोर्ट ने चंडीगढ़ में विशेष मेडिकल बोर्ड बिठाकर उसका दोबारा मेडिकल करवाया, जिसमे उसे 78 प्रतिशत विकलांग घोषित किया गया। इसी आधार पर अदालत ने टांडा मेडिकल कॉलेज में उसकी एडमिशन के लिए आदेश दिए।

 First Wheelchair User MBBS Student निकिता चौधरी ने प्राथमिक शिक्षा आधुनिक पब्लिक स्कूल दहरियां से हुई और उसके बाद हिमालयन पब्लिक स्कूल नगरोटा बगवां से जमा दो की पढ़ाई की। निकिता चौधरी ने साल 2022 में पहले ही प्रयास में नीट परीक्षा पास की। निकिता चौधरी को पीजीआई चंडीगढ़ में तो एडमिशन के लिए पात्र बताया, लेकिन टांडा मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने उसकी विकलांगता के चलते एडमिशन देने से इनकार कर दिया। उसने टांडा मेडिकल कॉलेज में एडमिशन के लिए उच्च न्यायालय शिमला का दरवाजा खटखटाया, जहां से उसे न्याय मिला और वह First Wheelchair User MBBS Student बनी।

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