Football : शिमला से 1888 में हुई थी डूरंड कप की शुरुआत, एशिया का सबसे पुराना टूर्नामेंट
विनोद भावुक/ शिमला
Football प्रतियोगिताओं में आज फीफा वर्ल्ड कप को लेकर दुनिया भर में जुनून है। ऐसे ही एक Football प्रतियोगिता की शुरुआत हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला से हुई थी। डूरंड कप की शुरुआत सन 1888 में शिमला में हुई थी। यह एशिया की सबसे पुरानी प्रतियोगिता है। 1888 से लेकर अब तक इसके 130 संस्करण हो चुके हैं। आइए जानिये एशिया की सबसे पुरानी और आजादी से पहले शिमला में शुरू होने वाली फुटबॉल की इस प्रतियोगिता के बारे में कुछ रोचक पहलू।
विजेताओं को दी जाती हैं तीन ट्राफियां
डूरंड कप एशिया की सबसे पुरानी Football प्रतियोगिता है। 2022 में अगस्त में डूरंड कप की प्रतियोगिता हुई थी जिसमें एफसी गोवा चैंपियन रहा है। इस प्रतियोगिता में एटीके मोहन बागान और पूर्वी बंगाल ने सबसे अधिक (16 बार) पर कप जीता है, लेकिन डूरंड कप के बारे में एक दिलचस्प तथ्य यह है कि विजेताओं को तीन ट्राफियां प्रदान की जाती हैं। इनमें प्रेसिडेंट्स कप वह ट्रॉफी है, जिसे भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद ने सौंपा था। डूरंड कप यह पहली असली ट्रॉफी है, जो साल 1965 से यह एक रोलिंग ट्रॉफी बन गई है। शिमला ट्रॉफी को शिमला के लोगों ने पहली बार साल 1903 में प्रस्तुत किया था।
इसलिए दी जाती हैं तीन Football ट्राफियां
Football के इस एक ही इवेंट के लिए 3 ट्राफियां क्यों होती हैं? ऐसा इसलिए है , क्योंकि टूर्नामेंट आजादी से बहुत पहले शुरू हो गया था और भारतीय Football के इतिहास और परंपरा में इसका बहुत महत्व है। डूरंड कप की शुरुआत सन 1888 में शिमला में हुई थी और तब से इसके 130 संस्करण हो चुके हैं। इससे पहले, ब्रिटिश भारत के वायसराय विजेताओं को ट्राफियां सौंपते थे। स्वतंत्रता के बाद, भारत के राष्ट्रपति साल 1982 तक ट्रॉफियां सौंपते थे। उसके बाद, सुरक्षा कारणों से इस प्रथा को बंद कर दिया गया था।
Football के डूरंड कप का इतिहास
Football के प्रतिष्ठित डूरंड कप का नाम सर मोर्टिमर डूरंड के नाम पर रखा गया है, जो ब्रिटिश भारत के विदेश सचिव थे। शुरू में, भारत के नागरिकों को इस आयोजन में भाग लेने की अनुमति नहीं थी। यह केवल ब्रिटिश भारत के सशस्त्र बलों के विभिन्न रेजिमेंटों और विभागों के अधिकारियों के लिए संरक्षित टूर्नामेंट था। बाद में इसे अन्य क्लबों के लिए खोल दिया गया। शुरू में ब्रिटिश विभागीय दल इस कप पर कब्ज़ा करते थे, लेकिन लेकिन धीरे-धीरे, भारतीय क्लब इसमें खेलने लगे और ब्रिटिश क्लबों को कड़ी टक्कर दी। साल 1940 में मोहम्मडन स्पोर्टिंग टीम कप जीतने वाला पहला भारतीय Football क्लब था। उन्होंने फाइनल में रॉयल वारविकशायर रेजिमेंट को 2-1 से हराया था।